5 मिनट पहले
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अभिनेता आमिर खान ने एक इंटरव्यू में अपनी फिल्म ‘रंग दे बसंती’ के क्लाइमैक्स पर बात की है। इस फिल्म के जरिए जो मुद्दा उठाने की कोशिश की गई थी, उसे समझाया है। इसी दौरान एक्टर ने कहा कि कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता है, उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है।
जस्ट टू फिल्मी को दिए इंटरव्यू में आमिर से पूछा गया था कि उनकी फिल्म रंग दे बसंती का उन पर कितना असर रहा है। इसका जवाब देते हुए एक्टर कहते हैं- ‘कुछ तो हम पर फिल्म का असर होता है और कुछ हमारा असर फिल्म पर होता है। ‘रंग दे बसंती’ में लास्ट के जो 40 मिनट हैं, राइटिंग में ओरिजनल क्लाइमैक्स उसके एकदम विपरीत था।
ओरिजनल कहानी में आखिरी में सब पकड़े और मारे जाते हैं। ऐसे में मेरा सवाल डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश मेहरा से था कि क्या फिल्म के किरदारों ने गलत किया है? क्या उन्हें ऐसा फील होता है? अगर नहीं फिर वो भाग क्यों रहे हैं?

फिल्म में किरदारों को भी समझ आता है कि हिंसा किसी भी बात का समाधान नहीं हैं। आपको चीजों में इन्वॉल्व होना पड़ता है। कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता। आपको बनना पड़ता है। जो गंदगी है, उसे जापान या अमेरिका वाले आकर साफ नहीं करेंगे। आपकी गंदगी है, आपको ही साफ करनी पड़ेगी। आपको उस मिट्टी में उतर कर अपने हाथ-पैर गंदे करने पड़ेंगे। सिस्टम का हिस्सा बनकर उसे बदला जा सकता है।’
बता दें कि आमिर की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ साल 2006 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में 6 युवा दोस्तों की कहानी दिखाई गई थी। जो भारतीय फ्रीडम फाइटर्स के ऊपर एक विदेशी महिला को डॉक्यूमेंट्री बनाने में मदद करते हैं। डॉक्यूमेंट्री बनने के दौरान वो खुद उन बातों को जीने की कोशिश करते हैं। ये फिल्म युवाओं को बहुत पसंद आई थी।