Dhankhar had a stent fitted at Delhi AIIMS in March | दिल्ली एम्स में मार्च में धनखड़ को लगा था स्टेंट: बीपी की शिकायत, लगातार बोलने, खड़े रहने में आ रहे थे चक्कर, क्या यही इस्तीफे की वजह? – Rajasthan News


तस्वीर एक महीने पुरानी है, जब उत्तराखंड में जगदीप धनखड़ की तबीयत बिगड़ गई थी।

उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर जगदीप धनखड़ ने हर किसी को चौंका दिया है। उन्होंने भले स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन विपक्षी दावा कर रहे हैं कि इस्तीफे की वजह कुछ और ही है।

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दैनिक भास्कर ने इस्तीफे को लेकर उठ रहे सवालों को लेकर जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य को लेकर उनके रिश्तेदारों से बात की। साथ ही जाना कि क्या परिवार को जानकारी थी कि धनखड़ इस्तीफा देने वाले हैं?

पढ़िए उनके साले प्रवीण बलवदा से बातचीत, जो पहले उनके अधीन हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते थे…

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ जगदीप धनखड़।

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ जगदीप धनखड़।

भास्कर : क्या जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने का कारण स्वास्थ्य ही है?

बलवदा : पिछले कुछ समय से जीजाजी (जगदीप धनखड़) का स्वास्थ्य काफी खराब चल रहा था। बीच में वे एम्स में भी भर्ती रहे थे। उसके बाद स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था, लेकिन अब कुछ समय से उनके ब्लड प्रेशर लो होने की शिकायत बनी हुई थी।

दिल्ली, नैनीताल और कोटा में कार्यक्रम हुए, जिसमें उन्हें खड़े होकर बोलने में चक्कर आए थे। कोटा में उन्होंने बैठकर भाषण दिया था। लगातार चलने, खड़े होने और बोलने में काफी समस्या हो रही थी। डॉक्टर्स की राय भी थी कि उन्हें अब आराम करना चाहिए। ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी चाहिए।

भास्कर : क्या उन्होंने इस्तीफा देने से पहले घर पर चर्चा की थी?

बलवदा : बीच-बीच में जीजाजी का स्वास्थ्य काफी खराब हो रहा था। मेरी बड़ी बहन डॉ. सुदेश धनखड़ चाह रही थीं कि उन्हें आराम करना चाहिए। उन्होंने जीजाजी को काफी गंभीरता के साथ कहा था कि अब वे भागदौड़ नहीं करें। देर रात तक काम करना, लगातार ट्रैवल करना, ये ठीक नहीं है। मेरी बहन को डर भी लगा रहता था कि कहीं स्वास्थ्य में कोई परेशानी न हो जाए।

भास्कर : उन्हें स्वास्थ्य संबंधी क्या समस्याएं थीं?

बलवदा : मार्च में वे दिल्ली एम्स में भर्ती हुए थे। शायद 9 मार्च से 12 मार्च के बीच। तब मैं उनसे वहां मिलने भी गया था। अचानक चक्कर और घबराहट के कारण उन्हें भर्ती करवाया गया था। अस्पताल में ही आधी रात को भी उन्हें चक्कर आए। सीने में जकड़न सी महसूस होने के कारण घबराहट भी हो रही थी। डॉक्टरों ने तत्काल स्टेंट डाला। हालांकि इससे पहले भी उन्हें एंजियोग्राफी की सलाह दी जा रही थी। इसके बाद वे ठीक महसूस कर रहे थे, लेकिन बीपी की शिकायत लगातार रहने के कारण एक डर बना रहता है।

भास्कर : क्या धनखड़ को कोई और बड़ा पद देने की तैयारी तो नहीं की जा रही?

बलवदा : जीजाजी जब बीजेपी में आए तो उससे पहले वे एक्टिव पॉलिटिक्स में नहीं थे। उन्होंने लोकसभा या विधानसभा चुनाव के लिए कभी कोई टिकट नहीं मांगा। जब अमित शाह राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, तब उन्होंने ही पहला राष्ट्रीय पद दिया था। उन्हें लीगल सेल का राष्ट्रीय संयोजक बनाया था। पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाने से पहले भी अमित शाह चाहते रहे कि वे कोई पद लें। उन्होंने खुद स्वीकार नहीं किया था।

पद का जीजाजी को कभी लोभ नहीं रहा…एक वाकया है कि जब उन्हें गवर्नर बनाया तो मैं उनसे मिलने गया। मैंने उनसे पूछा कि आप शपथ कब लेंगे, उन्होंने कहा- क्या जल्दी है, आराम से ले लेंगे। अभी थोड़ा मुवक्किलों के कुछ काम हैं, सुप्रीम कोर्ट में जाना है बहस के लिए। उसके बाद राज्यपाल की शपथ ले लूंगा।

अमित शाह के साथ धनखड़। जब अमित शाह BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होंने धनखड़ को लीगल सेल का संयोजक भी बनाया।

अमित शाह के साथ धनखड़। जब अमित शाह BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तो उन्होंने धनखड़ को लीगल सेल का संयोजक भी बनाया।

