Different news: Doctor got his leg amputated for ₹5.5 crore | खबर हटके- ₹5.5 करोड़ के लिए डॉक्टर ने पैर कटवाए: पहली बार मर्दों के लिए बनी बर्थ कंट्रोल पिल्स; जानिए ऐसी ही 5 खबरें

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1 घंटे पहलेलेखक: प्रांशू सिंह

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ब्रिटेन में एक सर्जन ने बीमा कंपनी से करीब 5.4 करोड़ रुपए का क्लेम लेने के लिए दोनों पैर कटवा दिए। वहीं पहली बार मर्दों के लिए भी बर्थ कंट्रोल पिल्स बनी है।

  1. ₹5.5 करोड़ के लिए डॉक्टर ने पैर क्यों कटवाए?
  2. मर्दों के लिए बनी बर्थ कंट्रोल पिल्स का मतलब क्या है?
  3. हाथों के इशारे से कैसे चलेंगे कम्प्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस?
  4. आपकी छठी इंद्री से कैसे केएम होगा वजन?
  5. हजारों लोग इंटरनेट पर क्यों बना रहे वर्चुअल धरती?

ब्रिटेन में एक सर्जन नील हॉपर पर आरोप है कि उन्होंने बीमा कंपनियों से करीब ₹5.4 करोड़ क्लेम लेने के लिए अपने दोनों पैर खुद काट डाले। इसके जवाब में हॉपर ने कहा कि उनके पैर सेप्सिस की वजह से काटने पड़े, लेकिन पुलिस इसे जानबूझकर खुद को पहुंचाईं गई चोट बता रही है।

नील पर करीब 2.5-2.5 करोड़ की धोखाधड़ी के दो मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बारे में हॉपर ने 2020 में ब्रिटेन के टीवी शो ‘दिस मॉर्निंग’ में कहानी शेयर की थी। इस दौरान उन्होंने बताया था कि फैमिली कैंपिंग ट्रिप के दौरान सेप्सिज के कारण दोनों पैर काटने पड़े थे।

इस बहादुरी के लिए उन्हें 2020 में एम्प्लिफॉन अवॉर्ड्स में सम्मानित भी किया गया था। अब बीमा कंपनियां और पुलिस नील हॉपर के दावों जांच कर रहा है।

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पुरुषों के लिए भी एंटी-प्रेग्नेंसी दवा डेवलप की है। इसका नाम है- YCT-529, जो पुरुषों में बिना हार्मोनल चेंज के प्रेग्नेंसी रोकने में कारगर साबित हो रही है। इस नॉन-हार्मोनल गोली का पहला इंसानी ट्रायल (फेज 1a) सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है।

कैसे काम करती है ये गोली?YCT-529 गोली पुरुषों में स्पर्म बनने के प्रोसेस को कंट्रोल करने वाले प्रोटीन को रोकती है। इस वजह से, यह दवा टेम्परेरी रूप से स्पर्म प्रोडक्शन को रोक देती है। इस टेस्ट से पहले दवा को चूहों और मादा बंदरों पर टेस्ट किया गया था, जिसमें इसकी इफेक्टिवनेस 99% तक की दिखी थी। सबसे खास बात यह रही कि दवा रोकने के कुछ ही हफ्तों में फर्टिलिटी दोबारा लौट आई। इसका ड्यूरेशन चूहों में 6 हफ्ते और बंदरों में 10-15 हफ्ते रहा।

अब यह पहला इंसानी ट्रायल 16 हेल्दी पुरुषों पर हुआ, जिसमें सभी को अलग-अलग डोज दी गई। इसके बाद रिपोर्ट में सामने आया कि, किसी भी पार्टिसिपेंट को कोई सीरियस साइड इफेक्ट नहीं हुआ। हालांकि अब अगले फेज के ट्रायल के लिए दवा को भेज दिया गया है।

फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा ने कलाई पर पहनने वाला ऐसा बैंड बनाया है, जिससे आप सिर्फ हाथ के इशारों से कंप्यूटर और स्मार्टफोन कंट्रोल कर पाएंगे। यह रिस्टबैंड इतनी एडवांस है कि आप हवा में अपना नाम लिखेंगे, तो वह आपके स्मार्टफोन पर दिखाई देने लगेगा।

