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शनि की साढ़ेसाती कन्या राशि पर किस प्रकार आती है?

Economic, Social and Physical Impact of Saturn Sade Sati on Virgo

शनि की साढ़ेसाती कन्या राशि पर किस प्रकार आती है?

शनि साढ़ेसाती, भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो कि शनि ग्रह की स्थिति से संबंधित है। शनि ग्रह का किसी जातक की राशि के ऊपर सात साल और छह महीने तक रहना है। यह अवधि तीन भागों में विभाजित होती है: प्रथम चरण, द्वितीय चरण, और तृतीय चरण। प्रत्येक चरण लगभग ढाई साल का होता है, जिससे कुल मिलाकर साढ़े सात साल की अवधि बनती है।

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जब शनि किसी राशि के बारहवे घर में प्रवेश करता है, तब साढ़ेसाती की शुरुआत होती है। फिर यह राशि में और उसके बाद दूसरे घर में प्रवेश करता है। इस प्रकार यह तीन चरण पूर्ण करता है।

शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग होता है। कुछ राशियों पर इसका सकारात्मक प्रभाव हो सकता है, जबकि कुछ के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है। यह समयावधि जातक के जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है जैसे कि करियर, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, और मानसिक स्थिति। शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक को धैर्य, अनुशासन और कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है।

कन्या राशि के जातकों के लिए शनि साढ़ेसाती की अवधि चुनौतियों और अवसरों का संयोजन होती है। इस अवधि में, जातकों को अपनी मानसिक, सामाजिक और शारीरिक स्थिति की गहन समीक्षा करने की आवश्यकता होती है। शनि का यह समय आर्थिक परिश्रम का संकेत देता है, जहाँ जातकों को अधिक मेहनत करने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया कभी-कभी कठिनाई और बाधाओं के साथ भी जुड़ी होती है, जो कि जातकों को उनकी सीमाएँ समझने में मदद देती है।

शनि साढ़ेसाती न केवल आर्थिक पक्ष पर असर डालता है, बल्कि यह जातक की सामाजिक पहचान और शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। सामाजिक रुकावटें या आलोचनाएँ इस दौरान सामान्य होती हैं, जो जातकों को आत्म-निरीक्षण और आत्म-विकास की ओर प्रेरित कर सकती हैं। इसके अलावा, शारीरिक स्वास्थ्य में गिरावट या ऊर्जा में कमी भी इस चरण का हिस्सा हो सकती है। इसलिए, यह अवधि एक प्रवृत्ति के रूप में भी देखी जानी चाहिए, जिसमें जातक को चाहिए कि वह अपनी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करे और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने का प्रयास करे।

कन्या राशि पर शनि साढ़ेसाती के तीन चरण

साढ़े साती को तीन चरणों में विभाजित किया जाता है: प्रारंभिक चरण, मध्य चरण, और अंतिम चरण। प्रत्येक चरण अपने आप में महत्वपूर्ण होता है और व्यक्ति के जीवन पर विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालता है।

  1. पहला चरण: प्रथम ढाई वर्ष  के काल में संतान सुख में बाधा, धन सम्पति की हानि, मित्र  व्  कुटुंब -परिवार जन से वैर-विरोध व् कटुता बढ़ जाती है I  चोट आदि लगने की सम्भावना बढ़ जाती है I जातक में नास्तिकता का भाव होने से दया-परोपकार- ईश्वर-भक्ति, पूजा-पाठ, कर्मकांड और प्रेम-अपनत्व से सर्वथा दूर रहता है I
  2. दूसरा चरण:जब शनि कर्क राशि से गोचर होकर लग्न भाव में आ जाये तो साढ़ेसाती का द्वितीय चरण आरम्भ हो जाता है I इस समय, जातक अपने आस-पास के वातावरण में बदलाव महसूस कर सकते हैं। यह चरण अक्सर चुनौतीपूर्ण होता है, जहाँ मानसिक तनाव और नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह समय आत्म-विकास का भी है, क्योंकि इस चरण में व्यक्ति को अपनी क्षमताओं और अंतर्दृष्टि को विकसित करने का अवसर मिलता है।
  3. तीसरा चरण: अंत में ५ वर्ष बाद ढाई वर्ष के लिए कन्या राशि पर शनि का गोचर काल रहता है I इस अवधि में जातक के पेशेवर जीवन और व्यक्तिगत संबंधों में विभिन्न बदलाव आ सकते हैं। यह चरण एक सकारात्मक अंतर्दृष्टि का संकेत देता है, जहाँ व्यक्ति अपने स्थापित किए गए रिश्तों और करियर में स्थिरता को प्राप्त कर सकता है। हालाँकि, इस समय धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
क्रम संo राशि प्रथम ढाई वर्ष द्वितीय तृतीय
मीन
मेष
वृष
मेष
वृष
मिथुन
वृष
मिथुन
कर्क
मिथुन
कर्क
सिंह
कर्क
सिंह
कन्या
तुला
कन्या
तुला
वृश्चिक
वृश्चिक
तुला
वृश्चिक
धनु
धनु
वृश्चिक
धनु
मकर
१०
मकर
धनु
मकर
कुम्भ
११
कुम्भ
मकर
कुम्भ
मीन
१२
मीन
कुम्भ
मीन
मेष

