DRDO is developing two new version of Agni-5 missile | अमेरिका जैसा बंकर बस्टर बम बनाएगा भारत: 80-100 मीटर जमीन की गहराई तक वार करेंगे; DRDO अग्नि-5 मिसाइल के 2 नए वर्जन बना रहा


नई दिल्ली15 मिनट पहले

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इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का 11 मार्च 2024 को सफल परीक्षण किया गया था। - Dainik Bhaskar

इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का 11 मार्च 2024 को सफल परीक्षण किया गया था।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 (Agni-5) के 2 नए वर्जन तैयार कर रहा है। ये हैवी बंकरों और जमीन में 80-100 मीटर की गहराई तक जाकर दुश्मनों के न्यूक्लियर सिस्टम, रडार सिस्टम, कंट्रोल सेंटर, हथियार स्टोरेज को तबाह करेगा।

अग्नि-5 के पुराने वर्जन की क्षमता 5 हजार किलोमीटर की दूरी तक न्यूक्लियर हथियार ले जाने की है। इसके दो नए वर्जन की रेंज 2500 किमी होगी, लेकिन 7500 किलोग्राम के बंकर बस्टर वॉरहेड (विस्फोटक) ले जाने की क्षमता होगी।जो अमेरिकी GBU-57 बंकर बस्टर बम से ज्यादा है।

अग्नि-5 के जिन दो नए वर्जन पर काम चल रहा है। उनमें से एक जमीन के ऊपर के टारगेट के लिए एयरबर्स्ट वॉर हेड की सुविधा देगा। दूसरा जमीन में अंदर जाने वाली मिसाइल होगी, जो कॉन्क्रीट को भी भेद सकेगी।

DRDO की ये उपलब्धि भारत को अमेरिका के 30 हजार पाउंड (13600 किलो) वजनी GBU-57 सीरीज के ‘बंकर बस्टर’ बम के बराबर ला देगी। अमेरिका ने 21 जून को ईरान की फोर्डो परमाणु साइट पर ये बम गिराया था। जो 200 फीट नीचे थी। GBU-57 का वॉरहेड 2600 किलो का है।

भारत के लिए क्यों जरूरी?

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत दुश्मनों के बंकर तोड़ने वाली मिसाइलों को तेजी से बढ़ा रहा है। भारत-पाकिस्तान तनाव, ईरान-इजराइल युद्ध को देखते हुए भारत अपने डिफेंस सिस्टम और मजबूत कर रहा है।

पाकिस्तान और चीन ने अपनी सीमाओं पर मजबूत जमीन के नीचे ठिकाने बनाए हैं। पहाड़ी क्षेत्रों, ऊंचाई वाली इलाकों में ये मिसाइल बड़ा रोल निभाएगी। सीमा के पास दुश्मन के कमांड सेंटर और हथियार गोदामों को नष्ट करेगी।

अमेरिका का GBU-57 बंकर बम- दुनिया का सबसे शक्तिशाली हथियार

अमेरिका ने 21 जून को ईरान की फोर्डो परमाणु साइट पर हमला किया था। इस हमले में अमेरिका ने पहली बार 30,000 पाउंड वजनी GBU-57 सीरीज के ‘बंकर बस्टर’ बमों का इस्तेमाल किया था। ये बम खास तौर पर गहरे बंकरों और जमीन के नीचे बनी साइट्स को नष्ट करने के लिए बनाए गए हैं।

अमेरिकी सेना के चेयरमैन लेफ्टिनेंट जनरल डैन केन ने बताया था कि इन बमों को बनाने में 15 साल लगे। 2009 में जब अमेरिका को ईरान की फोर्डो साइट के बारे में पता चला, तब उनके पास इसे तबाह करने के लिए कोई सही हथियार नहीं था। इसके बाद अमेरिका ने इन शक्तिशाली बमों को डेवलप किया। पूरी खबर पढ़ें…

देश में अगले 4 साल में 52 स्पेशल डिफेंस सैटेलाइट लॉन्च किए जाएंगे

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अब अंतरिक्ष में अपनी सैन्य ताकत को और मजबूत करने जा रहा है। सरकार ने तय किया है कि 2029 (अगले 4 साल में) तक 52 स्पेशल डिफेंस सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे, ये सभी सैटेलाइट अंतरिक्ष में भारत की आंख बनेंगे और पाकिस्तान-चीन बॉर्डर पर लगातार नजर रखेंगे।

सैटेलाइट्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड होंगे। 36 हजार किमी. ऊंचाई पर ये आपस में कम्युनिकेट कर सकेंगे। इससे पृथ्वी तक सिग्नल भेजने, मैसेज-तस्वीरें भेजने में आसानी होगी।

यह पूरा अभियान रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के तहत चलाया जा रहा है और इसके लिए सरकार ने स्पेस-बेस्ड सर्विलांस फेज-3’ (SBS-3) योजना बनाई है। इसके लिए ₹26,968 करोड़ का बजट है। इसे अक्टूबर 2024 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने मंजूरी दी थी। पूरी खबर पढ़ें…

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