17 मिनट पहले
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मशहूर एक्ट्रेस उर्मिला भट्ट परिवार के साथ जुहू के बंगले में परिवार के साथ रहा करती थीं। पति, दो बेटे, बहू और पोता-पोती। एक खुशहाल परिवार। उनकी एक बेटी रचना भी थी, जिसकी शादी मुंबई में ही हुई थी। फरवरी में दोनों बेटों ने अपने-अपने बच्चों के साथ घूमने का प्लान बना लिया। अब उर्मिला और उनके पति घर पर अकेले थे।
21 फरवरी 1997 की बात है, जब उर्मिला के पति को एक जरूरी काम से बड़ोदा रवाना होना पड़ा। बंगला खाली पड़ गया और उर्मिला घर में अकेली थीं।
22 फरवरी को जब सुबह-सुबह कामवाली घर पहुंची तो काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला। कामवाली ने थोड़ा इंतजार किया फिर वो दूसरे घरों के लिए निकल पड़ी। अब दोपहर हो गई, दरवाजा अब भी बंद था। न कोई बाहर आया, न कोई हलचल थी।
शाम हो चुकी थी। जब बेटी रचना को पता चला कि मां घर में अकेली हैं, तो उन्होंने खैर-खबर लेने के लिए पति विक्रम पारेख को भेज दिया। करीब साढ़े 7 बजे थे। विक्रम जुहू स्थित बंगले पहुंचे और दरवाजा खटखटाने लगे। काफी देर हुई, लेकिन किसी ने अब भी दरवाजा नहीं खोला। विक्रम ने काफी आवाजें भी दीं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। शोर सुनकर पड़ोसी पहुंच गए। उन्होंने विक्रम से कहा कि सुबह कामवाली भी दरवाजा बजा-बजाकर लौट गई, लेकिन कोई नहीं आया।
विक्रम गड़बड़ भांप गए। उन्होंने तुरंत उर्मिला की बेटी रचना को कॉल कर पूरी बात बताई। रचना तुरंत घर पहुंचीं। दोनों ने काफी मशक्कत के बाद जब दरवाजा तोड़ा, तो देखा घर बेतरतीब था। नजरें घुमाईं, तो एक भयावह मंजर सामने था। उर्मिला भट्ट का रस्सियों से बंधी लाश फर्श पर पड़ी थी, हर तरफ खून ही खून था। करीब जाकर देखा तो उनके मुंह में कपड़ा ठूसा गया था, उनका गला काटा गया था, सांसें थम चुकी थीं और खून जम चुका था।
आज अनसुनी दास्तान के 3 चैप्टर्स में पढ़िए कहानी, दिलीप कुमार और अमिताभ बच्चन जैसे हर बड़े कलाकार के साथ काम कर चुकीं मशहूर एक्ट्रेस उर्मिला भट्ट की जिंदगी और हत्याकांड की कहानी-

1 नवंबर 1933 में उर्मिला भट्ट का जन्म गुलाम भारत के देहरादून में हुआ था। बचपन से ही उन्हें अभिनय में गहरी रुचि थी। यही वजह रही कि उन्होंने ड्रामा थिएटर से जुड़कर एक्टिंग करना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद वो राजकोट की संगीत कला एकेडमी में बतौर डांसर और सिंगर जुड़ गईं। उन्होंने गुजराती ड्रामा जेसल तोरल में अभिनय किया था। ये शो जबरदस्त हिट रहा, जिसके बाद पूरे गुजरात में इस नाटक की एक हजार से ज्यादा बार परफॉर्मेंस हुई। इस नाटक की कामयाबी के ही साथ उर्मिला भट्ट पूरे गुजरात में बेहतरीन अदाकार बनकर उभरीं।

फिल्म दो नंबर के अमीर (1977) में आशा सचदेव के सात उर्मिला भट्ट।
इसी नाटक की बदौलत उनके हुनर पर गुजराती फिल्ममेकर्स की नजर पड़ी थी, जिसके बाद उन्होंने गुजराती सिनेमा का रुख कर लिया। उन्होंने अपने करियर में करीब 75 गुजराती और 20 राजस्थानी फिल्मों में काम किया था। वो एक पॉपुलर कैरेक्टर आर्टिस्ट थीं।
गुजराती सिनेमा में काम करते हुए उनकी मुलाकात मशहूर गुजराती थिएटर आर्टिस्ट और गुजराती फिल्मों के डायरेक्टर मारकंड भट्ट से मुलाकात हुई। साथ काम करते हुए दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे और फिर शादी कर ली। इस शादी से कपल को 1 बेटा और एक बेटी रचना हुई।

