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- Avdheshanand Giri Maharaj Life Lesson. A True Devotee Considers Every Object, Situation And Experience As A Prasad From God
हरिद्वार11 मिनट पहले
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जब किसी साधक के मन में सच्ची भक्ति जागृत होती है, तब उसके साथ एक दिव्य गुण स्वाभाविक रूप से प्रकट होता है और वह है प्रसाद गुण अथवा प्रासादिकता। ये एक भावना है। इस भावना में साधक अपनी हर वस्तु, परिस्थिति और अनुभव को भगवान का प्रसाद मानता है। उसे लगता है कि ये सब भगवान की कृपा से ही मुझे मिला है। जहां सामान्य व्यक्ति जीवन की उपलब्धियों को अपने श्रम और पुरुषार्थ का फल मानता है, लेकिन एक भक्त इन सबको ईश्वर की कृपा मानता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए जीवन में आनंद कब आता है?
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