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1 घंटे पहले
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बुधवार की शाम करीब साढे 5 बजे सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क में आ जाएगा। 16 जुलाई 2025 को, पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य कर्क राशि में आकर दक्षिणायन हो जाएगा। अब अगले 6 महीने तक दक्षिणायन रहेगा। मकर संक्रांति से उत्तरायण शुरू होगा।
इस साल कर्क संक्रांति का पुण्य काल सुबह 5:40 से शाम 5:40 तक रहेगा। इस वक्त स्नान-दान किया जाएगा। अग्नि पुराण के अनुसार, कर्क संक्रांति के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और वस्त्र व भोजन दान करने की भी परंपरा है।
कर्क संक्रांति पर सूर्य पूजा और दान का महत्व कर्क संक्रांति के दिन सूर्य देव की विशेष पूजा का विधान है। अग्नि पुराण के अनुसार, प्रातः काल स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए। जल में गंगाजल, अक्षत, लाल फूल और रोली मिलाकर ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है। अन्न, वस्त्र, फल और जल का दान करना शुभ माना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन अन्न और वस्त्र दान करने से महान फल मिलता है।
सुख-समृद्धि बढ़ाने वाली कर्क संक्रांति ज्योतिषियों के मुताबिक इस बार सूर्य शाम को मिथुन से निकलकर कर्क राशि में जाएगा। ज्योतिष के संहिता ग्रंथों के मुताबिक ये संक्रांति सुख देने वाली होगी। इस बार बुधवार को सूर्य राशि परिवर्तन होने से मिश्र नाम की संक्रांति रहेगी, जो कि सुख और समृद्धि बढ़ाने वाली रहेगी। यह संक्रांति व्यापारियों के लिए अच्छी रहेगी। वस्तुओं की लागत सामान्य होगी, धन और समृद्धि लाएगी। लोगों की सेहत में सुधार होगा, देश में अनाज भण्डारण बढ़ेगा।
साल में दो बार सूर्य की स्थिति में बदलाव साल में दो बार सूर्य की स्थिति में बदलाव होता है। कर्क संक्राति (जुलाई) पर सूर्य दक्षिणायन होते हैं और अगले 6 महीने तक इसी तरह रहते हैं। इसके बाद मकर संक्रांति (जनवरी) पर उत्तरायण होते हैं। सूर्य की ये स्थिति 6-6 महीने तक रहती है। दक्षिणायन के दौरान बारिश और ठंड की शुरुआत वाला मौसम रहता है। वहीं उत्तरायण के वक्त ठंड का आखिरी, गर्मी और बारिश की शुरुआत का समय रहता है।
सूर्य के कारण धरती के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में ऋतुएं बदलती हैं। अब सूर्य के दक्षिणायन होने से धरती के उत्तरी गोलार्द्ध वाले देशों में धीरे-धीरे ठंड का मौसम आने लगेगा। वहीं दक्षिणी गोलार्द्ध वाले देशों में सूर्य की रोशनी ज्यादा देर तक रहने से वहां गर्मी का मौसम रहेगा।
दक्षिणायन: सूर्य का कर्क से मकर राशि की तरफ बढ़ना सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है तो वह उत्तरगामी होता है। उसी तरह जब वह कर्क में प्रवेश करता है तो दक्षिणगामी होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तरायण के समय सूर्य उत्तर की ओर झुकाव के साथ गति करता है जबकि दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इसीलिए उत्तरायण और दक्षिणायन कहते हैं। इसी कारण उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है, जबकि दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं।
दक्षिणायन के समय देवताओं की रात जब सूर्य कर्क राशि में आता है तब देवताओं का मध्याह्न काल होता है। ये समय 16 जुलाई से 17 अगस्त तक रहेगा। इसके बाद सूर्य सिंह राशि में आ जाएगा और 17 सितंबर तक देवताओं का दिन रहेगा। इसके बाद देवों का सायंकाल समय शुरू हो जाएगा।
देत्यों के दिन-रात इसके उलट होते हैं। यानी जब देवताओं का दिन होता है तब देत्यों की रात होती है। वेदों और पुराणों के अनुसार, कर्क संक्रांति दक्षिणायन के पहले दिन का प्रतीक है और इसे देवताओं की रात्रि की शुरुआत माना जाता है। यह समय आत्मनिरीक्षण, आत्म-अनुशासन और आंतरिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।