Delhi Judge Yashwant Varma Cash Case | Parliament Session 2025 | जस्टिस वर्मा को हटाने की तैयारी शुरू: लोकसभा में प्रस्ताव आएगा, सांसदों के साइन कराए जा रहे; 21 जुलाई से शुरू होगा मानसून सत्र


नई दिल्ली21 मिनट पहले

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जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लग गई थी। - Dainik Bhaskar

जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लग गई थी।

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए लोकसभा सांसदों के साइन जुटाए जा रहे हैं। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, कई सांसदों के दस्तखत लिए जा चुके हैं।

इससे संकेत मिल रहा है कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन जरूरी होते हैं। वहीं, राज्यसभा में यह संख्या 50 सांसदों की होती है।

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पहले ही कह चुके हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में लाया जाएगा।

जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लग गई थी। यहां से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे।

जस्टिस वर्मा फिलहाल इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं। दिल्ली हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर कर दिया गया था। हालांकि, उन्हें किसी भी तरह का न्यायिक कार्य सौंपने पर रोक है।

स्टोर रूम पर जज के परिवार का ही कंट्रोल था

यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।

यह तस्वीर 14 मार्च की है। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग में 500-500 के नोट जले थे।

कैश केस की जांच कर रहे सुप्रीम कोर्ट के पैनल की रिपोर्ट 19 जून को सामने आई थी। 64 पेज की रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस यशवंत वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर सीक्रेट या एक्टिव कंट्रोल था।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू की अध्यक्षता वाले तीन जजों के पैनल ने 10 दिनों तक जांच की। 55 गवाहों से पूछताछ की और जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास का दौरा किया था।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए पैनल इस बात पर सहमत है कि CJI के 22 मार्च के लेटर में लगाए गए आरोपों में पर्याप्त तथ्य हैं। आरोप इतने गंभीर हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए कार्यवाही शुरू करनी चाहिए।

रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें…

  • चश्मदीदों ने जले नोट देखे: 10 चश्मदीदों ने आधी जली हुई नकदी देखी, इनमें दिल्ली फायर सर्विस, पुलिस के अधिकारी थे। इन सभी ने जस्टिस वर्मा के घर के स्टोर रूम में जले हुए नोटों के ढेर देखे थे।
  • जस्टिस वर्मा ने खंडन नहीं किया: इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (स्टोर रूम के वीडियो-फोटो) चश्मदीदों के बयानों की पुष्टि करते हैं। घटनास्थल पर लिए गए वीडियो और आरोपों का जस्टिस वर्मा ने भी खंडन नहीं किया है।
  • घरेलू कर्मचारियों ने नोट निकाले: जस्टिस वर्मा के दो घरेलू कर्मचारियों राहिल/हनुमान पार्षद शर्मा और राजिंदर सिंह कार्की ने स्टोर रूम से जले हुए नोट निकाले थे। वायरल वीडियो से दोनों की आवाज मैच हुई है।
  • बेटी ने गलत बयान दिया: जस्टिस वर्मा की बेटी दीया ने वीडियो के बारे में गलत बयान दिया। कर्मचारी की आवाज पहचानने से इनकार कर दिया, जबकि कर्मचारी ने खुद स्वीकार किया था कि आवाज उसकी है। परिवार की अनुमति के बिना कोई भी नहीं आ सकता था, इसलिए एक जज के स्टोर रूम में नोट रखना लगभग असंभव है, क्योंकि हर समय गेट पर तैनात 1+4 सुरक्षा गार्ड और एक पीएसओ निगरानी रखता है।
  • पुलिस में रिपोर्ट नहीं की: जस्टिस वर्मा ने स्टोर रूम से कैश मिलने की घटना को षड्यंत्र कहा, लेकिन पुलिस में कोई रिपोर्ट नहीं की। चुपचाप इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर भी स्वीकार कर लिया। नकदी का कोई हिसाब नहीं था, जस्टिस वर्मा इसका हिसाब देने में असमर्थ थे। बल्कि यह कहा कि किसी ने उनके खिलाफ साजिश की थी।
स्टोर रूम यहीं आग लगने के बाद जले नोट मिले थे।

स्टोर रूम यहीं आग लगने के बाद जले नोट मिले थे।

55 लोगों के बयान दर्ज; गवाह, किसने क्या कहा

स​मिति ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, CRPF के 6, जस्टिस वर्मा के घरेलू व कोर्ट स्टाफ के 18 लोग, जस्टिस वर्मा व उनकी बेटी आदि शामिल हैं।

  • दिल्ली फायर सर्विसेज के अफसर अंकित सेहवाग ने 23 मार्च का बयान दर्ज करते वक्त बताया, ‘ मुझे प्रदीप कुमार और परविंदर मलिक (दमकल कर्मचारी) ने बताया कि स्टोर रूम में आग लगी है। वहां करेंसी नोट जल रहे हैं। मैंने टॉर्च की रोशनी में जाकर देखा। वहां बहुत सारे 500 रुपए के नोट आधे जले हुए थे। पानी से नोट गीले हो गए थे और आग से कुछ हिस्से जले थे, पर साफ दिख रहा था कि ये 500 रु. के नोट थे।
  • सीआरपीएफ और सुरक्षा कर्मी ने बताया, ‘स्टोर रूम के दरवाजे पर ताला रहता था। कोई बिना अनुमति नहीं जा सकता था। कुछ ने दरवाजा तोड़ने में मदद की ​थी।’

तब के CJI ने जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी अधजले नोट मिलने की खबर सामने आने के बाद उस समय के CJI संजीव खन्ना ने मामले की जांच के लिए 22 मार्च को पैनल बनाया था। पैनल ने 4 मई को CJI को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया गया था।

रिपोर्ट के आधार पर ‘इन-हाउस प्रोसीजर’ के तहत CJI खन्ना ने सरकार से जस्टिस वर्मा को हटाने की सिफारिश की थी। जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधवालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन थीं।

2018 में भी 97.85 करोड़ रुपए के घोटाले में नाम जुड़ा था इससे पहले 2018 में गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में गड़बड़ी के मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ CBI ने FIR दर्ज की थी। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने मिल में गड़बड़ी की शिकायत की थी। शिकायत में कहा था कि शुगर मिल ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपए के लोन का गलत इस्तेमाल किया है।

जस्टिस वर्मा तब कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। इस मामले में CBI ने जांच शुरू की थी। हालांकि जांच धीमी होती चली गई। फरवरी 2024 में एक अदालत ने CBI को बंद पड़ी जांच दोबारा शुरू करने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया और CBI ने जांच बंद कर दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने 65 सेकेंड का जो वीडियो जारी किया, उसमें नोटों की गड्डियां सुलगती दिख रही हैं, लेकिन जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी सफाई में कहा है कि उन्होंने या उनके परिवार के किसी सदस्य ने जली हुई नकदी देखी ही नहीं। उनका कहना है कि वीडियो देखकर वे खुद हैरान रह गए। पूरी खबर पढ़ें…



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