Amalaki Ekadashi on 10th March, vishnu puja vidhi, Holi 2025, rangbhari ekadashi on 10th March in hindi | आमलकी एकादशी 10 मार्च को: होली की शुरुआत का पर्व है रंगभरी एकादशी, इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने की है परंपरा


45 मिनट पहले

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सोमवार, 10 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे आमलकी एकादशी और रंगभरी एकादशी कहते हैं। ये हिंदी पंचांग की अंतिम एकादशी मानी जाती है। इस तिथि पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। व्रत-पूजा के साथ ही इस दिन दान-पुण्य भी खासतौर पर किया जाता है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, ये व्रत-पर्व होली से ठीक चार दिन पहले मनाया जाता है। इस तिथि पर काशी में बाबा विश्वनाथ को अबीर-गुलाल चढ़ाए जाते हैं। पुराने समय इसी दिन से होली पर्व की शुरुआत हो जाती थी। आज भी काशी, मथुरा, वृंदावन, गोकुल के आसपास इस दिन से लोग होली खेलना शुरू कर देते हैं।

आंवले के वृक्ष में लक्ष्मी-विष्णु करते हैं वास

आमलकी एकादशी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करनी की परंपरा है। मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी वास करते हैं। इसी वजह से आमलकी एकादशी पर आंवले की पूजा की जाती है। इस दिन कई लोग पानी में आंवले का रस मिलाकर स्नान करते हैं। आंवले का दान करते हैं।

आमलकी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें

  • इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन, दान करने के साथ ही जरूरतमंद लोगों को भोजन भी कराना चाहिए।
  • इस दिन किए गए व्रत से भक्तों के अनजाने में किए गए पाप कर्मों का फल नष्ट होता है। इस तिथि पर आंवले का सेवन करने से हमारे कई रोगों दूर होते हैं।
  • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें और तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं।
  • बाल गोपाल को माखन-मिश्री और तुलसी चढ़ाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  • शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाएं। चंदन का लेप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूलों से श्रृंगार करें। भगवान गणेश और देवी पार्वती के साथ विधिवत पूजा करें। भगवान को मौसमी फल और मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए पूजा करें।
  • वाराणसी (काशी) में इस तिथि का विशेष महत्व है। बाबा विश्वनाथ के विवाह के बाद ये पहली एकादशी होती है, इस दिन भक्त शिव और माता पार्वती को रंग चढ़ाते हैं।
  • आमलकी एकादशी पर सूर्योदय से पहले जागना चाहिए। स्नान के जल में गंगाजल, तिल और आंवले का रस डालकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों और तीर्थों का ध्यान करना चाहिए।

ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत

  • इस दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद गणेश पूजा करें। गणेश पूजन के भगवान विष्णु और आंवले के वृक्ष की पूजा करें। गाय के घी का दीपक जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। भगवान के सामने व्रत करने का संकल्प लें।
  • इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे जरूरतमंदों को आंवले का दान करना चाहिए, लोगों को भोजन खिलाना चाहिए।
  • दिनभर निराहार रहें और भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। शाम को भी विष्णु जी की विधिवत पूजा करें। रात में जागरण करके भगवान विष्णु की भक्ति करें। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर फिर से विष्णु जी की पूजा करें और फिर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह व्रत पूरा होता है।

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