मॉस्को/नई दिल्ली2 घंटे पहले
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तमाल को रूस के यांतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है।
भारतीय नौसेना आज अपने सबसे आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट ‘INS तमाल’ को रूस के कैलिनिनग्राद में कमीशन करने जा रही है। यह समारोह वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह की अध्यक्षता में होगा।
तमाल रूस से मिला आठवां और तुशील क्लास का दूसरा युद्धपोत है। यह 2016 में हुए भारत-रूस रक्षा समझौते का हिस्सा है, जिसके तहत चार तलवार-क्लास स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो रूस के यंतर शिपयार्ड में और दो भारत के गोवा शिपयार्ड में बन रहे हैं।
तमाल को रूस के यंतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है। यह जहाज 30 नॉट्स (55kmph) से ज्यादा की रफ्तार से चल सकता है और समुद्र के भीतर से लेकर हवा तक हमला करने की क्षमता रखता है।
INS तमाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है और रडार की पकड़ में भी नहीं आएगा। इसे नौसेना के पश्चिमी बेड़े में शामिल किया जाएगा। जहां ये अरब-हिंद सागर में तैनात होगा और पाकिस्तानी सीमा की निगरानी करेगा।

इंद्र की तलवार से मिला नाम
इस युद्धपोत की खास बात इसका नाम और प्रतीक है। ‘तमाल’, इंद्र के पौराणिक तलवार का नाम है, और इसकी प्रतीकात्मक पहचान ‘जाम्बवन्त’ व रूसी भालू से प्रेरित ‘ग्रेट बेयर्स’ है। तमाल भारतीय और रूसी सहयोग का प्रतीक है और इसका आदर्श वाक्य ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’ इसके जज्बे को दर्शाता है।
200 से ज्यादा भारतीय नौसैनिक ट्रेनिंग ले चुके
200 से ज्यादा भारतीय नौसैनिकों को इस युद्धपोत के संचालन और तकनीकी प्रणाली के लिए रूस में ट्रेनिंग दी गई है। वे तमाल की समुद्री ट्रायल्स में भी हिस्सा ले चुके हैं। यही भारतीय दल मई के अंत में तमाल को रूस से भारत लाएगा।
गोवा में बन रहे हैं दो और युद्धपोत
इस समझौते के तहत दो अन्य तलवार-क्लास स्टील्थ फ्रिगेट गोवा शिपयार्ड में बन रहे हैं। उनके लिए जरूरी इंजन पहले ही मंगवा लिए गए हैं। इससे भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
INS तुशिल दिसंबर में भारत पहुंचा था

INS तुशिल दिसंबर में रूस से 12,500 नॉटिकल मील का सफर तय कर भारत पहुंचा था। यह आठ देशों से होकर गुजरा। 9 दिसंबर को इसे कमीशन किया गया था। अब ‘तमाल’ उसकी जगह लेगा, जो और ज्यादा उन्नत तकनीकों से लैस है।

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