तबस्सुम टॉकीज को दिए एक इंटरव्यू में उर्मिला भट्ट ने बताया था कि एक रोज वो किसी काम से कॉलेज गई हुई थीं। जहां उन पर मशहूर डायरेक्टर बी.आर.चोपड़ा की नजर पड़ी। वो उनके पास आए और कहा- मेरी फिल्म में एक छोटा सा रोल करोगी। उर्मिला पहले से ही थिएटर और गुजराती फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हुई थीं तो उन्होंने भी झट से हामी भर दी। इस तरह उन्हें पहली हिंदी फिल्म हमराज मिली, जो 1967 में रिलीज हुई।
फिल्म में राजकुमार, सुनील दत्त, मुमताज अहम किरदारों में थे। पहली फिल्म के चंद सेकेंड के छोटे से रोल की बदौलत उर्मिला के पास कई हिंदी फिल्मों के ऑफर आने लगे।
उनकी दूसरी हिंदी फिल्म 1968 की संघर्ष रही, जिसमें उन्हें दिलीप कुमार की बहन का रोल मिला। उस दौर में दिलीप कुमार स्टार थे। जैसे ही उर्मिला तो पता चला कि उन्हें दिलीप साहब के साथ सीन शूट करना है, तो वो नर्वस हो गईं। ऐसे में दिलीप कुमार उनके पास आए और कहा, घबराइए मत। इसके बाद वो उनके साथ प्रैक्टिस करने लगे।

एक फिल्म के सीन में राज कपूर और अशोक कुमार के साथ उर्मिला भट्ट।
आगे वो सुनील दत्त, संजीव कुमार, नूतन स्टारर फिल्म गौरी (1968) में भी नजर आईं। कैरेक्टर रोल में उर्मिला कैरेक्टर खूब पॉपुलर हुईं। 60 के दशक के अंत तक उर्मिला हिंदी सिनेमा की चहेती मां के रूप में उभरी। फिल्म दो अनजाने, तीसरी मंजिल में उन्होंने अमिताभ बच्चन की मां का किरदार निभाया, फिल्म अखियों के झरोके से में रंजीता कौर की मां, फिल्म बदलते रिश्ते में जीतेंद्र की मां का रोल प्ले किया था। इनके अलावा भी वो राम तेरी गंगा मैली, हीरो, घर हो तो ऐसा, इज्जत की रोटी, बहूरानी, अभिमन्यू जैसी कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रहीं।

अपने 40 साल के एक्टिंग करियर में उर्मिला ने 140 हिंदी फिल्में कीं।
फिल्मों के अलावा उन्होंने कई टीवी शोज में भी काम किया था। वो रामानंद सागर के ऐतिहासिक माइथोलॉजिकल शो रामायण में सीता की मां सुनैना की भूमिका में नजर आई थीं।
कैसे मिला था रामायण में सीता की मां का रोल
साल 1986 में रामानंद सागर टीवी शो रामायण बना रहे थे। एक रोज रामानंद के सौतेले भाई विधु विनोद चोपड़ा उनसे मिलने रामायण के सेट पर पहुंचे थे। उनके साथ बी.आर.चोपड़ा और उर्मिला भट्ट भी पहुंची थीं।
जैसे ही रामानंद सागर की नजर उर्मिला पर पड़ी, वो दो मिनट के लिए उन्हें देखते रहे और फिर झट से कहा- महारानी सुनैना मिल गईं। आसपास मौजूद लोग कुछ समझ नहीं सके। रामानंद सागर ने फिर उर्मिला से कहा, क्या आप मेरे शो में राजा जनक की पत्नी और माता सीता की मां सुनैना का रोल करेंगी। उर्मिला ने भी बिना समय गंवाए तुरंत हामी भर दी। बताते चलें कि इस शो में अरुण गोविल ने राम और दीपिका चिखलिया ने माता सीता की भूमिका निभाई थी। ये दुनिया का सबसे ज्यादा चलने वाला टीवी शो है, जिसकी 77 मिलियन व्यूअरशिप है। 80 के दशक में ये सबसे महंगा टीवी शो था, जिसके एक एपिसोड में करीब 9 लाख रुपए खर्च किए जाते थे।
रामायण के अलावा वो राजश्री प्रोडक्शन के टीवी सीरियल पेइंग गेस्ट, श्याम बेनेगल के शो भारत एक खोज और जीटीवी के शो जी हॉरर शो में भी काम कर अच्छी पहचान बना चुकी थीं। उन्होंने टीवी के पॉपुलर एनिमेटेड शो द जंगल बुक में मोगली की भेड़िया मां चमेली की आवाज दी थी।

