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- Avdheshanand Giri Maharaj Life Lesson. Maintaining Unity In Thoughts, Words And Deeds Is The Greatest Effort, Our Thoughts Should Be Auspicious
हरिद्वार26 मिनट पहले
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मन, वचन और कर्म में एकता बनाए रखना ही सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। हमारे शास्त्र कहते हैं कि मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् यानी मन, वचन, कर्म से हमें एक रहना चाहिए। हमारे विचार पवित्र रहें। हमारे संकल्प शुभ हों। हम निरंतर सत्कर्म करते रहें। शुभ कर्मों में शामिल होते रहें।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए शास्त्रों का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
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