Gujarat ATS arrested Al Qaeda related woman named Sama Parveen from Bengaluru | बेंगलुरु से 30 साल की शमा परवीन अरेस्ट: गुजरात ATS का दावा- अलकायदा मॉड्यूल से जुड़ी; 7 दिन पहले भी 4 आतंकियों को गिरफ्तार किया था

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अहमदाबाद37 मिनट पहले

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आरोपी शमा परवीन 30 साल की है। - Dainik Bhaskar

आरोपी शमा परवीन 30 साल की है।

गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते ATS ने बेंगलुरु के हेब्बल इलाके से शमा परवीन को गिरफ्तार किया है। ATS ने बुधवार को बताया कि शमा अलकायदा से जुड़े एक अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा है। इसे 29 जुलाई को अरेस्ट किया गया।

ATS के डीआईजी सुनील जोशी के मुताबिक, 30 साल की परवीन सोशल मीडिया के जरिए अलकायदा से जुड़ी थी। इसे सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करने की जिम्मेदारी दी गई थी। फिलहाल उससे पूछताछ की जा रही है, जिससे नेटवर्क के अन्य सदस्यों और उनकी साजिशों का पता चल सके।

गुजरात एटीएस ने 23 जुलाई को नोएडा, दिल्ली, यूपी और गुजरात से 4 आतंकियों को अरेस्ट किया था। इन्हीं की निशानदेही पर शमा परवीन की गिरफ्तारी हुई है। परवीन की गिरफ्तारी से यह भी संकेत मिला है कि आतंकी संगठन अब महिला स्लीपर सेल को भी सक्रिय कर रहे हैं।

क्या है आतंकी संगठन AQIS? अल कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट यानी AQIS का गठन 2014 में अल जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप में अल कायदा का प्रभाव बढ़ाने के लिए किया था। जवाहिरी कुख्यात आतंकी ओसामा बिन लादेन का उत्तराधिकारी है। AQIS वैश्विक रूप से प्रतिबंधित आतंकी संगठन है।

AQIS तालिबान की छत्रछाया में अफगानिस्तान के निमरोज, हेलमंद और कंधार प्रांतों से ऑपरेट होता है। अल जवाहिरी ने AQIS के गठन के समय करीब एक घंटा लंबा वीडियो जारी करते हुए भारतीय मूल के असीम उमर नामक एक व्यक्ति का परिचय कराया था। असीम उमर ही AQIS का चीफ बना था।

उमर को 2018 में यूनाइटेड नेशंस ने वैश्विक आतंकी घोषित किया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, असीम उमर को 2019 में हेलमंद प्रांत के मूसा कला में अमेरिकी-अफगान मिलिट्री ने एक जॉइंट ऑपरेशन में मार गिराया था। इसके बाद असीम उमर की जगह पाकिस्तान में जन्मा ओसामा महमूद AQIS का चीफ बना था।

किन देशों में है AQIS की मौजूदगी रिपोर्ट्स के मुताबिक, AQIS भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश में ऑपरेट करता है। सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, बांग्लादेश में इस ग्रुप का आधिकारिक नाम अंसार-अल-इस्लाम है।

माना जाता है कि बांग्लादेश में हाल में हुए कई प्रमुख सेक्युलर शख्सियतों पर हमले और उनकी हत्या के लिए यह आतंकी समूह जिम्मेदार है। आतंकी संगठन अंसार-अल-इस्लाम ने ही बांग्लादेश में सेक्युलर एक्टिविस्ट, लेखकों, प्रोफेसर और डॉक्टरों की हत्या की जिम्मेदारी ली है।

दुनिया भर में उग्रवादी समूहों के खिलाफ लड़ाई के लिए बने नॉन-प्रॉफिट गैर-सरकारी संगठन काउंटर एक्स्ट्रीमिज्म प्रोजेक्ट यानी CEP के मुताबिक, म्यामांर में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ हुई हिंसा के जवाब में अल कायदा ने AQIS को म्यामांर में हमले करने के लिए कहा था।

AQIS ने सितंबर 2014 में कराची के नेवल डॉकयार्ड में एक पाकिस्तानी युद्धपोत को अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया था।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा संघ यानी UNSC द्वारा जुलाई 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, AQIS के पास करीब 150 से 200 आतंकी हैं।

भारत में आतंकी संगठन AQIS कितना एक्टिव है? दिल्ली में 2015 में तीन आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद AQIS की भारत में मौजूदगी का पहली बार पता चला था। दिल्ली पुलिस ने बाद में AQIS के आतंकी मौलाना अब्दुल रहमान कासमी को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने दावा किया कि इस आतंकी संगठन ने झारखंड के जंगलों में ट्रेनिंग कैंप बना रखा है।

जुलाई 2021 में UP पुलिस ने अल कायदा से जुड़े आतंकी संगठन अंसार गजवत उल हिंद के 2 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया था कि ये दोनों आतंकी स्वतंत्रता दिवस से पहले लखनऊ में भीड़-भाड़ वाली जगहों पर हमले की योजना बना रहे थे।

अक्टूबर 2021 में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी, यानी NIA ने भारत में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन की एक्टिविटी रोकने के लिए एक कथित AQIS आतंकी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। NIA ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के अबू सुफियान पर एक्सक्लूसिव सब्सटेंस एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था।

असम में अप्रैल 2022 में बारपेटा जिले से 6 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों पर बारपेटा जिले को अल कायदा और उससे संबंधित संगठन की गैरकानूनी गतिविधियों का बेस बनाने का आरोप था।

इसके बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य से आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने के आदेश दिए। असम के DGP भास्कर ज्योति महंता ने एक बातचीत में कहा था- इन सभी आतंकियों के लीडर बांग्लादेश के हैं। हम पहले ही अनौपचारिक रूप से इस मामले को बांग्लादेश सरकार के साथ उठा चुके हैं। साथ ही हम इस मामले को जल्द ही इंटरपोल के जरिए भी उठाएंगे।

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