पढ़ाने के लिए साले को रखा अपने साथ, पहले रहे राजनीति से दूरी

  • बचपन : जगदीप धनखड़ किठाना (झुंझुनूं) गांव में प्राइमरी तक की पढ़ाई के बाद चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल चले गए थे। फिर वे जयपुर आ गए। इस बीच धनखड़ का NDA में चयन हुआ, लेकिन नहीं गए। महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की और इसके बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी से वकालत की पढ़ाई पूरी की।
  • वकालत : जयपुर में ही रहकर वकालत शुरू की थी। हिन्दी-इंग्लिश पर अच्छी कमांड होने के कारण वकालत शुरू से ही अच्छी रही। थोड़े ही समय बाद उनका नाम बड़े वकीलों में शुमार हो गया।
  • शादी : उनकी शादी 1 फरवरी 1979 को हुई थी। 1981 में उनके साले प्रवीण बलवदा पढ़ने के लिए उनके ही पास जयपुर आ गए।
तस्वीर दो साल पुरानी है, जब जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ पुष्कर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची थीं।

तस्वीर दो साल पुरानी है, जब जगदीप धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ पुष्कर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची थीं।

  • संघ से जुड़ाव : उनका जुड़ाव RSS से था और शाखा में जाते रहे थे। बलवदा के अनुसार धनखड़ जयपुर में आने के बाद संघ से सीधे जुड़े हुए थे। वकालत के दौरान संघ और जनता दल के नेताओं से संपर्क हो गया था। उन नेताओं के कहने पर 1988-89 में जनता दल की ओर से झुंझुनूं से सांसद का चुनाव लड़ा। वे भारी मतों से जीते और पहली बार सांसद बनते ही केंद्रीय कानून मंत्री भी बनाए गए।
  • राजनीति : वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण अडवाणी से भी मिले। इसके बाद जनता दल से टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस में चले गए। उन्होंने कांग्रेस से अपना पहला चुनाव 1991-92 में अजमेर लोकसभा सीट से लड़ा और हार गए। फिर कांग्रेस की टिकट पर 1993 में किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने। धनखड़ पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भी काफी नजदीक रहे हैं।

धनखड़ के पास रहे थे हाई प्रोफाइल केस, कुछ में पर्दे के पीछे से की मदद

  • बम ब्लास्ट केसेज : वर्ष 2007 में हैदराबाद में मक्का मस्जिद, वर्ष 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट हो या फिर समझौता एक्सप्रेस या अजमेर दरगाह बम ब्लास्ट, सभी को लेकर धनखड़ ने डिफेंस लॉयर टीम को बाहर से काफी सपोर्ट किया। हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और धनखड़ के साले प्रवीण बलवदा ने भी इसकी पुष्टि की।
  • सलमान खान हिरण प्रकरण : सलमान खान के कारण 1998 से अब तक चर्चा में रहने वाले जोधपुर के काले हिरण शिकार प्रकरण में भी लीगल एडवाइस के कारण धनखड़ का नाम जुड़ता है। मीडिया में छाए इस मामले में वे सलमान की ओर से वकील रहे थे। तब काले हिरण शिकार मामले में सलमान 6 दिन जेल में रहे। धनखड़ ने केस लड़ा और बेल दिलाने में सफल हुए। बेल दिलाने के बाद जगदीप धनखड़ का सलमान के साथ एक फोटो भी है। ये फोटो जोधपुर के वकील देवानंद गहलोत के साथ इंटरनेट पर भी मौजूद है।
सलमान खान के साथ जगदीप धनखड़। उन्होंने काला हिरण शिकार प्रकरण में सलमान को बेल दिलाई थी।

सलमान खान के साथ जगदीप धनखड़। उन्होंने काला हिरण शिकार प्रकरण में सलमान को बेल दिलाई थी।

  • राम मंदिर केस : रामजन्म भूमि RSS-BJP का कोर इश्यू रहा था। इस मुद्दे पर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में NDA की सरकार बनी थी। तब धनखड़ बीजेपी में शामिल नहीं हुए थे, लेकिन RSS-BJP के इस मुद्दे पर वे उनके साथ थे। 2003 में बीजेपी में शामिल होने के बाद धनखड़ ने रामजन्म भूमि मामले में भी पर्दे के पीछे रहते हुए काफी काम किया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या मामले में फैसला दिया था कि जमीन को राम जन्मभूमि मंदिर बनाने के लिए एक ट्रस्ट को सौंपा जाए। राम जन्मभूमि से जुड़े इस मामले में भी धनखड़ का रोल भी अहम रहा था, लेकिन इस बार भी पर्दे के पीछे। धनखड़ ने कहा था- मंदिर तो बनेगा ही। विकल्प के तौर पर संसद में कानून लाकर राम मंदिर बनाया जा सकता है।

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जगदीप धनखड़ के उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई हैं। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बीजेपी पर किसान कौम (जाटों) की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। पूरी खबर पढ़िए…



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