Faridabad-civil-hospital-pakistani-woman-gives-birth-twins-citizenship-concerns | हरियाणा में पाकिस्तानी महिला ने जुड़वा बच्चों को दिया जन्म: टूरिस्ट वीजा पर परिवार संग आई थी, नहीं लौटी; पति बोला- पंडित हैं, नहीं जाएंगे – Ballabgarh News

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फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में पाकिस्तानी महिला बच्चों के साथ।

हरियाणा के फरीदाबाद में पाकिस्तानी महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। इनमें एक बेटा और एक बेटी है। यह महिला इसी साल फरवरी में अपने पति के साथ टूरिस्ट वीजा पर भारत आई थी। वीजा अवधि खत्म होने के बावजूद वे पाकिस्तान नहीं लौटे।

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उधर, महिला के पाकिस्तानी होने का पता चलने पर मामला भारत में अवैध रूप से रह रहे नागरिकों का बन गया है। सवाल उठ रहा है कि पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने देश में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को अपने वतन लौटने के आदेश दिए थे, फिर ये परिवार क्यों नहीं लौटा।

वहीं, अब बच्चों को जन्म देने के बाद उसका और उसके पति का कहना है कि वे पाकिस्तान नहीं जाना चाहते। पाकिस्तान में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों से परेशान होकर भारत आए थे। यहां उसके परिवार को सुरक्षा और सम्मान मिला है। उसके दो बच्चे भारत में जन्मे हैं, इसलिए उन्हें यहां की नागरिकता मिलनी चाहिए।

फिलहाल, महिला और उसके दोनों नवजात पूरी तरह स्वस्थ हैं और अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में हैं। उधर, स्थानीय पुलिस प्रशासन ने इस मामले की कोई जानकारी होने से इनकार किया है।

महिला दुर्गा का पाकिस्तानी वीजा, जो समाप्त हो चुका।

महिला दुर्गा का पाकिस्तानी वीजा, जो समाप्त हो चुका।

अब पढ़िए पाकिस्तानी परिवार ने क्या-क्या बताया…

महिला का नाम दुर्गा बाई, फरवरी में भारत आई थी फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल में दो जुड़वा बच्चों को जन्म देने वाली महिला का नाम दुर्गा बाई है। दुर्गा का कहना है कि वह 4-5 महीने पहले पाकिस्तान से अटारी-बाघा बॉर्डर के रास्ते टूरिस्ट वीजा पर अपने पति पुरुषोत्तम और 2 बेटियों के साथ भारत आई थी। उसने 20 जुलाई को जुड़वा बच्चों को जन्म दिया।

जाति से पंडित, भाटी माइंस में रह रहा परिवार दुर्गा और पुरुषोत्तम ने बताया कि वह जाति से पंडित हैं और मेहनत-मजदूरी कर अपना गुजारा करते हैं। वे दिल्ली से सटे भाटी माइंस इलाके में अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनका दावा है कि वहां 10 हजार से अधिक पाकिस्तानी नागरिक रहते हैं, जिनमें कई को भारत सरकार की ओर से सुविधाएं और पेंशन तक मिल रही है। उन्हें भी अब पाकिस्तान नहीं जाना।

दुर्गा की बुआ सास वजीरा ने भी स्वीकार किया कि वह लगभग 50 साल पहले पाकिस्तान से भारत आई थी और अब भारतीय नागरिक हैं। उनका दावा है कि वहां और भी कई पाकिस्तानी मूल के लोग रहते हैं, जिन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त हो चुकी है।

अवैध रूप से भारत में रह रहा परिवार दुर्गा के पास जो टूरिस्ट वीजा था, वह 23 दिसंबर 2024 से 20 जून 2025 तक वैध था। मगर, वीजा समाप्त होने के बावजूद वह पाकिस्तान वापस नहीं गई। दुर्गा से सवाल किया गया कि भारत सरकार ने भारत-पाक युद्ध के समय पाकिस्तान से आए नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू थी तो वापस क्यों नहीं गई। इस पर उसने कहा कि वह और उसके परिजन अब पाकिस्तान नहीं जाना चाहते।

पति-पत्नी के बयानों में विरोधाभास भी जब दुर्गा और उसके पति पुरुषोत्तम के बयानों की तुलना की गई तो उनमें विरोधाभास नजर आया। दुर्गा ने दावा किया कि पाकिस्तान से वह अपनी दो बेटियों और पति के साथ भारत आई थी। वहीं पुरुषोत्तम ने बताया कि उसके पहले से 5 बेटियां थीं और अब जुड़वा बच्चों के साथ सात बच्चे हो गए हैं। दोनों के बयानों में अंतर को देखते हुए सवाल उठ रहा कि कौन सच बोल रहा है।

दुर्गा बाई का पाकिस्तानी पहचान पत्र।

दुर्गा बाई का पाकिस्तानी पहचान पत्र।

फरीदाबाद पुलिस बोली- दिल्ली पुलिस कार्रवाई करेगी फरीदाबाद पुलिस के प्रवक्ता यशपाल ने बताया कि इस केस में फरीदाबाद पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं बनती है। अगर कोई कार्रवाई होगी, वह दिल्ली पुलिस करेगी। क्योंकि महिला अपने परिवार के साथ दिल्ली के भाटी माइंस में रह रही है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रहने वाले लोगों को फार्म सी भरने की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि सरकारी की ओर से दोनों देश के नागरिकों को छूट दी हुई है। महिला की ओर से वीजा के लिए आवेदन किया हुआ है।

हिसार में पकड़ा गया था पाकिस्तान से आया परिवार।

हिसार में पकड़ा गया था पाकिस्तान से आया परिवार।

3 माह पहले भी पकड़ा गया था पाकिस्तानी परिवार हिसार के बालसमंद से तीन माह पहले एक पाकिस्तानी हिंदू परिवार को पकड़ा गया था। इस परिवार में कुल 15 सदस्य थे, जिनमें 3 लड़कियां, 8 बच्चे, 3 महिलाएं और एक बुजुर्ग शामिल थे। परिवार पिछले 7 महीने से बालसमंद में रह रहा था। ये सभी पाकिस्तान के सिंध हैदराबाद से आए थे। परिवार एक अक्टूबर 2024 को वीजा समाप्त होने के बाद भी यहीं रह रहा था। सभी खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करके अपना गुजारा कर रहे थे। परिवार ने खुद को हिंदू बताया था।

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