इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा दो दिन यानी 10 और 11 जून को रहेगी। धर्म के नजरिए से ये पूर्णिमा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इसी दिन संत कबीरदास की जयंती भी मनाई जाती है। इस अवसर पर नदी स्नान, सूर्य को अर्घ्य, जल दान, और धार्मिक पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह करीब 10:50 बजे होगी, जो 11 जून की दोपहर करीब 12:25 बजे तक रहेगी। इस कारण इस बार पूर्णिमा पर जुड़े धार्मिक अनुष्ठान और पुण्य कर्म दो दिन किए जा सकेंगे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ना और सुनना विशेष फलदायी होता है। इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का पुण्य जीवनभर असर करता है, जिसे अक्षय पुण्य कहा जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं और हर महीने की समाप्ति पूर्णिमा से मानी जाती है। जिस नक्षत्र में पूर्णिमा आती है, उसी के आधार पर महीने का नाम होता है। जैसे, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर ज्येष्ठा नक्षत्र रहता है, इसलिए इसे ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ कार्य किए जा सकते हैं… ज्येष्ठ पूर्णिमा एक ऐसा पर्व है जो धार्मिक आस्था, प्रकृति से जुड़ाव और सामाजिक सेवा, तीनों को एक साथ जोड़ता है। इस पर्व पर नदी स्नान, सूर्य अर्घ्य और दान-पुण्य जैसे छोटे लेकिन सार्थक कार्य करके हम परंपराओं को निभाते हैं, इन शुभ कर्मों से आध्यात्मिक शांति मिल सकती है।
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