[ad_1]
नई दिल्ली3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि AJL (एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड) का कर्ज चुकाना एक वैध कारोबारी फैसला था। हर कंपनी को कानूनन अपना कर्ज उतारने का अधिकार है और हमने भी वही किया। AJL की संपत्ति अभी भी हमारे पास है, और कोई ट्रांसफर नहीं हुआ है।
सिंघवी के मुताबिक, एजेएल के 90 करोड़ रुपए के कर्ज को यंग इंडियन नाम की गैर-लाभकारी कंपनी ने लिया ताकि एजेएल कर्ज मुक्त हो सके। यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं बनता क्योंकि इसमें न कोई लेन-देन है, न धन का दुरुपयोग और न ही लाभ का वितरण।
सिंघवी ने पूछा कि अगर एजेएल का कर्ज टाटा या बिरला जैसे औद्योगिक घरानों ने ले लिया गया होता, तो क्या उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया जाता। मामले की जांच के लिए किसी अधिकृत व्यक्ति ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की है और सुब्रमण्यम स्वामी इस मामले में अधिकृत नहीं हैं।
यंग इंडियन के फैसले और ईडी जांच के बीच 11 साल का, और स्वामी की शिकायत और ईडी केस में आठ साल का अंतर है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने सोनिया गांधी की दलीलें सुनने के बाद मामले को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दलीलों की सुनवाई के लिए लिस्ट किया है।
सोनिया का दावा- यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी
सिंघवी ने स्पष्ट किया कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है जो लाभ, वेतन या बोनस नहीं बांट सकती, और इसके सभी उद्देश्य पारदर्शी और वैध हैं। एजेएल के पास दशकों से पूरे भारत में संपत्तियां हैं और किसी भी संपत्ति का स्वामित्व स्थानांतरित नहीं किया गया है। एजेएल के लिए धन की सख्त जरूरत थी और कांग्रेस ने ऋण देकर इसे पुनर्जीवित किया।
वहीं ईडी का दावा है कि गांधी परिवार ने यंग इंडियन के जरिए एजेएल की 2000 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर कब्जा कर लिया। एजेंसी का कहना है कि सोनिया और राहुल गांधी यंग इंडियन के लाभार्थी हैं और कंपनी के माध्यम से उन्होंने धोखे से एजेएल पर नियंत्रण प्राप्त किया।
[ad_2]
Source link