Significane of Bhadrali Navami in hindi, the last day of Gupt Navratri is bhadali navami, Bhadali navami 2025 | गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन भड़ली नवमी कल: विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कामों के लिए साल के चार सबसे अच्छे मुहूर्त में से एक है भड़ली नवमी


23 मिनट पहले

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कल (4 जुलाई) आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का अंतिम दिन यानी भड़ली नवमी है। इस तिथि पर बिना मुहूर्त देखे ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक काम पूरे दिन किए जाते हैं। ये साल के चार अबूझ मुहूर्त में से है। हिन्दी पंचांग में सालभर में चार ऐसे दिन बताए गए हैं, जिन्हें अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इनमें अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी शामिल है।

भड़ली नवमी पर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु पूजा में शंख में दूध और गंगाजल भरकर भगवान का अभिषेक करना चाहिए। ऊँ नम: भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। पूजा के बाद जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाएं। कपड़े, जूते-चप्पल, नमक, गुड़, अनाज और पैसे दान करें। इस दिन गायों की देखभाल के लिए भी दान करना चाहिए।

छोटी कन्याओं को कराएं भोजन

गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन भड़ली नवमी देवी दुर्गा की पूजा जरूर करें। गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं के लिए विशेष गुप्त साधना की जाती है। नवरात्रि का आखिरी दिन होने से इस दिन छोटी-छोटी कन्याओं को भोजन भी कराना चाहिए।

देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु करते हैं शयन

भड़ली नवमी के बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और देवउठनी एकादशी (1 नवंबर) पर विश्राम से जागते हैं। इस समय को चातुर्मास भी कहते हैं। भगवान के विश्राम के दिनों में विवाह, सगाई मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इसलिए करीब चार महीनों तक इन मांगलिक कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। इसलिए भड़ली नवमी और देवशयनी एकादशी पर पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने का महत्व काफी अधिक है।

भड़ली नवमी पर कर सकते हैं ये शुभ काम

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, भड़ली नवमी पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो ऊँ रां रामाय नम: मंत्र का जप भी कर सकते हैं। शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं, ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बाल गोपाल को माखन-मिश्री और तुलसी अर्पित करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें। भड़ली नवमी पर देवी दुर्गा के किसी पौराणिक महत्व वाले मंदिर में दर्शन पूजन करें। इस दिन शिव-पार्वती का एक साथ अभिषेक करना चाहिए।

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