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- Khabar Hatke A One Person Country, Dog Walker Earning ₹4.5 Lakh, Lizard Part Smuggling & More Dainik Bhaskar
50 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण गोपाल
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ऐसा देश जहां सिर्फ एक इंसान रहता है। इतना ही नहीं उस देश का अपना पासपोर्ट, करेंसी और रॉयल फैमिली भी है। वहीं, महाराष्ट्र में एक शख्स कुत्ते टहलाने का काम करके लाखों रुपए कमा रहा है।

1. पूरे देश में सिर्फ एक इंसान कैसे रह रहा है? 2. क्या कुत्ते टहलाकर लाखों की कमाई हो सकती है? 3. कैसे बना मरे हुए आदमी का ड्राइविंग लाइसेंस? 4. धूप सेंकने से महिला कोमा में क्यों चली गई? 5. छिपकली के प्राइवेट पार्ट की तस्करी क्यों हो रही है?


क्या आपने कभी ऐसे देश के बारे में सुना है जो सिर्फ 2 टेनिस कोर्ट जितना बड़ा है। उसकी अपनी करेंसी, पोस्ट स्टाम्प, संविधान और यहां तक कि अपना ‘राज परिवार’ भी है।
यह देश है- सीलैंड, जो इंग्लैंड से करीब 11 किलोमीटर दूर नॉर्थ-सी में मौजूद है। दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने एक समुद्री किला बनाया था, ताकि लंदन को जर्मनी के हमले से बचाया जा सके।
यह कॉन्क्रीट के 2 खंभों पर बना प्लेटफॉर्म है। उस समय इसे ‘हिज मैजेस्टीज रफ्स टॉवर’ कहा जाता था। सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने के बाद इसे यूं ही छोड़ दिया गया।
ब्रिटिश आर्मी में मेजर रहे रॉय बेट्स ने 1967 में इस पर कब्जा कर लिया और एक आजाद देश घोषित कर दिया। नाम रखा सीलैंड… खुद को देश का प्रिंस और पत्नी जोन को प्रिंसेज घोषित कर दिया।

प्रिंस रॉय बेट्स और प्रिंसेज जोन
सीलैंड का अनोखा जीवन सीलैंड सात मंजिला टावर है। इस देश में घुसने का तरीका भी बड़ा अजीब है। समुद्र की सतह से 60 फीट ऊपर एक क्रेन से झूलते हुए अंदर जाना पड़ता है। यहां के एकमात्र स्थायी निवासी माइक बैरिंगटन हैं, जो आपका स्वागत करते हैं।

सीलैंड की फुटबॉल टीम।
सीलैंड का झंडा अब फुटबॉल हेलमेट पर भी दिखता है, क्योंकि इसकी अपनी पुरुष और महिला फुटबॉल टीमें हैं, ‘सीलैंड सीहॉक्स’। वे यूके, यूरोप और यूएस की टीमों के खिलाफ खेलते हैं। बेशक, उनके सभी खेल ‘घर’ से दूर ही होते हैं।
रॉयल फैमिली की मौजूदा स्थिति प्रिंस रॉय और प्रिंसेज जोन अब इस दुनिया में नहीं हैं। बाकी परिवार इंग्लैंड में रहता है और अपने अलग-अलग बिजनेस करता है। उनका बेटा माइकल अब सीलैंड का प्रिंस है और उसकी चाइनीज पत्नी माए शी नई प्रिंसेज हैं।


इमेज सोर्स: AI जनरेटेड
महाराष्ट्र का एक शख्स कुत्तों को टहलाकर हर महीने लाखों रुपए कमा रहा है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। इसमें एक शख्स मराठी में बोलते हुए अपनी मंथली इनकम 4.5 लाख रुपए बता रहा है।
वायरस वीडियो में एक युवक कहता सुना जा सकता है, ‘मेरे भाई ने लंदन यूनिवर्सिटी से MBA किया है। उसकी सैलरी सत्तर हजार है। मुझे एक कुत्ते को दिन में दो बार घुमाने के पंद्रह हजार महीना मिलते हैं। अड़तीस कुत्ते हैं। इतना तो एक डॉक्टर भी नहीं कमा पाता। मेरी महीने की साढ़े चार लाख इनकम है। सिर्फ डॉग्स घुमाकर…।’
युवक आगे बताता है, ‘हर संडे की मेरी इनकम 38 हजार रुपए हैं। सिर्फ नहलाने (कुत्तों को) की।‘
कोविड के बाद बढ़ी ‘डॉग वॉकर्स’ की कमाई
डॉग वॉकर वह व्यक्ति होता है जो पेट ओनर की ओर से कुत्तों को रोजाना सैर पर ले जाता है। कई प्लेटफॉर्म यह सर्विस देते हैं, लेकिन मार्केट में फ्री डॉग वॉकर भी मौजूद हैं।
कोविड के दौरान वर्क फ्रॉम होम के चलते लोग ऑनलाइन मीटिंग्स और घरेलू जिम्मेदारियों की वजह से अपने पालतू जानवरों को बाहर घुमाने नहीं ले जा पा रहे थे। इसने डॉग वॉकर्स के लिए मार्केट तैयार की।
जॉब हायरिंग प्लेटफॉर्म ‘इनडीड’ के मुताबिक भारत में एक डॉग वॉकर को एक कुत्ते को टहलाने के लिए औसतन 15,968 रुपए महीने मिलते हैं।


