Auspicious time to worship Lord Shiva and Shri Hari together on putrada ekadashi on 5th August, significance of putrada ekadashi in hindi | पुत्रदा एकादशी कल: भगवान शिव और श्रीहरि की पूजा एक साथ करने का शुभ योग, संतान के सुखद जीवन की कामना से किया जाता है ये व्रत


  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Auspicious Time To Worship Lord Shiva And Shri Hari Together On Putrada Ekadashi On 5th August, Significance Of Putrada Ekadashi In Hindi

5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

कल (5 अगस्त) पुत्रदा एकादशी है, इसका एक नाम पवित्रा भी है। अभी शिव जी का प्रिय महीना सावन चल रहा है और इस माह की ये अंतिम एकादशी है। इस दिन सावन और एकादशी के योग में शिव जी के साथ भगवान विष्णु जी का विशेष अभिषेक जरूर करना चाहिए।

हिन्दी पंचांग में एक माह में दो एकादशियां आती हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संतान के सुखद जीवन की कामना से व्रत किया जाता है। इस व्रत से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म के फल का नाश भी होता है, पुण्य में बढ़ोतरी होती है। ऐसी मान्यता है।

स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशी के बारे में बताया गया है। एक साल में कुल 24 एकादशियां आती हैं और जिस साल में अधिक मास रहता है, साल में 26 एकादशियां हो जाती हैं।

पद्म पुराण के अनुसार सावन शुक्ल दशमी पर विधिवत स्नान कर जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, उसे सभी व्रतों का फल प्राप्त होता है।

पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा

स्कंद पुराण तथा भागवत पुराण में इस व्रत की कथा का वर्णन मिलता है। पुराने समय में द्वारका नगरी में महिष्मती नामक राज्य था, जिसके राजा का नाम महीजित था। वह धर्मात्मा थे, परंतु संतानहीन थे। राजा ने अनेक यज्ञ, दान, और तप किए लेकिन संतान प्राप्त नहीं हुई।

राजा दुखी होकर महर्षियों के पास गया और उनसे समाधान पूछा। ऋषियों ने ध्यान करके कहा कि राजा ने अपने पूर्व जन्म में एक निर्दोष गाय को पीड़ा दी थी, इस कारण ये जन्म संतानहीन हो गया है।

ऋषियों ने बताया कि यदि सावन शुक्ल एकादशी का व्रत करके भगवान विष्णु की उपासना करेंगे और दान-पुण्य करेंगे तो संतान की प्राप्ति हो सकती है। राजा और रानी ने विधिवत पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से ये एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

पुत्रदा एकादशी का व्रत विधि

  • जो लोग पुत्रदा एकादशी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें आज यानी दशमी तिथि की शाम सात्विक भोजन करना चाहिए। शाम को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
  • एकादशी की सुबह जल्दी उठें और स्नान करके पूजा और एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
  • भगवान विष्णु की पूजा करें। तुलसी, पीले पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
  • ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, विष्णुसहस्रनाम और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
  • उपवास रखें, निर्जला या फलाहारी। रात्रि में जागरण करें और भजन-कीर्तन करें।
  • द्वादशी यानी 6 अगस्त को सुबह जल्दी उठें, पूजा करें और पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराकर, दान दें। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

खबरें और भी हैं…



Source link

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top