जीवन एक अंतहीन यात्रा है। जीवन के सत्य का अनुभव करना ही इस मानवीय यात्रा का उद्देश्य है। इसलिए हमारे यहां कहा गया है कि सबसे बड़ा पुरुषार्थ आत्म साक्षात्कार और भगवद प्राप्ति है। यही हमारा अंतिम लक्ष्य भी होना चाहिए। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए शास्त्रों का पाठ करें, सदगुरु की संगत में रहें, दूसरों की सेवा करें। आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए भाग्यवान किसे कहते हैं? आज का जीवन सूत्र जानने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें।
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