इमेज सोर्स: AI जनरेटेड
क्या आपने कभी सोचा है कि किसी मरे हुए इंसान को ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाए। अमेरिका के ओहायो में ऐसी ही हुआ। दरअसल, करीब 30 साल पहले डोनाल्ड मिलर नाम का शख्स कर्जदारों से परेशान होकर घर से भाग गया।
8 साल तक जब मिलर का कोई पता नहीं चला और उसकी पत्नी रॉबिन ने उसे कानूनी तौर पर डेड घोषित करवाया, ताकि कर्जदारों के झंझट से छुटकारा मिल सके। रॉबिन को सोशल सिक्योरिटी से 30 हजार डॉलर (करीब ₹25.85 लाख) की मदद भी मिली।
दशकों बाद मिलर को ड्राइविंग लाइसेंस की जरूरत पड़ी तो उसे सबके सामने आना पड़ा। लेकिन कानून के मुताबिक अगर किसी जिंदा इंसान को डेड घोषित कर दिया गया हो तो उसे 3 साल के अंदर इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देनी होती है। ऐसे में मिलर को कानूनी तौर पर जिंदा मानने से इनकार कर दिया गया, जबकि वह कोर्ट में जज के सामने खड़ा था।
तब मिलर ने अमेरिकी सोशल सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन से नया आईडी नंबर देने की गुहार लगाई। एडमिनिस्ट्रेशन ने उसे एक नया नंबर दे दिया। इस तरह डोनाल्ड मिलर को कानूनी तौर पर ‘मृत’ होते हुए भी ड्राइविंग लाइसेंस मिल गया।


इमेज सोर्स: AI जनरेटेड
चीन में 67 साल की एक महिला धूप सेंकने की वजह से कोमा में चली गई। दरअसल, वांग नाम की यह महिला एक देसी नुस्खा अपना रही थी। चीन की पारंपरिक मेडिसिन सिस्टम के मुताबिक पेट के बल लेटकर धूप सेंकने से शरीर में ‘यांग ऊर्जा’ बढ़ती है और बीमारियां ठीक होती हैं।
बस फिर क्या था, दोपहर की चिलचिलाती धूप में वांग अपने घर के बाहर दो घंटे तक पेट के बल लेटकर धूप सेंकती रही। घर लौटने के कुछ ही देर बाद वो अचानक बेहोश होकर गिर पड़ी।
डॉक्टरों ने बताया कि उस एन्यूरिज्मल सेरेब्रल हेमरेज और ब्रेन हर्निया हुआ था यानी उसके दिमाग में खून जम गया और सूजन आ गई। तुरंत उसकी सर्जरी की गई लेकिन फिर भी कोमा से बाहर नहीं आई।
महिला का इलाज करने वाले डॉ ये जियांगमिंग बताते हैं कि इसका कोई साइंटिफिक प्रूफ नहीं है कि धूप सेंकने से सारी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। लंबे समय तक तेज धूप में रहना बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है।


हाल ही में फरीदाबाद के सेक्टर-8 से मॉनिटर लिजर्ड (एक तरह की छपकली) के प्राइवेट पार्ट की तस्करी में शामिल एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा वह अन्य प्रतिबंधित वाइल्डलाइफ प्रोडक्ट रखता और बेचता था।
दरअसल, मॉनिटर लिजर्ड का प्राइवेट पार्ट ‘हत्थाजोड़ी’ के नाम से बेचा जाता है। इस बेचते समय कहा जाता है कि यह दुर्लभ पौधे का हिस्सा है। मध्य और पश्चिमी भारत में इसे एक से तीन हजार रुपए तक में बेचा जाता है।
बेचते समय कहा जाता है कि इसमें इंसान का भाग्य बदलने की ताकत होती है। आस्था और अंधविश्वास के चलते लोग हत्थाजोड़ी पर सिंदूर लगाते हैं। इन्हें अपने घरों में पूजा के स्थान पर रखते हैं।
वे दो जुड़ी हुई भुजाओं जैसे दिखते है लेकिन वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) और लंदन के वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन (WAP) के मुताबिक हत्थाजोड़ी के नाम से बेचे जाने वाला प्रोडक्ट असल में विशालकाय मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट हैं।
मॉनिटर लिजर्ड को भी बाघ और हाथी की तरह भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सुरक्षा प्राप्त है। एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन वेबसाइट्स पर अब ‘हत्थाजोड़ी’ कीवर्ड पर बैन लगा दिया गया है। इस वजह से इसकी कीमत 50 हजार रुपए तक हो सकती है।
तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…
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