58 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

आज (बुधवार 25 जून) आषाढ़ मास की अमावस्या है। इसे हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है, इस तिथि से वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। ये पर्व किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन किसान अपने हल और कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं, नई फसल से जुड़े काम शुरू करते हैं। कई किसान हल से खेत जोतने और बीज बोने की परंपरा निभाते हैं, क्योंकि ये समय बीज बोने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस दिन पितरों के लिए पूजा-पाठ, ध्यान, और तर्पण करना विशेष फलदायी होता है। साथ ही, किसी सार्वजनिक जगह पर एक छायादार वृक्ष का पौधा लगाना चाहिए और उसकी देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए।
आषाढ़ अमावस्या पर करें ये शुभ कार्य
- सूर्य पूजा से दिन की शुरुआत करें। तांबे के लोटे में स्वच्छ जल भरें। ऊँ सूर्याय नमः” मंत्र का जप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- घर के मंदिर में विशेष पूजा करें। भगवान गणेश, शिवजी, विष्णुजी, देवी पार्वती, श्रीकृष्ण आदि की पूजा करें। भक्त व्रत लेने का संकल्प कर सकते हैं और दिनभर उपवास कर सकते हैं।
- पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। दोपहर में करीब 12 बजे पितरों की शांति के लिए तर्पण, धूप-ध्यान और श्राद्ध करें। गाय के गोबर से बने कंडों को जलाएं और उन पर गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की दिशा से पितरों को अर्पण करें।
- पवित्र स्नान करें। यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें। नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही स्नान करते समय पानी में कुछ गंगाजल मिलाएं।
- हनुमान जी का पूजन करें। हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। चाहें तो राम नाम जप या सुंदरकांड पाठ भी कर सकते हैं।
- जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें। जूते-चप्पल, अनाज, धन, या भोजन का भी दान करें।
- अमावस्या की शाम को तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं और उसकी परिक्रमा करें।
- शिवलिंग का अभिषेक करें। तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल अर्पित करें। ऊँ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, दूर्वा, शमी पत्ते, आंकड़े के फूल, चंदन आदि अर्पित करें। मिठाई का भोग लगाकर धूप-दीप से आरती करें।
खबरें और भी हैं…