Start Holi by offering colors to Lord Krishna, holi 2025, Holi festival rituals, story of prahlad and god vishnu, holika dahan story | श्रीकृष्ण को रंग चढ़ाकर करें होली की शुरुआत: राशि अनुसार भगवान को रंग चढ़ाएंगे तो कम हो सकता है कुंडली के ग्रह दोषों का असर


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2 घंटे पहले

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कल (13 मार्च) रात होलिका दहन होगा और 14 मार्च को होली खेली जाएगी। रंगों से होली खेलने की परंपरा से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। एक पौराणिक मान्यता है कि फाल्गुन पूर्णिमा पर होली रंगों से खेलने की शुरुआत श्रीकृष्ण और राधा ने की थी। इस मान्यता की वजह से भक्त सबसे पहले श्रीकृष्ण को रंग अर्पित करके होली उत्सव की शुरुआत करते हैं।

लोककथा है कि द्वापर युग में एक दिन बालकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से पूछा था कि राधा इतनी गोरी और वे इतना श्यामवर्ण क्यों हूं? इस पर माता यशोदा ने उन्हें सुझाव दिया कि वे राधा के चेहरे पर कोई भी रंग लगाकर उसे किसी भी रंग में रंग सकते हैं। बालकृष्ण ने राधा को रंग लगाया और राधा ने भी बालकृष्ण को रंग दिया। इस तरह, ब्रज में रंग खेलने की परंपरा शुरू हुई। आज भी मथुरा, वृंदावन, बरसाना और गोकुल में होली बहुत धूमधाम से मनाई जाती है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होली पर राशि अनुसार भगवान को रंग चढ़ाने से कुंडली के दोषों का असर कम हो सकता है। आइए जानते हैं कि किस राशि के लिए कौन सा रंग शुभ होता है, ये रंग राशि के ग्रह स्वामी के आधार पर बताए जा रहे हैं…

मेष और वृश्चिक (राशि स्वामी – मंगल ग्रह) – इन राशि के लोगों को लाल या गुलाबी रंग से होली खेलनी चाहिए।

वृष और तुला (राशि स्वामी – शुक्र ग्रह) – इनके लिए सिल्वर या सफेद रंग शुभ रहेगा।

मिथुन और कन्या (राशि स्वामी – बुध ग्रह) – हरे रंग से होली खेलने से जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।

सिंह (राशि स्वामी – सूर्य देव) – सिंह राशि के लोगों को पीला या नारंगी रंग प्रयोग करना चाहिए।

कर्क (राशि स्वामी – चंद्रमा) – इनके लिए सफेद रंग शुभ होता है।

धनु और मीन (राशि स्वामी – गुरु बृहस्पति) – इन राशियों के लिए पीला रंग अत्यंत शुभ माना जाता है।

मकर और कुंभ (राशि स्वामी – शनि ग्रह) – इन दो राशि के लोगों को नीले रंग से होली खेलनी चाहिए।

संक्षिप्त में पढ़िए होली की पौराणिक कथा

होली की कथा भक्त प्रहलाद और होलिका से जुड़ी है। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका, जिसने आग में न जलने का वरदान मिला था, वह प्रहलाद को मारने के लिए उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थी। भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका भस्म हो गई। इस घटना के बाद प्रहलाद के सकुशल बचने की खुशी में लोगों ने रंग-गुलाल उड़ाकर उत्सव मनाया था। तभी से रंगों से होली मनाने की परंपरा चली आ रही है।

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