1995 तक उर्मिला फिल्मों में एक्टिव रहीं और बदलने दौर के साथ उन्हें फिल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो चुका था। वो पारिवारिक जिंदगी में खो गई थीं। उनकी बेटी की शादी मुंबई में ही विक्रम पारेख से हुई और बेटों की भी शादियां हो चुकी थीं। वो फिल्मों रिटायर होने के बाद अपना ज्यादातर समय पोते-पोतियों और नातिन के साथ बिताया करती थीं।
तबस्सुम टॉकीज को दिए एक इंटरव्यू में उर्मिला भट्ट ने कहा था कि वो खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हैं, क्योंकि उन्हें भगवान ने दादी और नानी बनने का सौभाग्य दिया है।
22 फरवरी 1997 से कुछ रोज पहले ही उनके बच्चे अपने-अपने परिवारों के साथ छुट्टियां मनाने शहर से बाहर गए हुए थे। पति मारकंड कुछ समय पहले ही संगीत नाटक एकेडमी के चेयरमैन के पद से रिटायर हुए थे। उस समय उर्मिला 63 साल की थीं और उनके पति 67 के। दोनों अक्सर ज्यादातर समय घर में साथ बिताया करते थे, लेकिन उस रोज मारकंड को भी एक जरूरी काम से बरोड़ा जाना पड़ा। उर्मिला घर में अकेली थीं, जिसके बाद अगले दिन उनकी लाश मिली थी।
उर्मिला की हत्या की खबर सुनकर पूरा परिवार घर पहुंच गया। पुलिस ने जांच शुरू की, तो सामने आया कि घर का हर कीमती सामान गायब है। उर्मिला की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, उनके साथ बुरी तरह मारपीट की गई थी। उनके हाथ-पैर में रस्सी से बांधे जाने के निशान थे। उनका गला एक धारदार हथियार से काटा गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कई मिनटों तक बचने के लिए जद्दोजहद की थी। जिससे उनकी 22 फरवरी की रात ही मौत हो चुकी थी। हालांकि उनकी लाश कई घंटों बाद अगले दिन 23 फरवरी की दोपहर को मिला। जांच में ये भी सामने आया कि बंगले का पीछे का दरवाजा खुला हुआ था। हत्याकांड की जांच के लिए मुंबई पुलिस ने इंस्पेक्टर सत्यपाल सिंह की अगुवाई में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई थी। अज्ञात के खिलाफ लूटपाट और हत्या से जुड़ी धाराओं पर केस दर्ज किया गया। लंबी जांच की गई, लेकिन महीनों बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहे। आज उर्मिला की हत्या के 28 साल बीत चुके हैं, लेकिन उनकी हत्या की गुत्थी कभी सुलझ नहीं सकी।
तबस्सुम टॉकीज में एक्ट्रेस तबस्सुम ने बताया था कि कुछ लुटेरे लूटपाट के इरादे से उर्मिला के घर में दाखिल हुए थे। उन्होंने पहले उनके हाथ-पैर बांधे और फिर घर का कीमती सामान लूट लिया। वो उर्मिला को जिंदा छोड़ने वाले थे, लेकिन बाद में पकड़े जाने के डर से उन्होंने जाते हुए उर्मिला का गला रेत दिया।
उर्मिला भट्ट की बेहतरीन फिल्में
हमराज (1967)
गौरी (1968)
दो अनजाने (1976)
खून पसीना (1977)
मंजिल (1979)
उर्मिला भट्ट को उनकी बेहतरीन अदाकारी के लिए BFJA अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उर्मिला भट्ट के पति मारकंड भट्ट का साल 2012 में निधन हो चुका है।