8 मिनट पहलेलेखक: प्रांशू सिंह
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आपने फिल्मों में पुराने बंद कमरों में खजाना मिलने की कहानियां सुनी होंगी। लेकिन अब उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में 11 साल बाद जब एक बंद कमरे को खोला गया तो ₹22 लाख कैश मिलें।
वहीं एक शख्स ने AI से गाना गवाया और फिर 2 हफ्ते में ही उसको 5 लाख फॉलोअर्स और सुनने वाले मिल गए।

- 11 साल बाद बंद कमरे से नोटों की गड्डियां कैसे मिलीं?
- घर बैठे AI से गाना कैसे गवाया, जिससे लाखों फॉलोअर्स मिले?
- दुनिया का सबसे बड़ा हवाई जहाजों का कब्रिस्तान कहां है?
- जापानी कंपनी 1.5 मिनट के बदले ₹800 क्यों दे रही है?
- खुदाई में मिला 3500 साल पुराना शहर, जहां मंदिर और मूर्तियां निकली?


उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में एक सरकारी आवास का कमरा पिछले 11 सालों से बंद पड़ा था। जब उसे खोला गया, तो अंदर से पूरे ₹22 लाख 48 हजार 505 कैश मिले। अब इन पैसों को डिस्ट्रिक्ट ट्रेजरी में जमा करा दिया गया है।
दरअसल 20 जनवरी 2014 को अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (ACMO) डॉ. ब्रह्मनारायण तिवारी अपने सरकारी आवास में मृत पाए गए थे। उनकी मौत के बाद, पुलिस ने आवास को तुरंत सील कर दिया था।
करीब 11 साल तक आवास का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसी बीच, सीएमओ डॉ. संजय कुमार शैवाल ने आवास की मरम्मत कराने के लिए जिलाधिकारी अनुपम शुक्ला से बात की और कमरा खुलवाने की अनुमति मांगी। इसके बाद कमरे का ताला तोड़ा गया। फिर घरेलू सामान के साथ-साथ, बिस्तर के नीचे पुराने 1000 रुपए और 500 रुपए के नोटों की गड्डियां बिछी हुई मिलीं।


आजकल हर फील्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानों को रिप्लेस करता जा रहा है। अब एक शख्स ने AI से खुद का म्यूजिक बैंड बना लिया है। नाम है- द वेलवेट सनडाउन। इस बैंड ने दो हफ्तों में ही 5 लाख से ज्यादा Spotify लिसनर बटोर लिए हैं। साथ ही AI से दो एल्बम बनाकर रिलीज किया है। तीसरा जुलाई में आने वाला है।
इस बैंड ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर AI जेनरेटिव तस्वीरें पोस्ट की हैं। वहीं बैंड के सदस्यों को एक खास नाम दिया है। यह इंस्टाग्राम अकाउंट हाल ही में शुरू हुआ है। बता दें कि, आमतौर पर एक नए बैंड को 5 लाख मंथली लिसनर तक पहुंचने में महीनों से लेकर सालों तक लग जाता है। भले ही उनके पास बड़े रिकॉर्ड लेबल का सपोर्ट हो।


क्या आपने कभी सोचा है कि जो हवाई जहाज उड़ने लायक नहीं रहते, उनका क्या होता है? अमेरिका के एरिजोना में एक ऐसा ठिकाना है, जहां ऐसे 4 हजार से ज्यादा एयरक्राफ्ट रिटायरमेंट बिता रहे हैं। इस जगह को दुनिया का सबसे बड़ा ‘एयरक्राफ्ट ग्रेवयार्ड’ कहा जाता है।
यह सर्विस स्टेशन टक्सन शहर के डेविस-मंथन एयर फोर्स बेस के अंदर है। इसे ऑफिशियली ऐरोस्पेस मेंटेनेंस एंड रिजनरेशन ग्रुप (AMARG) कहा जाता है। यहां अमेरिकी सेना, NASA और कुछ मित्र देशों के पुराने जहाज रखे गए हैं।
टक्सन को क्यों चुना गया? AMARG को टक्सन में बनाने का मुख्य कारण वहां का मौसम है। यह इलाका सूखा और गर्म है, जहां सालभर बारिश ना के बराबर होती है। इससे जहाजों को जंग लगने का खतरा नहीं होता।
साथ ही, यहां की जमीन सख्त और सपाट है, जिससे भारी एयरक्राफ्ट भी बिना रनवे के खुले में खड़े रह सकते हैं।

यह एयर सिटी कैसे बना? AMARG की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद की गई थी। तब से अब तक यहां लाखों जहाज लाए जा चुके हैं। हर एयरक्राफ्ट को स्टोरेज में भेजने से पहले ईंधन निकाला जाता है, सफाई होती है। फिर प्लेन को प्लास्टिक शीट से कवर किया जाता है, ताकि वह धूप और धूल से सुरक्षित रहे।
यहां कई प्लेन को फिर से उड़ने लायक भी बनाया जाता है। कई प्लेन से स्पेयर पार्ट्स निकाले जाते हैं और कुछ को स्क्रैप करके बेच दिया जाता है।


जापान की एक कंपनी 100 सेकेंड के बदले लोगों को ₹830 दे रही है। ये कंपनी 100 सेकेंड में आपके दिमाग को स्कैन करके ब्रेन वेव की तस्वीर बनाती हैं। फिर वे तस्वीर को प्रिन्ट करके मार्केट में बेचते हैं।
इस दौरान वे यह भी ट्रैक करते हैं कि पढ़ने, ध्यान केंद्रित करने, मेडिटेशन जैसी अलग-अलग मानसिक स्थितियों में तस्वीर की सुंदरता और मार्केट वैल्यू मूल्य को कैसे प्रभावित करती हैं। ऐसे में यह अनोखा कॉन्सेप्ट जापान में बहुत पसंद किया जा रहा है।


साउथ अमेरिका के पेरू में आर्केलॉजिस्ट ने 3500 साल पुराना एक ‘खोया हुआ शहर’ खोज निकाला है। इस पुराने शहर में घर और मंदिर भी बने हुए मिले हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके जरिए अमेरिका की सबसे पुरानी सभ्यता (5 हजार साल पुरानी) कैरल सभ्यता के बारे में अहम खुलासे हो सकते हैं।
आर्केलॉजिस्ट ने इस शहर की खोज के लिए आठ साल तक स्टडी किया है। इस खोज में 18 इमारतें मिली हैं, जिनमें घर और मंदिर शामिल हैं। यहां से मिट्टी की मूर्तियां और सीपियों से बने हार भी मिले हैं, जिन्हें बेहद खास माना जा रहा है।
तो ये थी आज की रोचक खबरें, कल फिर मिलेंगे कुछ और दिलचस्प और हटकर खबरों के साथ…
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