कन्या राशि पर शनि की साढ़ेसाती के क्या प्रभाव है?

शनि साढ़ेसाती का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा और व्यापक हो सकता है। इसे ज्योतिष में एक चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है। आइए विस्तार से इसके प्रभावों पर चर्चा करें:

प्रथम चरण के प्रभाव:

कन्या राशि पर शनि की साढ़ेसाती के पहले ढाई वर्षों में जातकों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस अवधि में शनि की स्थिति जातकों के व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन पर प्रभाव डालने का कार्य करती है, जिससे कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इनमें सबसे प्रमुख आर्थिक स्थिरता, पारिवारिक तनाव, और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चुनौतियाँ शामिल हैं। कन्या राशि वालों के लिए इस चरण का प्रभाव विभिन्न प्रकार से हो सकता है:

  • आर्थिक स्थिति:  व्यावसायिक क्षेत्र में कठिनाइयाँ आ सकती हैं, जैसे ग्राहकों की कमी, व्यापार में रुकावटें, और प्रतियोगिता में वृद्धि। इस स्थिति में साधारण उपायों को अपनाने से स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। जातक के धन का विनाश होता है वह सट्टा- जुआ आदि खेल कर धन की हानि कर लेता है उधार दिया पैसा वापिस नहीं आता है और यात्रा में धन चोरी होने का भय रहता है I
  • स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ: इस चरण में स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। कन्या राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती का प्रथम ढाई वर्ष महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना करने का समय हो सकता है। शनि के प्रभाव से व्यक्ति में आलस्य, थकान, और बेचैनी का अनुभव हो सकता है। यह स्थिति स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे उच्च रक्तचाप, तनाव, और चिंता को बढ़ा सकती है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रभाव होना अपेक्षित है, जिससे व्यक्ति नकारात्मक मानसिकता का शिकार हो सकता है। इसलिए, इन वर्षो के दौरान सतर्क रहना अनिवार्य है। तनाव और चिंता के साथ-साथ भविष्य के प्रति अनिश्चितता कन्या राशि के जातकों को प्रभावित कर सकती है। ऐसे व्यक्ति अक्सर अपने कार्यों में संकोचित हो जाते हैं और अपने स्वास्थ्य को नज़रअंदाज करने की प्रवृत्ति दिखा सकते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और आत्मविश्वास की कमी का कारण बन सकता है। यह स्थिति समय के साथ उत्पन्न होने वाली निराशा को भी बढ़ा सकती है। इन समस्याओं से निपटने के लिए, यह आवश्यक है कि दृष्टिकोण में सकारात्मकता लाते हुए मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए। नियमित व्यायाम, योग, और ध्यान जैसे उपाय मानसिक शांति प्रदान कर सकते हैं। इसके साथ ही, सामाजिक संवाद और व्यक्तिगत संबंधों का महत्व भी बढ़ जाता है। चिकित्सकीय सलाह की आवश्यकता हो तो विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए, क्योंकि सही मार्गदर्शन से तनाव और चिंता के स्तर को कम किया जा सकता है। इस काल में अपनों के साथ समय बिताना और सकारात्मक गतिविधियों में भाग लेना भी मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बना सकता है।
  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: कन्या राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला ढाई वर्ष पारिवारिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इस अवधि में, जातकों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ संबंधों में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। शनि की उपस्थिति के कारण परिवार में कुछ तनाव और मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं, जो अनहोनी की स्थिति की ओर अग्रसर कर सकते हैं। प्रथम ढाई वर्ष के काल में पुत्रेश होकर व्यय भाव, मारक भाव, शत्रु राशिस्थ होने व् पुत्र भाव से षडाष्टक योग होने के कारण संतान व्यभचारी, कुमार्गी, रोगी, शिक्षा विमुख हो जाते है यदि पंचम भाव पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो दोषों में कुछ कमी आ जाती है I

