It’s okay to feel pressure, it means you care about your work – Jannik Sinner | इंस्पायरिंग: दबाव महसूस करना अच्छा, इसका अर्थ है कि आपको अपने काम की परवाह है- जैनिक सिनर

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6 घंटे पहले

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  • इटली के टेनिस प्लेयर जैनिक सिनरने हाल ही में विम्बलडन टाइटल जीता है। उनकी प्रेरक बातें जो आपको सफलता के मायने समझने में मदद करेंगी…

खेल में मेरा पहला प्यार टेनिस नहीं, स्कीइंग था। मैंने तीन साल की उम्र में स्कीइंग शुरू की और आठ साल की उम्र में जाइंट स्लालम में चैंपियनशिप जीती। 12 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर रनर-अप रहा। मेरे लिए आदर्श कोई टेनिस खिलाड़ी नहीं, बल्कि स्कीइंग चैंपियन बोडे मिलर थे। 13 साल की उम्र में आकर मैंने तय किया कि अब सिर्फ टेनिस पर ध्यान दूंगा। मैं लकी था कि मैंने कई खेल आजमाए, जिससे मैंने छोटी उम्र में समझ लिया कि मुझे क्या करना पसंद है। स्कीइंग में एक गलती हुई, तो आप रेस नहीं जीत सकते और सिर्फ डेढ़ मिनट में आपको तेजी से नीचे जाना होता है। टेनिस में आप मानसिक स्थिति को देख सकते हैं। आप देख सकते हैं कब कोई संघर्ष कर रहा होता है या कब कोई आनंद ले रहा होता है। इसमें एक समय में सिर्फ एक प्रतिद्वंद्वी होता है और आपको हर बार जीतने के लिए अपने बेस्ट टेनिस की जरूरत नहीं पड़ती। यही चीज मुझे सबसे ज्यादा पसंद है। चुनौतियों को स्वीकार करना जरूरी है। प्रेशर होना अपने आप में एक विशेषाधिकार है। मुझे प्रेशर बेहद पसंद है, क्योंकि अगर आप दबाव महसूस नहीं कर रहे, इसका मतलब आपको अपने काम की परवाह नहीं है। मैं खुद को प्रेशर में पाकर लकी मानता हूं… यही वजह है कि मैं मेहनत करता हूं। संघर्ष करने के लिए आप कितने तैयार हैं, यही आपको सबसे अलग बनाता है। मैं हमेशा प्रैक्टिस कोर्ट पर एक उद्देश्य लेकर जाता हूं। मेरा मानना है कि प्रैक्टिस सेशन में ही मानसिकता बनती है। जब आप संघर्ष करते हैं, जब आपको दर्द होता है, जब कभी आपका प्रैक्टिस करने का मन नहीं होता, तब भी आप जाते हैं और उस दिन को अच्छा बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। अगर आप यह अभ्यास में नहीं कर सकते, तो असली मैच में भी नहीं कर पाएंगे। मैं उन्हीं चीजों पर कंट्रोल चाहता हूं, जो मेरे काम में बाधा बनती हैं। मैं उन चीजों से दूर रहता हूं, जिनकी वजह से मैं अगले दिन आराम से ट्रेनिंग न कर सकूं। मैंने जीत के बाद कभी ज्यादा जश्न नहीं मनाया, शराब नहीं पी क्योंकि यह शरीर के लिए अच्छा नहीं है। जीत के बारे में सोचता तब हूं, जब मैं उस वक्त केवल सोच ही सकता हूं। जैसे फ्लाइट में मेरे पास वक्त होता है। उस वक्त सोचता हूं कि मैं कैसे सुधार कर सकता हूं। तब सोचता हूं कि मैं दो सेट्स से नीचे क्यों गया, पहले ही क्यों प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं बेहद फोकस्ड रहने वाला इंसान हूं। इसका मतलब यह नहीं कि मैं हर पल का आनंद नहीं लेता। हर मैच की अपनी कहानी है। जैसे पेरिस में मैं जीत के बहुत करीब था… और अल्कारेज ऐसे खिलाड़ी हैं, जो मुझे बेहतर बनने में मदद करते हैं। जब आप किसी से हारते हैं, तो चीजों पर काम जारी रखते हैं और कभी-कभी नतीजा बदलने की कोशिश करते हैं। मैं नतीजा बदल पाऊं तो खुश होता हूं।

हमेशा अपनी सीमाओं से परे जाने की सोचें हर व्यक्ति को ऐसा कोई चाहिए होता है, जो उसे अपनी सीमाओं से आगे धकेल सके। प्रतिद्वंद्वी ही यह काम कर सकता है। हर बार जब हम कोर्ट पर उतरते हैं, तो अपने प्रतिद्वंद्वी को हराने की कोशिश करते हैं। एक-दूसरे के प्रति गहरा सम्मान रखना भी जरूरी है। जब माहौल सकारात्मक रहेगा, तो ही आप सीमाओं से परे जा पाएंगे… नहीं तो बेकार की चीजों में उलझकर रह जाएंगे। (तमाम इंटरव्यूज में…)

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