कैसे काम करती है ये अनोखी रिस्टबैंड? यह टेस्टिंग टेक्नोलॉजी मसल्स से निकलने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को पढ़ती है। ये सिग्नल हमारे ब्रेन सिग्नल से भेजे गए कमांड को रीड कर काम करते हैं। रिसर्चर्स ने बताया कि थोड़ी प्रैक्टिस से आप सिर्फ सोचकर ही लैपटॉप का कर्सर हिला सकेंगे।

सबसे खास बात ये है कि इस डिवाइस को यूज करने के लिए आपको सर्जरी की जरूरत नहीं होगी। इसे सिर्फ कलाई पर बांधकर तुरंत इस्तेमाल कर सकते हैं। यह रिस्टबैंड इलेक्ट्रिकल सिग्नल को इकट्ठा करने के लिए ‘इलेक्ट्रोमायोग्राफ’ (EMG) टेक्नीक का इस्तेमाल करता है। अब अगले कुछ सालों में मेटा इस तकनीक पर प्रोडक्ट बनाने की योजना बना रहा है।

वैज्ञानिकों ने पेट से जुड़ा एक कमाल का राज खोला है, जो आपका वजन कम करने में मदद कर सकता है! उन्होंने पाया है कि हमारी आंत में कुछ खास सेल्स होती हैं, जो दिमाग को बताती हैं कि कब खाना बंद करना है।

ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इन सेल्स को ‘न्यूरो-पॉड्स’ नाम दिया है। ये पेट की ‘टेस्ट बड्स’ की तरह काम करती हैं। ये शक्कर और बैक्टीरिया जैसी चीजों को महसूस करती हैं और तुरंत दिमाग को सिग्नल भेजती हैं। वैज्ञानिकों ने इसे पेट की ‘छिपी हुई सिक्स सेंस’ कहा है।

इस सेंस को कैसे एक्टिवेट किया जा सकता है? यह सिक्स सेंस आंत में खास तरह के बैक्टीरिया की मौजूदगी में एक्टिवेट होता है। जो आंत में मौजूद TLR5 नाम के रिसेप्टर से पेप्टाइड लिक्विड रिलीज करता है, जो दिमाग को सिग्नल भेजती हैं। ये सिक्स सेंस स्वस्थ्य आंत में बनता है।

इससे पहले चूहों पर हुए एक एक्सपेरिमेंट में दिखा कि जिन नॉर्मल चूहों को बैक्टीरियल प्रोडक्ट से सिक्स एक्टिवेट किया गया, उन्होंने कम खाना खाया। लेकिन जिन चूहों में ये ‘सेंस’ काम नहीं कर रहा था, उन्होंने ज्यादा खाया और मोटे हो गए

पॉपुलर स्वीडिश वीडियो गेम ‘माइनक्राफ्ट’ में हजारों गेमर्स ने मिलकर हूबहू वर्चुअल धरती बना रहे हैं। इस कारनामे की शुरुआत 2020 में हुई थी, जो अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। ‘माइनक्राफ्ट’ गेम के अंदर वर्चुअल धरती बनाने का प्रोजेक्ट अमेरिका के यूट्यूबर ‘पाइपनFTS’ ने की थी। इन्होंने उस वक्त दूसरे गेमर्स से भी ‘बिल्ड द अर्थ’ प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने की अपील की थी।

कहां तक पहुंचा है ये प्रोजेक्ट?

  • 24 जून तक इस प्रोजेक्ट में 8,000 से ज्यादा लोग जुड़ चुके थे। सभी लोग धरती का हर एक इंच गेम के अंदर तैयार कर रहे हैं।
  • यह अब तक का सबसे बड़ा माइनक्राफ्ट प्रोजेक्ट बन गया है, जिसका नाम गिनीज बुक में भी शामिल किया गया है।
  • अब तक धरती का अनुमानित 76 करोड़ वर्ग मीटर से ज्यादा का मैप पूरा कर लिया है।
  • फिलहाल ये पूरे प्रोजेक्ट का सिर्फ 0.0000001506% ही पूरा कर पाए हैं।

खिलाड़ियों की हेल्प के लिए गाइड-बुक और डिस्कॉर्ड चैट रूम बनाए गए हैं। खास बात ये है कि खिलाड़ियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करने की परमिशन नहीं है।

तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…

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