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19 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण गोपाल
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घोड़ों को खतरनाक सांपों का जहर दिया जा रहा है। जानते हैं क्यों… ताकि इंसानों की जान बचाई जा सके। वहीं, एक ऐसी कार जिसमें स्विमिंग पूल और हेलीपैड भी है।

1. सांपों को जहर देने से इंसानों की जान कैसे बचेगी? 2. ये कैसी कार जिसमें स्विमिंग पूल और हेलीपैड भी है? 3. साउथ अमेरिकी देश चिली में कैसे बना एक और देश? 4. अफ्रीका में जवान होते ही लड़कियों के दांत क्यों तोड़ते हैं? 5. राजस्थान के गांव में बस कंडक्टर अमेरिका की टिकट क्यों काटता है?


AI जनरेटेड इमेज।
सांप अगर किसी जानवर या इंसान को काट ले तो क्या होगा…? सीधी सी बात है, अगर समय पर इलाज न मिले तो वो मर जाएगा। लेकिन घोड़ों को जानबूझकर सांप के जहर से भरे इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए ताकि इंसानों की जान बचाई जा सके।
दरअसल, ये एंटीवेनम यानी सांप के जहर को बेअसर करने की दवा बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। एंटीवेनम बनाने का प्रोसेस काफी कॉम्पलेक्स होता है। इसके लिए पहले सांप को एक स्पेशल कप में बाइट कराके उसका जहर कप में स्टोर हो किया जाता है। इस जहर को केमिकल और बायोलॉजिकल प्रोसेस के बाद घोड़ों में इंजेक्ट किया जाता है।
ऐसा करने से घोड़े का इम्यून सिस्टम जहर के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाता है। इसके बाद घोड़े से खून निकालकर उससे एंटीबॉडीज अलग की जाती हैं। इसका इस्तेमाल सांप के जहर का एंटीवेनम बनाने में किया जाता है।
प्रोसेस के दौरान घोड़े की मौत भी हो सकती है भले ही घोड़े को सांप का जहर प्रोसेस करने के बाद और कम मात्रा में ही दिया जाता है, लेकिन इतने जहर से भी जानवर के अंदरूनी अंगों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है। इससे घोड़े की मौत भी हो सकती है।


एक कार आज-कल खूब चर्चा में है, इसका नाम है द अमेरिकन ड्रीम। ये दुनिया की सबसे लंबी कार है। इसकी लंबाई 100 फीट यानी करीब 30 मीटर है। इसमें एक साथ 75 लोग बैठ सकते हैं। इतना ही नहीं कार में हेलीपैड, स्विमिंग पूल और मिनी गोल्फ कोर्स भी है। यह कार दो हजार किलोग्राम से भी ज्यादा का वजन उठा सकती है।
अमेरिका के कार डिजाइनर जे ओहरबर्ग ने 1986 में इसे बनाया था। तब भी यह दुनिया की सबसे लंबी का थी। इस कार में 26 पहिए और दो V8 इंजन लगे हैं। ये इंजन आम तौर पर हैवी गाड़ियों जैसे एसयूवी और ट्रकों में लगते हैं।
साल 2000 के बाद यह कहीं गायब सी हो गई। काफी सालों बाद मिशेल मैनिंग नाम के व्यक्ति को यह न्यूजर्सी के एक गोदाम में बहुत खराब हालत में मिली। उन्होंने इस कार को फिर से ठीक किया।
साथ ही इसकी लंबाई डेढ़ इंच और बढ़ा दी। इसके साथ ही इस कार ने 100 फीट 1.5 इंच की लंबाई के साथ अपना ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया।


साउथ अमेरिका में एक छोटा सा देश आज-कल चर्चा में है। ये जल्द ही अपनी फुटबॉल टीम बनाने जा रहा है। लेकिन चर्चा की वजह यह नहीं बल्कि इस देश के बनने की कहानी है।
इस देश का नाम ‘ग्लेशियर रिपब्लिक’ है। ग्रीनपीस नाम के एन्वायरमेंटल ऑर्गनाइजेशन ने 5 मार्च, 2014 को जागरूकता अभियान के दौरान इसकी स्थापना की। यह अभियान ग्लेशियरों के आस-पास कंस्ट्रक्शन करने और उसे नुकसान पहुंचाने के विरोध में चलाया गया था।
दरअसल, चिली और अर्जेंटीना में ग्लेशियरों की सुरक्षा को लेकर कोई कानून नहीं है। साथ ही दोनों के बीच 14 हजार किलोमीटर ग्लेशियर इलाके पर विवाद भी है। इसके चलते ऑर्गनाइजेशन ने चिली के अंदर इस इलाके को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया।
इस देश का अपना झंडा और पासपोर्ट भी है। करीब 1.65 लाख लोगों ने इसकी ऑनलाइन नागरिकता ली है। चिली में साउथ अमेरिका के 82% ग्लेशियर हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। ग्रीनपीस का कहना है कि जैसे ही चिली ग्लेशियर बचाने के लिए कानून बना देगा, हम इलाका उसके हवाले कर देंगे।


आज दुनिया चांद-तारों पर जा रही है, नए-नए आविष्कार हो रहे हैं, लेकिन अफ्रीका की एक जनजाति अपनी अजीबो-गरीब परंपरा के लिए चर्चा में है। आमतौर पर लड़कियों सुंदर दिखने के तरह-तरह के साज-सिंगार करती हैं लेकिन ‘सुरी जनजाति’ में लड़कियों के युवा होते ही नीचे के दो तोड़ दिए जाते हैं।
इतनी ही नहीं निचले होठ और दांतों के बीच मिट्टी या लकड़ी की डिस्क घुसा दी जाती है। इस डिस्क का आकार 6 महीने में बढ़ा दिया जाता है। जितनी बड़ी यह लिप डिस्क होगी, लड़की को उतना ही अच्छा कन्याधन और सामाजिक दर्जा मिलता है।
दरअसल, यह परंपरा सुरी जनजाति ने अपने समाज की महिलाओं को गुलाम-व्यापार से बचाने के लिए यह शुरू की थी। लड़कियां सुंदर नहीं लगेंगी तो उनको गुलाम बनाए जाने का खतरा भी कम होगा। हालांकि, अब यह परंपरा सुंदरता का प्रतीक बन गई है।


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क्या आपने कभी बस से अमेरिका जाने का सोचा है? नहीं, लेकिन राजस्थान की एक बस आपको सीधे अमेरिका ले जा सकती है, वो भी पासपोर्ट और वीजा के बिना। चौंक गए न, ऐसी ही राजस्थान के फलोदी जिले से बाहर के कुछ लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं जब बस कंडक्टर जोर से चिल्लाता है… ‘न्यू अमेरिका’ वाले उतर जाओ।
दरअसल, फलोदी जिले के एक गांव नाम सरकारी कागजों में इसका नाम भले ‘लोर्डिया’ है लेकिन यह न्यू अमेरिका के नाम से जाना जाता है। बताते हैं, इसका ये नाम साल 1951 में होली के कवि सम्मेलन से मशहूर हुआ।
एक कवि ने बढ़ती ताकत का हवाला देकर चीन पर कविता सुनाई और गांव को ‘लाल चीन’ नाम से संबोधित किया। वहीं, दूसरे कवि ने तरक्की और समृद्धि की मिसाल देते हुए अमेरिका पर कविता सुनाई और गांव को ‘न्यू अमेरिका’ नाम दिया। लोगों को वह कविता बहुत पसंद आई और धीरे-धीरे गांव न्यू अमेरिका के नाम से फेमस हो गया।
तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…
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