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सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 6 मार्च, 2025 को कलकत्ता हाई कोर्ट के जज जस्टिस जॉयमाल्या बागची को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले 5 सदस्यीय कॉलेजियम ने जस्टिस बागची के नाम की सिफारिश की।
कॉलेजियम के मुताबिक, 18 जुलाई, 2013 को जस्टिस अल्तमस कबीर के रिटायर्ड होने के बाद से कलकत्ता हाईकोर्ट से कोई भी न्यायाधीश CJI नहीं बना है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट से सिर्फ एक ही जज हैं।

तसलीमा नसरीन की किताब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ केस लड़े
बागची ने खुद को एक प्रतिष्ठित वकील के रूप में स्थापित किया और विभिन्न हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई आपराधिक और संवैधानिक कानून मामलों में पैरवी की। उनकी प्रमुख कानूनी उपलब्धियों में बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन की किताब ‘द्विखंडितो’ पर लगे प्रतिबंध का विरोध करना शामिल है।
इसके अलावा, उन्होंने नागरिक स्वतंत्रता, पर्यावरण संरक्षण और मानवाधिकारों से जुड़े मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया, ‘कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है, कि जस्टिस जॉयमाल्या बागची को भारत के सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।’
कॉलेजियम में CJI संजीव खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल हैं। उन्होंने यह नोट किया कि जस्टिस जॉयमाल्या बागची हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 11वें स्थान पर हैं।
सिफारिश को मंजूरी मिली तो सुप्रीम कोर्ट में 33वें न्यायाधीश होंगे
वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में कलकत्ता हाई कोर्ट का केवल एक प्रतिनिधित्व है। अगर केंद्र सरकार कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी देती है तो, जस्टिस बागची सुप्रीम कोर्ट में 33वें न्यायाधीश होंगे। अभी अदालत में जजों की स्वीकृत संख्या 34 है।
सिफारिश को मंजूरी मिली तो CJI भी बन सकते हैं जस्टिस बागची
अगर कॉलेजियम की मंजूरी मिलती है तो जस्टिस बागची बतौर न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट में 6 से अधिक सालों तक का कार्यकाल पूरा करेंगे। ऐसे में जस्टिस केवी विश्वनाथन की 25 मई, 2031 के रिटायर्ड होने के बाद, जस्टिस जॉयमाल्या बागची 2 अक्टूबर, 2031 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।
जस्टिस हरीश टंडन को उड़ीसा हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की सिफारिश
एक अन्य प्रस्ताव में कॉलेजियम ने सिफारिश की है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस हरीश टंडन को उड़ीसा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाए।

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस हरीश टंडन। (फाइल फोटो)
जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह के बीते 19 जनवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद से उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद खाली है।
सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट जज बनाने के लिए कॉलेजियम व्यवस्था
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनने के लिए एक तय प्रक्रिया है, जिसे ‘सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम’ कहते हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज शामिल होते हैं। केंद्र इसकी सिफारिशों को स्वीकार करते हुए नए CJI और अन्य जजों की नियुक्ति करता है।
परंपरा के तहत सुप्रीम कोर्ट में अनुभव के आधार पर सबसे सीनियर जज ही चीफ जस्टिस बनते हैं। यह प्रक्रिया एक ज्ञापन के तहत होती है, जिसे MoP यानी ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर फॉर द अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जजेज’ कहते हैं।
MoP से पहले भी सबसे सीनियर जज CJI बनते थे
साल 1999 में पहली बार MoP तैयार हुआ। यही डॉक्यूमेंट, जजों के अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के दायित्व तय करता है। MoP और कॉलेजियम के सिस्टम को लेकर संविधान में कोई अनिवार्यता या कानून नहीं बनाया गया है, लेकिन इसी के तहत जजों की नियुक्ति होती आ रही है। हालांकि 1999 में MoP तैयार होने के पहले से ही CJI के बाद सबसे सीनियर जज को पदोन्नत कर CJI बनाने की परंपरा है।
साल 2015 में संविधान में एक संशोधन करके राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) बनाया गया था, यह जजों की नियुक्ति में केंद्र की भूमिका बढ़ाने वाला काम था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया। इसके बाद MoP पर बातचीत जारी रही। बीते साल भी केंद्र सरकार ने कहा है कि अभी MoP को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
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