कन्या राशि पर साढ़ेसाती के प्रथम चरण के उपाय

प्रथम चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जिनके उपयोग से जातक शनि की अशुभता को कम कर सकता है :-

  • कौवे को रोटी खिलायें।
  • भगवती दुर्गा की उपासना करें
  • नंगे पैर मंदिर में जायें।
  • मजदूर की सेवा या पालना करें।

द्वितीय चरण के प्रभाव:

कन्या राशि के लिए शनि की साढ़ेसाती का द्वितीय ढाई वर्ष एक महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें आर्थिक स्थिति पर कई प्रभाव पड़ सकते हैं। इस अवधि में, कन्या राशि के जातकों को अपने वित्तीय योजनाओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है। शनि के द्वितीय ढाई वर्ष में आर्थिक चुनौतियाँ अधिक तीव्र हो सकती हैं। ये चुनौतियाँ निवेश निर्णयों में कठिनाइयों का सामना कराती हैं और अनपेक्षित खर्चों का सामना करने का कारण बनती हैं। इसलिए, इस समय आर्थिक तरलता पर ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • आर्थिक प्रभाव: कन्या राशि पर शनि की साढ़ेसाती का द्वितीय ढाई वर्ष निश्चित रूप से आर्थिक पहलुओं में महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला होता है। यह काल आर्थिक स्थिति के लिए लाभ और हानि दोनों का संकेत देता है। इस समय के दौरान, व्यक्ति को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह समय नए अवसरों का भी द्वार खोल सकता है।

    शनि के प्रभाव से होने वाली आर्थिक चुनौतियों में सबसे पहले वित्तीय स्थिरता का अभाव देखा जा सकता है। इनमें से कुछ समस्याएं अचानक खर्चों, नौकरी में अस्थिरता या व्यवसाय में कमी के कारण उत्पन्न हो सकती हैं। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि शनि का यह प्रभाव आत्म-नियंत्रण और धैर्य सिखाता है। इस दौरान व्यक्ति को अपनी आय के स्रोतों की समीक्षा करनी चाहिए और अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करना चाहिए।

  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: सिंह राशि पर शनि साढ़ेसाती के द्वितीय चरण में न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण हो जाता है। इस अवधि में चंद्र के साथ शनि होने से चरम रोग होने की पूरी आशंका रहती है जो तनाव और चिंता का कारण बन सकती है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मानसिक तनाव के स्तर में वृद्धि हो सकती है, जो व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है। जातक को वात रोग आदि की संभावना बनी रहती है और स्त्री को गर्भाशय व् हृदय संबंधी कष्ट हो सकता है I ढाई वर्ष के काल के पूरा होने पर कन्या राशिस्ठ चन्द्रलग्न में शनि के पहुंचने पर जातक कुछ रोगो को निमत्रण दे देता है जिसमें चर्म रोग, वात-कफ जन्य व्याधि से ग्रसित रहता है और यदि नेत्र पीड़ा या आँख का आपरेशन न भी हो तो चश्मा लग सकता है I

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव:  इस समय के दौरान, परिवार में तनाव और सामंजस्य की कमी जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। शनि की इस स्थिति के कारण पारिवारिक संबंधों में तकरार और अविश्वास की भावना बढ़ सकती है। परिवार के सदस्यों के बीच संवाद कम हो सकता है, जो कि सामूहिक खुशहाली को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक दूरी भी बढ़ सकती है, जिससे हर सदस्य के लिए मानसिकता में तनाव उत्पन्न हो सकता है।

    जातकों को अपने सामाजिक नेटवर्क में परिवर्तनों का सामना करने की संभावना होती है, जिससे मित्रवत संबंधों में तनाव उत्पन्न हो सकता है। ऐसे में, स्थिति को संभालना आवश्यक हो जाता है।

    जैसी कि यह अवधि आगे बढ़ती है, कन्या राशि के व्यक्तियों को अपने दोस्तों और शुभचिंतकों के साथ बातचीत करने में कठिनाइयों का अनुभव होने की संभावना है। यह सम्बंधों में कड़वाहट का कारक बन सकता है, और कभी-कभी विवाद भी उत्पन्न हो सकते हैं।

