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25 मिनट पहले
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भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला Axiom मिशन 4 के तहत आज 25 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हो गए। वो इस मिशन के पायलट हैं। उनके साथ तीन अन्य एस्ट्रोनॉट भी स्पेस स्टेशन जा रहे हैं। ये मिशन इससे पहले 6 बार टाला जा चुका था।
पहली बार कोई भारतीय नागरिक ISS की यात्रा पर
अंतरिक्ष इतिहास में पहली बार कोई भारतीय इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की यात्रा कर रहा है।इससे पहले राकेश शर्मा स्पेस जाने वाले पहले भारतीय थे।
यह मिशन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी NASA के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लॉन्च किया गया है।

NDA क्लियर करके IAF पायलट बने
शुभांशु शुक्ला मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ के रहने वाले हैं। इनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई अलीगंज, लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से पूरी हुई। 12वीं के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का एंट्रेंस एग्जाम क्लियर किया और यहीं से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
NDA भारत में सशस्त्र बलों (थल सेना, नौसेना और वायुसेना) के लिए ऑफिसर कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाली एक प्रमुख संस्था है। ये ट्रेनिंग के साथ-साथ एकेडमिक डिग्री भी देती है, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली से एफिलिएटेड होती है।

2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस
शुभांशु को 17 जून, 2006 को भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में शामिल किया गया। वे एक अनुभवी फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास 2,000 घंटे से अधिक का फ्लाइंग एक्सपीरियंस है। उन्होंने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे लड़ाकू विमानों को उड़ाया है।
मार्च 2024 में शुभांशु को ग्रुप कैप्टन के पोस्ट पर प्रमोट किया गया। वे एक फाइटर कॉम्बैट लीडर भी हैं।
साल 2019 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने उन्हें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान के लिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में चुना। अन्य तीन में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप शामिल हैं।

ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (बाएं से दाएं)।
गगनयान मिशन में शामिल होने के बाद उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में 2019-2021 के बीच कठिन एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग ली। फिर भारत वापस लौटकर शुभांशु ने बेंगलुरु में ISRO के एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी सेंटर में भी ट्रेनिंग ली।
पीएम मोदी ने एस्ट्रोनॉट विंग्स दिए थे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 फरवरी, 2024 को 1,800 करोड़ रुपए के 3 स्पेस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के लिए केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) पहुंचे थे।
इस दौरान उन्होंने देश के पहले मैन्ड स्पेस मिशन गगनयान का रिव्यू किया। साथ ही गगनयान मिशन पर भेजे जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स के नामों का ऐलान भी किया और उन्हें एस्ट्रोनॉट विंग्स दिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने 27 फरवरी को गगनयान मिशन के लिए ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के नाम का ऐलान किया था। उन्हें एस्ट्रोनॉट विंग्स दिए थे।
27 फरवरी 2024 को शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) के लिए आधिकारिक तौर पर चयन की घोषणा हुई। यह घोषणा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और एक्सिओम स्पेस के बीच सहयोग के तहत की गई थी।
NASA और SpaceX के सहयोग से आयोजित है एक्सिओम मिशन
एक्सिओम मिशन 4 (Ax-4) इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए एक निजी अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। इसे अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित किया जा रहा है।
ये मिशन NASA और SpaceX के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है और यह एक्सिओम स्पेस का चौथा मिशन है। इससे पहले Ax-1, Ax-2, और Ax-3 मिशन पूरे हो चुके हैं। ये मिशन 14 दिनों का होगा।
शुभांशु शुक्ला के अलावा एक्सिओम मिशन में 3 सदस्य शामिल हैं-

हंगरी के टिबोर कापू, ISRO अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन, और पोलैंड के यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्नान्सकी-विज्निएव्स्की (बाएं से दाएं)।
1. पेगी व्हिटसन (Peggy Whitson) – अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, जो नासा की पूर्व सदस्य और एक्सिओम स्पेस की ह्यूमन स्पेस फ्लाइट डायरेक्टर हैं। ये मिशन की कमांडर के रूप में गई हैं।
2. स्लावोज उज्नान्सकी-विज्निएव्स्की (Sławosz Uznański-Wiśniewski) – पोलैंड के यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अंतरिक्ष यात्री। ये पोलैंड का पहला ISS मिशन है। ये मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में जा रहे हैं।
3. टिबोर कपु (Tibor Kapu) – हंगरी के अंतरिक्ष यात्री। यह हंगरी का भी पहला ISS मिशन है। ये भी मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में जा रहे हैं।
ये भारत का पहला ISS मिशन है। साथ ही, 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाला दूसरा भारतीय मिशन है।
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