‘गांव में कई नेता और अभिनेता आए। फोटो खिंचवाए, लेकिन सब बात करके निकल गए। राहुल गांधी पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने न फोटो खिंचवाई, न भाषण दिया, लेकिन घर बनवा रहे हैं।’
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यह कहना है माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी का। दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी जून में दिवंगत दशरथ मांझी के परिवार से गयाजी में मिले थे। वे मिट्टी के बने घर में कुछ देर ठहरे और नारियल पानी पिया था।
हालांकि, घरवालों से घर को लेकर कोई बात नहीं हुई थी। राहुल गांधी के जाने के 10 दिन बाद चुपचाप दरवाजे पर ठेकेदार व मजदूर पहुंचे और काम शुरू कर दिया।
एक बड़ा कमरा, एक किचन, एक बाथरूम और एक हॉल नया बन रहा है। पहले से 3 अधूरे कमरे बने थे, उसे जोड़कर अब 4 कमरे का घर हो जाएगा। छत की ढलाई हो चुकी है।
फिनिशिंग और वॉल प्लास्टर का काम चल रहा है। घर वालों का कहना है कि गृह प्रवेश में राहुल गांधी आ सकते हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बनवा रहे हैं एक कमरा और एक हॉल।
दशरथ मांझी के गांव से पढ़िए और देखिए, ग्राउंड रिपोर्ट…।
भागीरथ मांझी का पुराना मिट्टी का घर भी पास में ही है। नया घर मिट्टी के घर के उत्तर दिशा में बन रहा है। जहां नया घर बन रहा है, उसके पीछे पहले से 3 छोटे-छोटे कमरे थे। उसी घर के आगे एक बड़े कमरा, एक हॉल, एक शौचालय और एक किचन बन रहा है। पुराने कमरे 8 बाई 10 के है। नया कमरा 10 बाई 12 फीट का होगा। एक 5 बाई 5 का हॉल है।
जब हम (भास्कर रिपोर्टर) पहुंचे तो मजदूर काम कर रहे थे। भागीरथ मांझी ने बताया, ‘पिता दशरथ मांझी ने 22 साल तक दिन रात लगकर पहाड़ तोड़कर रास्ता बनाया, लेकिन उस परिवार के लिए सरकार ने कुछ खास नहीं किया। नीतीश कुमार ने पिता को हाइलाइट किया। फिल्म भी बनी। सड़क भी बनी, लेकिन हमारे लिए कुछ नहीं किया। हमने उनसे कुछ नहीं मांगा है।’
‘एक बार नीतीश कुमार ने पूछा था कि आपको क्या चाहिए तो मैंने मना कर दिया था। मेरी सिर्फ एक बेटी है, उसके लिए क्या ही चाहिए। हमने उनसे सिर्फ एक घर मांगा था। तब उन्होंने जवाब दिया था कि आपको तो इंदिरा आवास मिला है ना।’

6 जून को राहुल गांधी ने गयाजी में भगीरथ मांझी से मुलाकात की थी। बिहार कांग्रेस ने फोटो फेसबुक पर डाली थी।
राहुल गांधी ने भाषण नहीं, काम करवाया
भागीरथ मांझी बताते हैं, ‘उसी इंदिरा आवास के पैसे से पीछे के 3 अधूरे कमरे बनवाए गए थे। लेकिन अब जो नया हिस्सा बन रहा है, वह पूरी तरह राहुल गांधी बनवा रहे हैं। इससे पहले एक बार जीतन राम मांझी भी मिले थे तो उन्होंने कहा था- अरे रहिए न मिट्टी वाले ही घर में। कम से कम आश्वासन तो दे देते। इस गांव में कई नेता और अभिनेता आए। फोटो खिंचवाए, लेकिन सब बात करके निकल गए। राहुल गांधी पहले ऐसे नेता हैं, जिन्होंने न फोटो खिंचवाया, न भाषण दिया, लेकिन काम करवा रहे हैं।’

