20 मिनट पहलेलेखक: आशीष तिवारी
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अनुपम खेर के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ ऑटिज्म डिसऑर्डर से पीड़ित तन्वी नाम की एक लड़की की कहानी है। डायरेक्शन के साथ-साथ अनुपम खेर ने फिल्म में एक्टिंग भी की है। ‘ओम जय जगदीश’ के बाद अनुपम 23 साल के बाद डायरेक्शन की दुनिया में लौटे हैं।
अनुपम खेर ने अपनी भतीजी से प्रेरित होकर यह फिल्म बनाई है। हाल ही में अनुपम खेर और फिल्म में तन्वी की भूमिका निभा रही एक्ट्रेस शुभांगी दत्त, एक्टर करण टैकर ने दैनिक भास्कर से बातचीत की। पेश है कुछ खास अंश..

सवाल- आप ऐसे लोगों की कहानी लेकर आ रहे हैं, जो समाज में हम लोगों से बहुत ऊपर हैं। इसके लिए आप बधाई के पात्र हैं?
जवाब/ अनुपम खेर- बहुत-बहुत शुक्रिया। जो काम सभी कर सकते हैं, उसे करने से कोई फायदा नहीं। मैंने ऐसे विषय को चुना जिसमें अपनी जिंदगी का दाव लगाना पड़े। महेश भट्ट साहब बड़ी अच्छी बात कहते हैं कि ट्रुथ और फायर को किसी चीज की जरूरत नहीं होती है। दोनों जलते हैं और रोशनी करते हैं। यही हमने इस फिल्म में करने की कोशिश की है।
मैंने 28 साल की उम्र में 65 साल के बूढ़े का किरदार निभाकर अलग करने की कोशिश की थी। जब लोग सोच रहे थे कि ये क्या करेगा तब मैंने अपनी जिंदगी को बिल्कुल खुली खिताब की तरह रखा। मैं चाहता हूं कि इस फिल्म को देखने के बाद लोगों का नजरिया बदले।
सवाल- करियर के शुरुआत में ही आपको चुनौतीपूर्ण भूमिका निभाने का मौका मिला है, क्या कहना चाहेंगी?
जवाब/ शुभांगी दत्त- इसका पूरा श्रेय अनुपम खेर सर को जाता है। सर मुझे हमेशा से ही यह कहते आए है कि यह तुम्हारा सारांश होने वाला है। मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं। सारांश के बाद अनुपम सर ने एक साथ 40-50 फिल्में साइन की थी। अनुपम सर मुझे गाइड करते रहते हैं और बताते हैं कि उस समय का जमाना अलग था। मैंने उनसे एक्टिंग और लाइफ को लेकर बहुत सारी बातें सीखी हैं।
सवाल- जब फिल्म के लिए आपका चयन हुआ तब किस तरह की फीलिंग्स थी?
जवाब/ शुभांगी दत्त- मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि फिल्म के लिए सिलेक्ट हो गई हूं। घर जाकर मम्मी को बताया तो वो भगवान से प्रार्थना करने लगीं कि सब कुछ अच्छे से हो जाए। मम्मी ने कहा कि चुपचाप अपना काम करते रहना। मेरे दोस्तों को भी नहीं पता चलने पाया कि मैं फिल्म कर रही हूं।
अनुपम खेर- शुभांगी ने फिल्म की शूटिंग के दौरान किसी के साथ फोटो तक नहीं खिंचवाए थे। मैं नहीं चाहता था कि कोई आकर मुझसे कहे कि शुभांगी मिली और हमने फोटो खिंचवाई। शुभांगी ने इस बात का पूरी तरह से ख्याल रखा। मुझे लगता है कि एक्टर को कुछ त्याग करना बहुत जरूरी होता है। इनकी मेहनत, त्याग और जद्दोजहद काम आई। मैंने इनको जिस दिन स्क्रिप्ट सुनाई क्लाइमेक्स सुनकर रोने लगी थीं। मैं भी रो रहा था। वह बहुत ही मैजिकल मोमेंट्स था।
सवाल- करण आपको इस फिल्म में क्या खास बात नजर आई?
जवाब/करण टैकर- जब सर ने मुझे फिल्म की कहानी सुनाई थी तब मैंने सोच लिया कि इस फिल्म का हिस्सा हर हाल में बनना है। इस फिल्म में भले ही छोटा, लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण किरदार है। एक बार अनुपम सर से नीरज पांडे के ऑफिस में मुलाकात हुई थी। तभी से सर के साथ काम करने की ख्वाहिश थी। आज मेरी खुशकिस्मती है कि सर के साथ उनके डायरेक्शन में काम करने का मौका मिला।

