Andhra Pradesh Deputy CM said- Telugu is my mother tongue and Hindi is my aunt | आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM बोले-तेलुगु मातृभाषा, तो हिंदी मौसी: साउथ फिल्मों को हिंदी में डब कराकर पैसा कमा रहे, ये कैसा दोहरा रवैया है

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हैदराबाद43 मिनट पहले

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पवन कल्याण शुक्रवार को हैदराबाद में राजभाषा विभाग के "दक्षिण संवाद" स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। - Dainik Bhaskar

पवन कल्याण शुक्रवार को हैदराबाद में राजभाषा विभाग के “दक्षिण संवाद” स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे।

आंध्र प्रदेश के डिप्टी CM और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने कहा कि अगर तेलुगु भाषा हमारी मां के समान है, तो हिंदी हमारी मौसी जैसी है। हिंदी सीखने से किसी की क्षेत्रीय पहचान को खतरा नहीं है। बल्कि इसे नए अवसरों के रूप में देखना चाहिए। हिंदी भारत को एकजुट करती है।

पवन कल्याण ने यह भी कहा कि, साउथ फिल्मों को हिंदी में डब कराकर खूब पैसा कमाया जाता है लेकिन इस भाषा को सीखने से आपत्ति है। यह कैसा दोहरा रवैया है।

पवन कल्याण शुक्रवार को हैदराबाद में राजभाषा विभाग के “दक्षिण संवाद” स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। पवन ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं का महत्व तो है ही लेकिन हिंदी भारत के विविध हिस्सों को जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी बोले- हिंदी का विरोध राजनीति से प्रेरित इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी भी शामिल हुए। उन्होंने कहा- जो लोग हिंदी के खिलाफ बोलते हैं और हिंदी के खिलाफ आंदोलन करते हैं, वह भाषा से जुड़ा आंदोलन नहीं है। यह राजनीतिक आंदोलन है। यह वोट बैंक की राजनीति है।

जब भी चुनाव होते हैं, चुनाव से पहले कुछ लोग हिंदी-विरोधी, हिंदू-विरोधी के नाम पर भाषण देकर लोगों को भड़काने की कोशिश करते हैं। यह गलत है।

शाह बोले थे- हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 26 जून को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा था कि किसी भी भाषा का विरोध नहीं है। किसी विदेशी भाषा से भी कोई विरोध नहीं करना चाहिए। लेकिन आग्रह हमारी भाषा को बोलने, उसे सम्मान देने और हमारी भाषा में सोचने का होना चाहिए।

शाह ने आगे कहा- मैं मन से मानता हूं कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की विरोध नहीं हो सकती। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं।

हिंदी के खिलाफ दो राज्यों में विरोध

तमिलनाडु: 6 महीने पहले शिक्षा मंत्री और CM स्टालिन के बीच जुबानी जंग हुई केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमिलनाडु CM स्टालिन के बीच फरवरी में जुबानी जंग हुई थी। धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन को लेटर लिखा। उन्होंने राज्य में हो रहे नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) के विरोध की आलोचना की।उन्होंने लिखा, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) इसे ही ठीक करने का प्रयास कर रही है। NEP भाषाई स्वतंत्रता को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि स्टूडेंट अपनी पसंद की भाषा सीखना जारी रखें।’

इस पर तमिलनाडु CM एमके स्टालिन ने कहा- केंद्र हमारे ऊपर हिंदी न थोपे। अगर जरूरत पड़ी तो उनका राज्य एक और लैंग्वेज वॉर के लिए तैयार है। इसके बाद पिछले 6 महीनों से तमिलनाडु के कई नेता हिंदी को लेकर विवादित बयान देते आए हैं।

महाराष्ट्र: 4 महीने पहले राज्य सरकार का आदेश, फिर वापसी, बढ़ा विवाद महाराष्ट्र में अप्रैल में 1 से 5वीं तक के स्टूडेंट्स के लिए तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी अनिवार्य की गई थी। ये फैसला राज्य के सभी मराठी और अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर लागू किया गया था। ये फैसला नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020 के नए करिकुलम को ध्यान में रखते हुए लिया गया था।

विवाद बढ़ने के बाद अपडेटेड गाइडलाइंस जारी की गई। मराठी और अंग्रेजी मीडियम में कक्षा 1 से 5वीं तक पढ़ने वाले स्टूडेंट्स तीसरी भाषा के तौर पर हिंदी के अलावा भी दूसरी भारतीय भाषाएं चुन सकते हैं।इसके लिए शर्त बस यह होगी कि एक क्लास के कम से कम 20 स्टूडेंट्स हिंदी से इतर दूसरी भाषा को चुनें।

महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने मराठी एकता’ पर 5 जुलाई को ‘ को मुंबई के वर्ली सभागार में ‘मराठी विजय रैली’ की थी। दोनों नेताओं ने कहा था- तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं।

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