A new government will not be formed in Manipur at the moment | भाजपा सूत्रों का दावा-मणिपुर में फिलहाल नई सरकार नहीं बनेगी: मैतेई-कुकी-जो समुदायों में सुलह प्राथमिकता; अभी राष्ट्रपति शासन ही रहेगा


इम्फाल17 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक
इंफाल राजभवन में 28 मई को NDA के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की थी। - Dainik Bhaskar

इंफाल राजभवन में 28 मई को NDA के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की थी।

जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में फिलहाल भाजपा नई सरकार का गठन नहीं करेगी। मोदी सरकार की प्राथमिकता फिलहाल राज्य में दो वर्षों से जारी मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, जब तक दोनों समुदायों के बीच मेल-मिलाप नहीं हो जाता, तब तक मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हटाने की संभावना नहीं है। इससे पहले 15 जून तक राज्य में दोबारा भाजपा सरकार के गठन का दावा किया जा रहा था।

30 अप्रैल को 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए।

दरअसल,मणिपुर में फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। वहीं, राज्य में 3 मई 2023 को कुकी-मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है। इस दौरान 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

ये तस्वीर मणिपुर में पिछले 2 साल से जारी हिंसा की अलग-अलग घटनाओं की है।

ये तस्वीर मणिपुर में पिछले 2 साल से जारी हिंसा की अलग-अलग घटनाओं की है।

बीरेन सिंह बोले- केंद्र मणिपुर में लोकप्रिय सरकार चाहता है

दूसरी ओर, पूर्व सीएम बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात के बाद बुधवार को कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में लोकप्रिय सरकार की स्थापना चाहती है। राज्य की जनता भी यही चाहती है।

बीरेन सिंह ने बताया कि उन्होंने और राज्यसभा सांसद लेइशेम्बा सनाजाओबा ने 9 और 10 जून को अमित शाह से मुलाकात की। गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार भी यही चाहती है और स्थिति की समीक्षा के बाद इस दिशा में निर्णय लिया जाएगा।

30 मई को नई सरकार पर भाजपा में सहमति बनी थी

पिछले 20 दिनों से मणिपुर में नई सरकार बनाने की कवायद तेज हो गई थी। भाजपा के 27 विधायकों ने 30 मई को बैठक की थी। इसमें नई सरकार बनाने पर सहमति भी बन गई थी। बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री एन​​​​ बीरेन सिंह और स्पीकर रहे सत्यव्रत सिंह को दूर रखा गया था।

बैठक में बीरेन सिंह के खिलाफ विद्रोह करने वाले भाजपा विधायकों के साथ-साथ 9 फरवरी को सीएम पद से इस्तीफा देने तक उनका समर्थन करने वाले विधायक भी शामिल थे। एक विधायक ने बताया कि बीरेन सिंह को नहीं बुलाया गया था।

बैठक के बाद विधायकों ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार गठन की दिशा में काम करने के लिए व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को अलग रखने का संकल्प लिया गया है। मणिपुर विधानसभा में 60 सदस्य हैं। इनमें भाजपा के 37 विधायक हैं। इनमें से सात कुकी-जो समुदाय से हैं जोकि बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने 44 विधायकों के समर्थन की बात कही थी।

राज्यपाल से मुलाकात के बाद भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने 44 विधायकों के समर्थन की बात कही थी।

भाजपा के पास बहुमत से ज्यादा विधायक

60 सीटों वाले मणिपुर विधानसभा में अभी 59 विधायक हैं। एक सीट विधायक की मौत के कारण खाली है। भाजपा के गठबंधन NDA में कुल 44 विधायक हैं। इनमें 32 मैतेई, तीन मणिपुरी मुस्लिम और नौ नगा विधायक हैं।

वहीं, कांग्रेस के सभी पांच विधायक मैतेई हैं। बाकी 10 विधायक कुकी हैं, जिनमें से सात 2022 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीते थे। दो कुकी पीपुल्स अलायंस के हैं और एक निर्दलीय है।

9 फरवरी को सिंह ने दिया था इस्तीफा

9 फरवरी को भाजपा सरकार का नेतृत्व करने वाले तत्कालीन सीएम एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद 13 फरवरी को राज्य विधानसभा को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। बीरेन सिंह पर राज्य में डेढ़ साल से ज्यादा समय तक चली हिंसा न रोक पाने के चलते काफी दबाव था।

मणिपुर में कुकी-मैतेई के बीच 3 मई, 2023 से अब तक हिंसा हो रही है। इन दो सालों में 300 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। 1500 से ज्यादा घायल हुए। 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हैं। 6 हजार से ज्यादा FIR दर्ज हुई हैं। विपक्षी पार्टियां हिंसा के मुद्दे पर लगातार NDA से सवाल पूछ रही थीं।

मणिपुर के तत्कालीन सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था।

मणिपुर के तत्कालीन सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था।

राहुल ने कहा था- PM को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए

एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा था कि हिंसा, जान-माल के नुकसान के बावजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने एन बीरेन सिंह को पद पर बनाए रखा, लेकिन अब लोगों की तरफ से बढ़ते दबाव, सुप्रीम कोर्ट की जांच और कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव की वजह से एन बीरेन सिंह इस्तीफा देने को मजबूर हो गए।

X पोस्ट में उन्होंने कहा कि इस वक्त सबसे जरूरी बात यह है कि राज्य में शांति बहाल की जाए और मणिपुर के लोगों के घावों को भरने का काम किया जाए। पीएम मोदी को तुरंत मणिपुर जाना चाहिए, वहां के लोगों की बात सुननी चाहिए और यह बताना चाहिए कि वे हालात सामान्य करने के लिए क्या योजना बना रहे हैं।

————————-

मणिपुर की ये खबर भी पढ़ें….

मणिपुर हिंसा- नेशनल हाईवे बंद, दवाएं तक नहीं मिल रहीं:चुराचांदपुर-इंफाल में चीजों के दाम बढ़े; जिसकी गिरफ्तारी का विरोध, वह पुलिस में हेड कांस्टेबल था

CBI ने जिस मैतेई नेता को एक दिन पहले गिरफ्तार किया, वह अशेम कनन सिंह मणिपुर पुलिस में हेड कांस्टेबल था। मणिपुर पुलिस ने सोमवार को बताया कि आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण कनन सिंह को मार्च में सस्पेंड कर दिया गया था। पूरी खबर पढ़ें…

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top