कन्या राशि पर साढ़ेसाती के द्वितीय चरण के उपाय

द्वितीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  • महामृत्युञ्जय मंत्र का जप करें क्योंकि यह विकट घड़ी होती है।
  • अंधों की सेवा करें और यथा शक्ति उन्हें दान भी दें।
  •  नौ वर्ष तक की कन्याओं को आम खिलायें।
  •  हनुमान जी के मन्दिर में जाकर सिन्दूर चढ़ायें।
  • शनि यंत्र धारण करें।

तृतीय चरण के प्रभाव:

 पांच वर्ष  बाद तृतीय चरण में शनि द्वितीय भाव में आता है, तब इस अवधि में, शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति के व्यवहार, परिवार और समाज में उनकी स्थिति की एक परीक्षा होती है। लोग अक्सर आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक मुद्दों का सामना करते हैं। शनि की प्रभाव के अनुसार, व्यक्तियों को अपने कार्यों का पुनर्विचार करने और अधिक संयमित रहने की आवश्यकता होती है। 

  • आर्थिक प्रभाव: शनि साढेसाती का तृतीय चरण कन्या राशि के जातकों के लिए आर्थिक स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इस चरण के दौरान, जातकों को निवेशक और व्यवसायी को सावधानीपूर्वक और विवेचनात्मक तरीके से अपने फंड्स को मैनेज करना चाहिए। पांच वर्ष बाद तुला में शनि होने से अपनी बुद्धि से व्यापार में आवश्यकता से अधिक मेहनत करके व्यापार को आगे बढ़ाता है I इस समय भूमि या भवन प्राप्ति का विशेष योग बनता है I भूमि संबंधी कार्यों या खनिज संबंधी कार्यों में, खूब सफलता प्राप्त करता है I जातक जितना धन कमाता है, उसी अनुपात में खर्च भी खूब करता है अतः धन आभाव से स्वयं को पीड़ित अनुभव करता है I 
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: कन्या राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती का तृतीय चरण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण संकेत प्रस्तुत करता है। यह समय मानसिक एवं शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तनों की आवश्यकता को इंगित करता है। इस चरण में, जातकों को मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी, क्योंकि यह समय चिंता, तनाव, और अवसाद के जोखिम को बढ़ा सकता है। नियमित ध्यान, योग और अन्य मनोवैज्ञानिक तकनीकों के माध्यम से मानसिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

    शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में, कन्या राशि के जातक बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं। इस दौरान शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ सकती है, जिससे मौसमी बुखार, फ्लू, और अन्य सामान्य रोगों का सामना करना पड़ सकता है।

  • पारिवारिक और सामाजिक प्रभाव: कन्या राशि पर शनि की साढ़ेसाती का तृतीय चरण पारिवारिक और सामाजिक जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाने वाला होता है। इस दौरान, पारिवारिक संबंधों में तनाव और अंतर्विरोध उत्पन्न हो सकते हैं। यह तनाव विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे आर्थिक समस्याएँ, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, या व्यक्तित्वों में मतभेद। परिवार के सदस्यों के बीच संवाद की कमी भी इन समस्याओं को बढ़ा सकती है। इसके परिणामस्वरूप, परिवारिक माहौल में टकराव और असहमति की स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, इस समय संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है।

    सामाजिक संबंधों पर भी इसके नकारात्मक प्रभाव देखे जा सकते हैं। इस अवधि में, व्यक्ति अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में असमर्थ महसूस कर सकता है, जिससे रिश्तों में दूरियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। समाज में प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए संयम और धैर्य का होना अनिवार्य है, क्योंकि गलतफहमी या विवादों से स्थिति और बिगड़ सकती है।

कन्या राशि पर साढ़ेसाती के तृतीय चरण के उपाय

 तृतीय चरण के शनि साढ़ेसाती निवारण के निम्नलिखित उपाय है जो जातक पर शनि की अशुभता को कम करने में सहायक हो सकते हैं :-

  • बहती दरिया में शराब प्रवाहित करें।
  • शराब, मांस-मछली आदि से सर्वदा दूर रहें ।
  • भैस की नाल का छल्ला धारण करें।

*** ॐ कृष्णांगाय विद्य्महे रविपुत्राय धीमहि तन्न: सौरि: प्रचोदयात***

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