34 मिनट पहले
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पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार नारद मुनि को इस बात का अहंकार हो गया था कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है। नारद मुनि ने भगवान विष्णु के सामने भी ये बात कही कि मैंने कामदेव को पराजित कर दिया। विष्णु जी समझ गए कि नारद अहंकारी हो गए हैं और इनके लिए अहंकार करना अच्छी बात नहीं है। नारद मुनि का अहंकार दूर करने के लिए विष्णु जी ने एक माया रची।
विष्णु जी से मिलने के बाद नारद मुनि लौट रहे थे, रास्ते में उन्होंने एक सुंदर नगर देखा, नारद मुनि वहां रुके तो उन्हें मालूम हुआ कि यहां की राजकुमारी विश्वमोहिनी का स्वयंवर हो रहा है।
नारद मुनि भी उस स्वयंवर में पहुंच गए। जब नारद ने राजकुमारी को देखा तो वे उसकी सुंदरता से मोहित हो गए और उन्होंने तय किया वे इस राजकुमारी से विवाह करेंगे।
नारद जानते थे कि स्वयंवर में वही चुना जाएगा जो रूपवान और आकर्षक होगा। इसीलिए वे तुरंत भगवान विष्णु के पास पहुंचे और भगवान से अनुरोध किया कि उन्हें अपनी सुंदरता दे दें।
विष्णु जी ने मुस्कराकर कहा कि मैं आपको ऐसा रूप दूंगा, जिससे आपका भला होगा।
विष्णु जी ने नारद को वानर का रूप दे दिया। स्वयंवर में जब नारद उस रूप में पहुंचे तो वहां उनका उपहास हुआ, अपमान हुआ। उसी स्वयंवर में स्वयं भगवान विष्णु भी आ गए, राजकुमारी ने विष्णु जी को वरमाला पहना दी। ये देखकर नारद को और गुस्सा आ गया। अपमानित और क्रोधित नारद ने विष्णु जी से पूछा कि– आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?
विष्णु जी ने समझाया कि अहंकार, कामना और वासना ने आपको भ्रमित कर दिया था। ये सब मेरी माया है और ये मैंने आपका अहंकार दूर करने के किया है। आपके लिए अहंकार अच्छा नहीं है। जैसे बीमार व्यक्ति को वैद्य कड़वी दवा देता है, वैसे ही मैंने आपको यह रूप दिया ताकि आपका अहंकार दूर हो और आप अपने मूल स्वभाव में आ जाएं। नारद जी को अपनी गलती का बोध हुआ और उन्होंने भगवान विष्णु से क्षमा मांगी।
जीवन प्रबंधन की सीख:
इस कथा में जीवन प्रबंधन के कई महत्वपूर्ण सूत्र छिपे हुए हैं, जानिए ये सूत्र…
- खुद पर भरोसा करें, दूसरों के भरोसे न रहें – नारद जी ने भगवान विष्णु से सुंदरता मांगी थी, उन्हें खुद पर भरोसा नहीं था। अगर हम खुद पर भरोसा रखेंगे तो हम कई समस्याओं से बच जाएंगे। ध्यान रखें जो चीज हमारी नहीं है, वह कभी भी स्थायी सुख नहीं दे सकती।
- गलत कामनाएं बुद्धि भ्रमित कर देती हैं – एक तपस्वी और ज्ञानी मुनि भी जब कामनाओं के वश में आ गए थे और अपनी वास्तविक पहचान को भूल गए थे। जीवन में जब हम किसी चीज को पाने की कामना हो तो हमें बहुत सतर्क रहना चाहिए, गलत कामना की वजह से बुद्धि भी भ्रमित हो सकती है।
- परमात्मा वही देता है, जो हमारे लिए सही है – विष्णु जी ने नारद मुनि को वही रूप दिया, जो उनके लिए कल्याणकारी था। अक्सर हमें जो चीज तुरंत नहीं मिलती, उसके लिए हम दुखी हो जाते हैं, लेकिन समय आने पर हम समझ पाते हैं कि भगवान हमें वही देता है, जिससे हमारा कल्याण होता है।