CJI said- There is no urgent hearing in my court since August 11 | CJI बोले-11 अगस्त से मेरी अदालत में अर्जेंट सुनवाई नहीं: सीनियर वकीलों को मनाही; जूनियर वकील अर्जी दाखिल कर सकते हैं


नई दिल्ली23 मिनट पहले

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14 मई को शपथ लेने के बाद CJI गवई ने वकीलों की तरफ से अर्जेंट सुनवाई के लिए मौखिक जानकारी देने की प्रथा को फिर शुरू कर दिया था। - Dainik Bhaskar

14 मई को शपथ लेने के बाद CJI गवई ने वकीलों की तरफ से अर्जेंट सुनवाई के लिए मौखिक जानकारी देने की प्रथा को फिर शुरू कर दिया था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई ने कहा कि 11 अगस्त से उनकी अदालत में सीनियर वकील अर्जेंट सुनवाई की मांग नहीं कर सकते। हालांकि जूनियर वकीलों को इससे छूट दी गई है।

गवई ने कहा- कम से कम मेरी अदालत में तो इसका पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बाकी जस्टिस को भी इस प्रथा को अपनाना चाहिए।

आमतौर पर वकील दिन की कार्यवाही की शुरुआत में अर्जेंसी का हवाला देकर जस्टिस के सामले केस की तत्काल सुनवाई की मांग करते हैं। इससे पहले से लिस्टेड मामले छूट जाते हैं।

CJI गवई ने दोबारा शुरू करवाई थी यह परंपरा 14 मई को शपथ लेने के बाद CJI गवई ने वकीलों की तरफ से अर्जेंट सुनवाई के लिए मौखिक जानकारी देने की प्रथा को फिर शुरू कर दिया था। जबकि उनसे पहले जस्टिस संजीव खन्ना ने इसे बंद करवा दिया था। जस्टिस खन्ना के कार्यकाल में वकीलों को मौखिक जानकारी के बजाए ईमेल या लिखित में जानकारी देनी होती थी।

जस्टिस गवई ने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया

जस्टिस गवई का 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्म हुआ था। उन्होंने 1985 में कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट जज स्वर्गीय राजा एस भोंसले के साथ काम किया।

1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए। 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने।

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