shubhanshu shukla farewell ceremony NASA Axiom-4 Mission return to earth on july 14 | अंतरिक्ष से शुभांशु बोले-भारत आज भी सारे जहां से अच्छा: फेयरवेल सेरेमनी में पहले भारतीय एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा की बात दोहराई; कल धरती पर वापसी


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नई दिल्ली50 मिनट पहले

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एक्सियम-4 मिशन पर गए शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे। - Dainik Bhaskar

एक्सियम-4 मिशन पर गए शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे।

अंतरिक्ष में 17 दिन रहने के बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर वापस लौटेंगे। इससे पहले 13 जुलाई की शाम फेयरवेल सेरेमनी में उन्होंने भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के 1984 में दिए आइकॉनिक डायलॉग को दोहराते हुए कहा- भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है।

उन्होंने कहा- जब मैंने 25 जून को फाल्कन 9 रॉकेट ये यात्रा शुरू की थी, तब नहीं सोचा था कि यह यात्रा इतनी अविश्वसनीय रहेगी। मेरे पीछे खड़ी टीम के बिना यह यात्रा इतनी अविश्वसनीय नहीं होती। यहां होना बहुत खुशी की बात है।

शुभांशु ने कहा कि बीते ढाई हफ्ते में हमने स्पेस स्टेशन पर साइंस एक्टिविटी की, आउटरीच एक्टिवटी की, इसके बाद जितना भी समय मिला हमने स्पेस स्टेशन की खिड़की से धरती को निहारा।

14 जुलाई को शुभांशु की धरती पर वापसी

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटेंगे। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी है। एक्सियम-4 ( Axiom-4) मिशन के तहत शुभांशु सहित चार क्रू सदस्य इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचे थे।

एक्सियम मिशन को 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। ड्रैगन अंतरिक्ष यान को 28 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर डॉक किया गया था। हालांकि यह मिशन 14 दिनों का था। अब एस्ट्रोनॉट की वापसी चार दिन देरी से होगी।

6 जुलाई को शुभांशु के ISS स्टेशन से कुछ तस्वीरें सामने आईं थीं। जिसमें शुभांशु कपोला मॉड्यूल के विंडो से पृथ्वी देखते नजर आ रहे थे। कपोला मॉड्यूल एक गुंबदनुमा ऑब्जर्वेशन विंडो है, जिसमें 7 खिड़कियां होती हैं।

स्पेस स्टेशन से शुभांशु शुक्ला की तस्वीरें…

शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

शुभांशु शुक्ला ने ISS के कपोला मॉड्यूल की खिड़कियों से धरती का खूबसूरत नजारा देखा।

तस्वीरों में शुभांशु शुक्‍ला के चेहरे पर मुस्‍कुराहट रही, वे स्‍वस्‍थ और खुश नजर आए।

तस्वीरों में शुभांशु शुक्‍ला के चेहरे पर मुस्‍कुराहट रही, वे स्‍वस्‍थ और खुश नजर आए।

शुभांशु ने कपोला मॉड्यूल के अंदर कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भी खींचीं।

शुभांशु ने कपोला मॉड्यूल के अंदर कैमरे से पृथ्वी की तस्वीरें भी खींचीं।

केंद्र सरकार ने X पर लिखा था- शुभांशु ने अंतरिक्ष में सितारों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया।

केंद्र सरकार ने X पर लिखा था- शुभांशु ने अंतरिक्ष में सितारों के बीच भारत का प्रतिनिधित्व किया।

शुभांशु ने PM से कहा था- अंतरिक्ष से कोई सीमा नहीं दिखती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 जून को शुभांशु से वीडियो कॉल पर बातचीत की थी। उन्होंने पूछा कि अंतरिक्ष को देखकर उन्हें सबसे पहले क्या महसूस हुआ, तो ग्रुप कैप्‍टन शुक्ला ने कहा, ‘अंतरिक्ष से, आपको कोई सीमा नहीं दिखती। पूरी पृथ्वी एकजुट दिखती है।’

शुभांशु ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा- अंतरिक्ष से भारत बहुत भव्य दिखता है। हम दिन में 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु शुक्ला से पूछा कि आप गाजर का हलवा लेकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए हैं। क्या आपने अपने साथियों को खिलाया। इस पर शुभांशु ने कहा कि हां साथियों के साथ बैठकर खाया।

तस्वीर 26 जून की है, जब स्पेस स्टेशन का हैच खुलने के बाद शुभांशु ने एंट्री की थी। वे साथी एस्ट्रोनॉट से गिले मिले थे।

तस्वीर 26 जून की है, जब स्पेस स्टेशन का हैच खुलने के बाद शुभांशु ने एंट्री की थी। वे साथी एस्ट्रोनॉट से गिले मिले थे।

एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं शुभांशु शुक्ला

शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा हैं, जिसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए हैं। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन है, जो अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA और स्पेसएक्स की साझेदारी से हो रहा है। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है।

शुभांशु को ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स​​ के 7 प्रयोग करने थे। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज के हैं। उन्हें NASA के साथ 5 अन्य प्रयोग भी करने थे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाया जाना था। इस मिशन में किए गए प्रयोगों ने भारत के गगनयान मिशन को मजबूत किया है।

41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।

स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया था।

स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला को 634 नंबर का बैज दिया गया था।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।

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शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में मूंग-मेथी उगाए, सेल्फी ली; कहा- भारतीय वैज्ञानिकों के लिए नए रास्ते खुलेंगे

लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में किसानी करते नजर आए। शुभांशु ने पेट्री डिश में मेथी और मूंग के बीज उगाए। इसके साथ सेल्फी भी ली। इसके बाद मूंग और मेथी को स्टोरेज फ्रीजर में सुरक्षित रख दिया गया। इन बीजों को शुभांशु अपने साथ ले गए थे। पूरी खबर पढ़ें…



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