सवाल- शुभांगी आप का किरदार निभाने का प्रोसेस क्या था?
जवाब/ शुभांगी दत्त- मैंने इस फिल्म में ऑटिज्म डिसऑर्डर से पीड़ित लड़की का किरदार निभाया है। जब से इस किरदार के लिए ऑडिशन दिया। इसे समझने के लिए गूगल पर रिसर्च करती थी। मैंने देखा कि हर कोई अलग है। फिर अनुपम सर से पूछा कि इस किरदार को निभाने के लिए मैं क्या करूं।
उन्होंने कहा कि तुम अभी रियल तन्वी से मिलने जा रही हो। तुम्हें सिर्फ तन्वी को ऑब्जर्व करना है। बाकी सब हो जाएगा। मैं 15 दिनों तक तन्वी के साथ रही और उसके हाव भाव को ऑब्जर्व करती रही, इससे किरदार को समझने में बहुत मदद मिली।

सवाल- करण आप का क्या प्रोसेस था?
जवाब/करण टैकर- मैं अनट्रेंड एक्टर हूं। मेरे लिए स्क्रिप्ट ही टेक्स्टबुक बन जाती है। मैं देखता हूं कि राइटर ने कहानी को कैसे बताने की कोशिश की है। मैं डायलॉग बोलते समय लाइंस चेंज नहीं करता, क्योंकि राइटर ने बहुत सोचकर वह लाइंस लिखी होगी और किरदार गढ़े होंगे।
सवाल- अनूप जी, ऐसा क्या हुआ उस दिन जब आपने अपनी भतीजी तन्वी को देखकर 23 साल के बाद राइटिंग और डायरेक्शन के बारे में सोची?
जवाब/अनुपम खेर- जब हमारी बहन ने बताया कि उनकी बेटी ऑटिज्म है, तब समझ में नहीं आया था। मैं जब भी उससे मिलता था वह गाती रहती है। मैं अगर उसे कोई गाना सुनाने के लिए कहता था तो तुरंत शुरू हो जाती थी। एक दिन भाई की बेटी की शादी में देखा सब लोग अपनी मस्ती में नाच गा रहे हैं। तन्वी उन सबसे दूर पहाड़ को देखकर रही थी।
तब वह 13 साल की थी। मैंने पूछा कि क्या देख रही हो? उसने कहा कि अपनी दुनिया देख रही हूं। उसकी बात मुझे बहुत भारी लगी। सोचने लगा कि उसकी क्या दुनिया होगी, किसे देख रही होगी? वहीं से इस फिल्म की कहानी का जन्म हुआ।

सवाल- अनुपम जी, न्यूयॉर्क फिल्म फेस्टिवल में फिल्म को काफी सराहना मिली। हॉलीवुड एक्टर रॉबर्ट डि नीरो ने फिल्म की काफी तारीफ की है। शाहरुख, अनिल कपूर और प्रभास जैसे सितारे फिल्म की तारीफ कर रहे हैं, क्या कहना चाहेंगे?
जवाब/अनुपम खेर- मुझे सलीम खान का लिखा एक डायलॉग याद आता है। उन्होंने एक फिल्म में लिखा था- सच्चाई वो दीया है, जिसको पहाड़ की चोटी पर भी रख दो, बेशक वो रोशनी कम करे, लेकिन बहुत दूर से दिखाई देती है। यह फिल्म वो दीया है। जिसको पहाड़ की चोटी पर रख दें, तो अभी भले ही रोशनी कम दे, लेकिन दिखाई बहुत देगा। सच्चाई का दूसरा कोई विकल्प नहीं है। लोगों ने कहीं भी फिल्म देखी हो, इसका बेसिक आइडिया सच्चाई थी। सच्चाई दिल को हमेशा टच करती है। यही इस फिल्म की ताकत है।
सवाल- शुभांगी आप कैसा फील कर रही हैं?
जवाब/ शुभांगी- अभी तो मेरी रातों की नींद उड़ गई है। मुझे भूख नहीं लग रही है। रॉबर्ट डि नीरो सर ने मेरे बगल में बैठकर फिल्म देखी थी। मेरा ध्यान बिल्कुल भी फिल्म देखने में नहीं था। सोच रही थी कि फिल्म देखने के बाद सबकी क्या प्रतिक्रिया होगी। फिल्म देखने के बाद सभी लोग मुझे बधाई दे रहे थे। मेरे लिए बहुत ही अलग दुनिया थी।
अनुपम खेर- जब शुभांगी ने पहली बार टाइम्स स्क्वायर पर अपना पोस्टर देखा तो पगला गईं थीं। शूटिंग के दौरान इंटरव्यू देने के लिए बहुत रिहर्सल करती थीं। आज यह देखकर बहुत गर्व होता है कि शुभांगी ने बहुत अच्छा काम किया है।
फिल्म में एक सीन है जिसमें तन्वी, अरविन्द स्वामी के पास जाती हैं और कहती हैं कि एक जगह जा रहीं हूं, तो वहां क्या करना है? वो कहते हैं कि तुम्हारी ताकत ही ईमानदारी है। जवाब ईमानदारी से देना।