6 जून को अपने बिहार दौरे के दौरान राहुल गांधी गयाजी के उस रास्ते पर भी गए, जहां माउंटेन मैन दशरथ मांझी ने पहाड़ काटकर रास्ता बनाया।
राहुल गांधी ने टिकट देने को कहा है
राहुल गांधी कैसे नेता लगते हैं, के सवाल पर कहते हैं, ‘राहुल गांधी नेता ठीक ही है। राहुल गांधी ने टिकट देने की बात की है। हम असमंजस में हैं कि मिलेगा या नहीं, लेकिन अगर मिलेगा तो चुनाव लड़ेंगे। हम पार्टी में है। जहां-जहां पार्टी के लोग या राहुल गांधी बुलाते हैं वहां मैं जाता ही हूं।’
दिवंगत दशरथ मांझी के परिवार में उनके बेटे भागीरथ मांझी अपनी बेटी लौंगी देवी, दामाद और उनके बच्चों के साथ रहते हैं। भागीरथ मांझी की पत्नी का निधन हो गया है। दामाद मिथुन मांझी बोधगया मंदिर मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य हैं।
उनके दामाद कहते हैं, ‘हमने कभी सोचा नहीं था कि राहुल गांधी ऐसा कुछ करेंगे। परिवार को अच्छे मकान की जरूरत थी, वो अब पूरी हो रही है। अगले एक से डेढ़ महीने में घर बनकर तैयार हो जाएगा।’

दिवंगत दशरथ मांझी का परिवार इस झोपड़ी में रहता है। इसके अलावा इंदिरा आवास से 3 कमरे का घर भी बना है, जिसे राहुल गांधी कंप्लीट कर रहे हैं।
पत्नी की मौत के बाद दशरथ मांझी ने काट दिया था पहाड़
दशरथ मांझी का जन्म 1934 में गयाजी जिले के गहलौर गांव में हुआ था। वे एक मुसहर जाति से ताल्लुक रखते थे। बहुत कम उम्र में मजदूरी करने लगे।
1950 में दशरथ मांझी ने भागीरथी देवी से विवाह किया। गहलौर और नजदीक के बाजार वजीरगंज के बीच एक पहाड़ था, जिससे गांव के लोग अस्पताल, बाजार, स्कूल आदि से कट गए थे। वजीरगंज जाने के लिए घूमकर 55 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी।
1960 में एक दिन दशरथ मांझी की पत्नी भागीरथी देवी पहाड़ पार कर खाना और पानी लाने गई थीं। लौटते समय पहाड़ पर फिसल कर गईं और गंभीर रूप से घायल हो गईं। अस्पताल दूर था। समय पर नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना ने दशरथ मांझी को झकझोर दिया। उन्होंने ठान लिया कि वे पहाड़ को काटकर रास्ता बनाएंगे और बाजार की दूरी को कम करेंगे।

दशरथ मांझी पर 2015 में फिल्म “माउंटेन मैन” बनी थी।
बिना किसी सरकारी मदद के 1960 से अकेले ही पहाड़ काटना शुरू किया। 22 साल तक लगातार पहाड़ काटने के बाद 1982 में 110 मीटर लंबा, 9.1 मीटर चौड़ा और 7.6 मीटर गहरा रास्ता तैयार हो गया।
इससे वजीरगंज और गहलौर दूरी 55 किलोमीटर से घटकर मात्र 15 किलोमीटर रह गई। इसके बाद मांझी का काम धीरे-धीरे मीडिया और सामाजिक कार्यकर्ताओं के जरिए चर्चा में आया।
2006 में सरकार ने बनाया राज्य अतिथि
2006 में बिहार सरकार ने उन्हें राज्य अतिथि का दर्जा दिया। तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने भी उनके योगदान की सराहना की। दशरथ मांझी को पित्त की नली में कैंसर हो गया। 17 अगस्त 2007 को उनका निधन दिल्ली AIIMS में हुआ।बिहार सरकार ने राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराया।
2015 में उन पर आधारित फिल्म “माउंटेन मैन” रिलीज हुई, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने उनका किरदार निभाया। गहलौर में मांझी स्मारक और रास्ते को उनका नाम दिया गया।
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गयाजी में पहाड़ काट कर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी के परिवार की जिंदगी अब बदल रही है। यह बदलाव किसी योजना या सरकार की वजह से नहीं हो रही है। बल्कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पहल से हो रहा है। राहुल गांधी ने गहलौर गांव में दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी के लिए पक्का घर बनवाने का जिम्मा खुद उठाया है। घर बन कर तैयार होने के बाद राहुल गांधी खुद गृह प्रवेश में आएंगे और परिवार के साथ सत्तू पीने का उन्होंने वादा भी किया हैं। पूरी खबर पढ़िए