[ad_1]
नई दिल्ली3 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी आर गवई ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके सरनेम से संबोधित करने पर एक वकील को फटकार लगाई। दरअसल, वकील मैथ्यूज नेदुम्परा सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस वर्मा को सिर्फ ‘वर्मा’ कहकर संबोधित कर रहे थे।
इस पर CJI ने कहा, ‘क्या वे आपके दोस्त हैं? वे अब भी जस्टिस वर्मा हैं। आप उन्हें कैसे संबोधित करते हैं? थोड़ी मर्यादा रखिए। आप एक विद्वान जज की बात कर रहे हैं। वे अब भी इस अदालत के जज हैं।’ वकील ने जवाब दिया, ‘मुझे नहीं लगता कि उन्हें इतनी इज्जत देनी चाहिए।
इस पर CJI ने कहा, ‘प्लीज, कोर्ट को ऑर्डर मत दीजिए।’ साथ ही कोर्ट ने कैश बरामदगी मामले में वकील मैथ्यूज नेदुम्परा की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की थी।
दरअसल, जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित घर में 14 मार्च की रात आग लगी थी। उनके घर के स्टोर रूम से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस थे। बाद में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया था।

यह तस्वीर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी की गई थी। इसमें 500 रुपए के नोटों की जली हुई गड्डियां नजर आ रही हैं।
समझिए जस्टिस वर्मा का कैश कांड क्या है जस्टिस वर्मा के लुटियंस स्थित बंगले पर 14 मार्च की रात 11:35 बजे आग लगी थी। इसे अग्निशमन विभाग के कर्मियों ने बुझाया था। घटना के वक्त जस्टिस वर्मा शहर से बाहर थे। 21 मार्च को कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि जस्टिस वर्मा के घर से 15 करोड़ कैश मिला था। काफी नोट जल गए थे।
22 मार्च को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की इंटरनल जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था।
रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।
[ad_2]
Source link