CJI BR Gavai welcome protocol issue PIL supreme court | CJI का स्वागत प्रोटोकॉल मामला: अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग वाली याचिका खुद चीफ जस्टिस ने खारिज की, ₹7000 जुर्माना लगाया; कहा- यह सस्ती पब्लिसिटी


नई दिल्ली4 मिनट पहले

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सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि ये बहुत छोटा मामला है, इसे इतना बड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। - Dainik Bhaskar

सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि ये बहुत छोटा मामला है, इसे इतना बड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक वकील की जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र के सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि इन अधिकारियों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी आर गवई के पहले मुंबई दौरे के दौरान प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया।

मुख्य न्यायाधीश गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने इस याचिका को ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन’ बताया और 7 साल के अनुभव वाले याचिकाकर्ता वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी पर ₹7,000 का जुर्माना लगाया, जो उन्हें लीगल सर्विसेज अथॉरिटी में जमा करना होगा।

CJI ने याचिकाकर्ता से कहा- आप अखबार में अपना नाम छपवाना चाहते हैं

सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, ‘ये बहुत छोटा मामला है, इसे इतना बड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए। कोर्ट पहले ही प्रेस रिलीज के जरिए यह साफ कर चुका है कि इस मुद्दे को यहीं खत्म कर दिया जाना चाहिए।’

उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा, ‘आप बस अखबार में अपना नाम छपवाना चाहते हैं। अगर आपने पद की गरिमा के बारे में सोचा होता, तो आपको पता होता कि मैंने इस मामले को यहीं समाप्त करने की अपील की थी। यह याचिका जुर्माने के साथ खारिज की जाएगी।’

पीठ ने कहा कि CJI पहले ही सार्वजनिक रूप से इस मामले पर अपनी बात रख चुके हैं और यह कोई गंभीर मुद्दा नहीं था, इसलिए इसे बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाना चाहिए।

CJI बोले- तीनों अधिकारियों ने माफी मांग ली है

CJI ने बताया, ‘तीनों अधिकारी मेरे रवाना होने तक एयरपोर्ट पर मौजूद थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी थी। इस मामले को खत्म करने के लिए एक प्रेस नोट भी जारी किया गया था। यह किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं है, बल्कि पद की गरिमा का मामला है। हमें तिल का ताड़ नहीं बनाना चाहिए।’

CJI ने आगे कहा कि इस मामले को लेकर कोर्ट में बहस जारी रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह पहले ही सुलझ चुका है। इससे सिर्फ अनावश्यक ध्यान आकर्षित होता है। मुख्य न्यायाधीश के पद को बेवजह विवादों में न घसीटा जाए।’

सुप्रीम कोर्ट मामले को खत्म करने की बात कह चुकी

14 मई को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेने के बाद जस्टिस बी आर गवई 18 मई को मुंबई गए थे, जहां बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा ने उनका सम्मान किया। इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, डीजीपी और मुंबई पुलिस कमिश्नर की गैरमौजूदगी को लेकर खबरें वायरल हुईं। बाद में ये अधिकारी CJI से मिले और माफी मांगी।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस हफ्ते की शुरुआत में एक प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की गई थी, जिसमें कहा गया, ‘CJI की महाराष्ट्र यात्रा के दौरान प्रोटोकॉल से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं। सभी संबंधित अधिकारियों ने इस पर खेद व्यक्त किया है।’

CJI ने कहा था- महाराष्ट्र के अफसर प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते

मुंबई में 18 मई को महाराष्ट्र-गोवा बार काउंसिल ने चीफ जस्टिस बीआर गवई का सम्मान समारोह रखा था। गवई इसी कार्यक्रम में पहुंचे थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जब किसी संस्था का प्रमुख पहली बार राज्य में आ रहा हो, खासकर जब वह भी उसी राज्य का हो, तो उन्हें खुद ही सोचना चाहिए कि जो व्यवहार किया गया वह सही था या नहीं।

महाराष्ट्र सरकार ने CJI का परमानेंट स्टेट गेस्ट बनाया

महाराष्ट्र सरकार ने भारत के चीफ जस्टिस (CJI) की यात्रा के दौरान राज्य में आधिकारिक शिष्टाचार का पालन तय करने के लिए प्रोटोकॉल गाइडलाइन्स जारी की हैं। 20 मई को जारी गाइडलाइन्स के तहत, CJI बी आर गवई को आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र में परमानेंट स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया है।

महाराष्ट्र स्टेट गेस्ट रूल्स, 2004 के अनुसार, स्टेट गेस्ट के तौर पर नामित या माने जाने वाले किसी पदाधिकारी को राज्य प्रोटोकॉल सब-डिवीजन की तरफ से एयरपोर्ट पर स्वागत और विदाई की व्यवस्था की जाती है। जिलों में कलेक्टर ऑफिस नामित प्रोटोकॉल अधिकारियों को रिसीव करने या छोड़ने की व्यवस्था करता है।

अब महाराष्ट्र में परमानेंट स्टेट गेस्ट के तौर पर नामित किए जाने के बाद CJI सभी प्रोटोकॉल-संबंधी सुविधाओं के हकदार होंगे। उन्हें राज्य के किसी भी हिस्से में अपनी यात्रा के दौरान आवास, गाड़ी की व्यवस्था और सुरक्षा दी जाएगी।



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