2 घंटे पहले
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योगिनी एकादशी : शनिवार, 21 जून
महत्व : भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का व्रत
माना जाता है कि योगिनी एकादशी व्रत (आषाढ़ कृष्ण एकादशी) या उपवास करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और परेशानियां दूर होती हैं। इस व्रत से वैसा ही पुण्य मिलता है, जैसा पुण्य यज्ञ करने से मिलता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस व्रत में एक समय फलाहार कर सकते हैं। एकादशी तिथि पर व्रत या उपवास न भी कर सकें तो इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें तुलसी जरूर चढ़ाएं। ग्रंथों में लिखा है कि भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से भी पूरे व्रत का पुण्य मिल जाता है।
योगिनी एकादशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व है। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं, इनमें से योगिनी एकादशी का महत्व काफी अधिक है। जिस साल में अधिक मास आता है, उस समय में एकादशियों की संख्या 26 हो जाती है।
व्रत की तैयारी कैसे करें?
- व्रत की शुरुआत एक दिन पहले यानी दशमी तिथि (20 जून) से ही हो जाती है। दशमी की रात संतुलित आहार खाना चाहिए। इसके बाद मौन रहें और भगवान का ध्यान करें।
- एकादशी (21 जून) की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें, भगवान गणेश और श्रीहरि का पूजन करें। पूजन में व्रत करने का संकल्प लें।
- पूजा में भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं।
- चंदन, रोली, धूप, दीप और पुष्प से पूजन करें।
- भगवान को तुलसी पत्र के साथ भोग अर्पित करें।
- पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
- पूजा के बाद व्रत करने वाले भक्त को दिनभर निराहार रहना चाहिए। भूखे रहना संभव न हो तो व्रती दिन में एक बार फलाहार कर सकता है।
- एकादशी की रात भजन-कीर्तन करते हुए भगवान का ध्यान करना चाहिए। भगवान की कथाएं पढ़-सुन सकते हैं।
- वाणी और व्यवहार पर नियंत्रण रखें। द्वेष, क्रोध, निंदा से बचें। मन को स्थिर और शांत रखें।
- इस तिथि पर जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल आदि का दान करें।
अगले दिन यानी द्वादशी (22 जून) को सूर्योदय के समय भगवान विष्णु की पूजा करें। शुद्ध सात्विक खाना बनाएं और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर स्वयं भोजन करें। इस तरह ये व्रत पूरा होता है।
मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत जाने-अनजाने हुए पापों को भी नष्ट करने वाला होता है। ये व्रत आध्यात्मिक शुद्धि, मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति का उत्तम अवसर है। ये न केवल व्रत और पूजा का दिन है, बल्कि सेवा, संयम और सकारात्मक सोच को अपनाने का भी प्रतीक है। इस दिन श्रद्धा से भगवान विष्णु की आराधना करने से समस्त कष्ट दूर होते हैं और जीवन में शुभता आती है।