Education ministry to probe dependence on coaching centres | कोचिंग सेंटरों पर निर्भरता की जांच करेगा शिक्षा मंत्रालय: पैनल बनाया; लगातार बढ़ रहे डमी स्कूल, एंट्रेंस एग्जाम्स की जरूरत और निष्पक्षता की भी होगी जांच


17 मिनट पहले

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बढ़ते हुए ‘डमी स्कूल’, कोचिंग सेंटरो और एंट्रेंस एग्जाम्स की जरूरत और निष्पक्षता को परखने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने 9 सदस्यों का पैनल गठित किया है। हायर एजुकेशन सेक्रेटरी विनीत जोशी इसके अध्यक्ष होंगे। वो स्टूडेंट्स के बिना कोचिंग के हायर एजुकेशन में जा पाने के लिए सुझाव देंगे। इसका उद्देश्य कोचिंग सेंटरों पर स्टूडेंट्स की निर्भरता को कम करना है।

स्कूलिंग सिस्टम में गैप का पता लगाएंगे

मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन के सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘कमेटी स्कूलिंग सिस्टम के उन गैप्स को पहचानने की कोशिश करेगी जिसकी वजह से स्टूडेंट्स की निर्भरता कोचिंग सेंटरो पर बढ़ी है।

साथ ही स्कूलों में रट्टा लगाने वाली पढ़ाई और क्रिटिकल थिंकिंग, लॉजिकल रीजनिंग, एनालिटिकल स्किल्स और इनोवेशन में कमी की पहचान की जाएगी।’

दरअसल, JEE मेन्स और JEE एड्वांस जैसे इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम्स और NEET जैसे मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम्स के लिए ज्यादातर स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर्स पर ही निर्भर रहते हैं। ये स्टूडेंट्स डमी स्कूलों में एडमिशन लेते हैं ताकी क्लासेज अटेंड न करनी पड़ें और पूरा फोकस कोचिंग सेंटर पर रह सके। ऐसे बच्चे सीधे बोर्ड एग्जाम्स देने के लिए जाते हैं।

राज्य कोटे का लाभ लेने के लिए भी डमी स्कूल चुन रहे स्टूडेंट्स

कई एस्पिरेंट्स कॉलेजों में राज्य कोटे का फायदा उठाने के लिए भी डमी स्कूलों में एडमिशन लेते हैं। जैसे दिल्ली से 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स को दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में स्टेट कोटे से फायदा मिलता है। ऐसे में बहुत से बच्चे दिल्ली के डमी स्कूलों में सिर्फ इसलिए ही एडमिशन लेते हैं।

शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा, ‘डमी स्कूलों के बढ़ने के पीछे के कारणों का पता लगाया जाएगा। यह भी देखा जाएगा कि क्या डमी स्कूल इसलिए खड़े किए जा रहे हैं ताकी स्कूल में पढ़ने की बजाए स्टूडेंट्स पूरा समय कोचिंग में दे सके। अगर ऐसा है तो इसे कम करने पर काम किया जाएगा।’

स्कूलों में होने वाले असेसमेंट की जांच होगी

यह पैनल स्कूलों में होने वाले असेसमेंट्स की भी जांच करेगा। साथ ही ये एनालाइज किया जाएगा कि सही असेसमेंट के न होने की वजह से किस तरह स्टूडेंट्स की अंडरस्टैंडिंग और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में कमी आती है। इसी के साथ हायर एजुकेशन की बढ़ती जरूरतों, प्रीमियर इंस्टीट्यूट्स में सीटों की कमी और अव्यवस्था से उपजी कोचिंग सेंटरों की जरूरत को परखा जाएगा।

इस पैनल में CBSE चेयरमैन, स्कूल एजुकेशन और हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के जॉइंट सेक्रेटरी, IIT मद्रास, NIT ट्रीचि, IIT कानपुर और NCERT के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और प्राइवेट स्कूलों के प्रिंसिपल्स को भी पैनल में जगह दी जाएगी।

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