ED Chargesheet against Robert Vadra money laundering case Gurugram | गुरुग्राम लैंड डील, रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दायर: पहली बार ED ने औपचारिक आरोपी बनाया; साढ़े ₹7 करोड़ में जमीन ली, ₹58 करोड़ में बेची – gurugram News


रॉबर्ट वाड्रा कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति हैं।

हरियाणा के गुरुग्राम की लैंड डील केस में एन्फोर्समेंट डायरेक्टरोट (ED) ने बिजनेसमैन और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट पेश की है। यह चार्जशीट लैंड डील से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पेश की गई है।

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यह पहली बार है कि किसी भी जांच एजेंसी ने किसी आपराधिक मामले में रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। वाड्रा के अलावा इस चार्जशीट में कई अन्य लोगों के साथ कंपनियों के नाम भी शामिल हैं।

यह मामला सितंबर 2008 का है। जो गुरुग्राम के शिकोहपुर (अब सेक्टर 83) लैंड डील से जुड़ा हुआ है। इस केस में रॉबर्ट वाड्रा के साथ हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ और एक प्रॉपर्टी डीलर के खिलाफ साल 2018 में FIR दर्ज की गई थी। FIR में भ्रष्टाचार, जालसाजी और धोखाधड़ी सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं।

वाड्रा पर आरोप हैं कि उनसे जुड़ी कंपनी ने 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस सौदे का म्यूटेशन भी असामान्य तरीके से कर दिया गया। उस वक्त प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र हुड्‌डा मुख्यमंत्री थे। उनकी सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन को कॉमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डेवलप करने की इजाजत देते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को इसका लाइसेंस दिया था।

आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन की कीमत बढ़ गई। बाद में वाड्रा से जुड़ी कंपनी ने यह जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ में बेच दी। आगे चलकर हुड्डा सरकार ने आवासीय परियोजना का लाइसेंस डीएलएफ को ट्रांसफर कर दिया।

आरोप है कि इस पूरी डील में कई अनियमितताएं की गईं। हरियाणा पुलिस ने 2018 में इस सौदे से जुड़े मामले में केस दर्ज किया। आगे चलकर ईडी ने भी इस मामले में केस दर्ज कर जांच शुरू की।

वाड्रा केस से जुड़ा पूरा मामला विस्तार से पढ़ें…

2008 में हुआ जमीन का सौदा फरवरी 2008 में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन 7.5 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उसी साल, तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुआई वाली हरियाणा सरकार ने इस जमीन पर 2.7 एकड़ के लिए व्यवसायिक कॉलोनी विकसित करने का लाइसेंस दिया। इसके बाद कॉलोनी बनाने की जगह स्काईलाइट कंपनी ने इस जमीन को DLF को 58 करोड़ रुपए में बेच दिया, जिससे लगभग 50 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ।

IAS अधिकारी ने म्यूटेशन रद्द किया 2012 में, तत्कालीन हरियाणा सरकार के भूमि रजिस्ट्रेशन निदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे में अनियमितताओं का हवाला देते हुए जमीन के म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) को रद्द कर दिया। खेमका ने दावा किया था कि स्काईलाइट को लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ, और सौदा संदिग्ध था। इसके बाद, उनका तबादला कर दिया गया, जिससे यह मामला और विवादास्पद हो गया।

2018 में दर्ज की गई FIR साल 2018 में हरियाणा पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, भूपेंद्र हुड्डा, DLF, और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर FIR दर्ज की थी। जिसमें धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार के आरोप में IPC की धारा 420, 120, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया था। बाद में IPC की धारा 423 के तहत नए आरोप जोड़े गए थे।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ये आरोप जमीन की यह डील जब हुई, उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने की परमिशन दे दी। आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ जाते हैं।

लाइसेंस मिलने के मुश्किल से 2 महीने बाद ही, जून 2008 में, डीएलएफ वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से यह जमीन 58 करोड़ में खरीदने को तैयार हो जाती है। यानी मुश्किल से 4 महीने में 700 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा वाड्रा की कंपनी को होता है। 2012 में हुड्डा सरकार कॉलोनी बनाने वाले लाइसेंस को DLF को ट्रांसफर कर देती है।

ED ने FIR के आधार पर जांच शुरू की इसके बाद ईडी ने संदेह जताया कि इस सौदे में मनी लॉन्ड्रिंग हुई, क्योंकि जमीन की कीमत कुछ ही महीनों में असामान्य रूप से बढ़ गई। इसके अलावा यह भी संदेह जताया कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज एक फर्जी कंपनी थी। उसे सौदे में भुगतान के लिए इस्तेमाल किया गया।

जमीन की खरीद से जुड़ा चेक कभी जमा नहीं किया गया। ईडी ने 2018 में हरियाणा पुलिस की FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। यह जांच स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय गतिविधियों और सौदे से प्राप्त आय पर केंद्रित है।

ED को संदेह, DLF को हुआ 5 हजार करोड़ का फायदा ईडी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की वित्तीय लेनदेन, जमीन की खरीद-बिक्री और DLF के साथ सौदे की जांच कर रही है। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस सौदे से प्राप्त आय का उपयोग अवैध गतिविधियों में किया गया। आरोप है कि DLF को इस सौदे में फायदा पहुंचाने के लिए हुड्डा सरकार ने नियमों का उल्लंघन किया। इसमें वजीराबाद में DLF को 350 एकड़ जमीन आवंटन का भी जिक्र है, जिससे डीएलएफ को कथित तौर पर 5,000 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।



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