Chaitra Navratra 2025; Ajmer Chamunda Mata Mandir Facts Tradition | चामुंडा माता का शरीर जमीन में विराजमान और सिर बाहर: पृथ्वीराज चौहान मां को धोक देकर जाते थे युद्ध करने, तलवार के साथ होती है आरती – Ajmer News


चैत्र नवरात्र का आज (गुरुवार) छठा दिन है। मां दुर्गा की घरों और मंदिरों में विशेष पूजा हो रही है। अजमेर के 1140 साल पुराने मां चामुंडा माता मंदिर में भी विशेष सजावट की गई है। 151 शक्तिपीठ में शामिल इस मंदिर में मां चामुंडा का शरीर जमीन में विराजमान औ

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तलवार के साथ चार पहर की आरती की जाती है। हर नवरात्रि पर यहां 9 दिन का भंडारा होता है। इस मंदिर की स्थापना राजा पृथ्वीराज चौहान के सेनापति ने की थी। कहा जाता है कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान मां का आशीर्वाद लेकर ही युद्ध मैदान में जाते थे।

नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर पढ़िए मां चामुंडा माता मंदिर से जुड़ी मान्यता और इतिहास…

मां चामुंडा का ऐतिहासिक मंदिर बोराज गांव में अरावली की पहाड़ियों पर 1300 फीट ऊपर बना हुआ है। 11वीं शताब्दी में राजा पृथ्वीराज चौहान के सेनापति ने मंदिर की स्थापना की थी। इस मंदिर की देखभाल बोराज गांव के लोग मिलकर करते है।

मंदिर परिसर में मां चामुंडा के साथ गंगा मां, श्री भोलेनाथ, भोलेनाथ भगवान का पूरा परिवार, बालाजी महाराज और भैरूजी महाराज का मंदिर भी है। मंदिर में प्रवेश से पहले हाथ-पैरों को पानी से धोना होता है। गर्भ गृह में जाने के लिए चमड़े का बेल्ट व अन्य सामान उतारना होता है।

हाथ में ज्योत और तलवार के साथ होती आरती मंदिर के पुजारी मदन सिंह रावत ने बताया- मां चामुंडा चौहान वंश की आराध्य देवी हैं। हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान हर दिन मां के दर्शन के लिए आते थे। मां अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करती हैं।

नवरात्रि में 9 दिन तक मां की विशेष आराधना की जाती है। मां चामुंडा की सजावट की जाती है। सुबह 5, 9 बजे, दोपहर 12 बजे और शाम को सूर्यास्त पर चार टाइम आरती होती है।

हाथ में ज्योत लेकर चारों तरफ तलवार और ढोल बाजों के साथ आरती की जाती है। नवरात्रि के आखिरी दिन मां का विशेष श्रृंगार होगा। 9 दिन तक लच्छे की पूजा की जाती है। बाद में श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है। सावन की अष्टमी पर मंदिर में मेला लगता है।

माता की आरती के लिए हाथ में ज्योत और तलवार लेकर जाते गांव के लोग।

माता की आरती के लिए हाथ में ज्योत और तलवार लेकर जाते गांव के लोग।

कुंड में पानी कहां से आता, आज तक पता नहीं पुजारी ने बताया- मंदिर में एक धार्मिक कुंड भी आस्था का केंद्र है। यहां मां चामुंडा गंगा मां के साथ विराजमान हुई थीं। यह ढाई फीट गहरा और ढाई फीट चौड़ा कुंड है। गर्मी और ठंड के हिसाब से पानी का टेंपरेचर अपने आप बदलता रहता है।

इसके पानी से नवरात्र सहित हर दिन मंदिर परिसर की धुलाई की जाती है। कुंड के पानी से कई तरह के रोग भी दूर होते हैं। मां का श्रृंगार भी इसी पानी से किया जाता है। कुंड में पानी कहां से आता है। यह आज तक पता नहीं चल पाया है।

नवरात्रि पर मां के दर्शन करने मंदिर में लगी भक्तों की लाइन।

नवरात्रि पर मां के दर्शन करने मंदिर में लगी भक्तों की लाइन।

गांव में माता की ज्योत की परिक्रमा तेरस पर माता की ज्योत गांव में ढोल-बाजे के साथ घुमाई जाती है। ज्योत के साथ पूरे गांव में परिक्रमा की जाती है। इस दौरान गांव में सुख-शांति की दुआ की जाती है। मां चामुंडा अपने भक्तों की कामना को पूरी करती है। भक्त अपना घर बनाने की कामना को लेकर पहाड़ी पर पत्थर से मकान बनाकर जाते हैं। दावा किया जाता है कि कई भक्तों की घर बनने की कामना को मां ने पूरा किया है।



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