Halharini Amavasya on 25 June, significance of halharini amawasya in hindi, rituals about amawasya and worship method | हलहारिणी अमावस्या 25 जून को: आषाढ़ अमावस्या पर करते हैं हल और कृषि उपकरणों की पूजा, इस दिन पौधे लगाने की है परंपरा


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1 घंटे पहले

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बुधवार, 25 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या यानी हलहारिणी अमावस्या है। किसानों के लिए ये तिथि एक महापर्व की तरह है, क्योंकि इस दिन किसान हल और कृषि में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की पूजा करते हैं। किसान हल से खेत जोतते हैं और फिर बीज बोते हैं। हलहारिणी अमावस्या से वर्षा ऋतु की शुरुआत मानी जाती है, ये समय नई फसल के बीज बोने के लिए सबसे अच्छा है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस पर्व पर पूजा-पाठ और पितरों के लिए धूप-ध्यान करने के साथ ही किसी सार्वजनिक जगह पर छायादार पेड़ का पौधा रोपना चाहिए। पौधा लगाने के साथ ही उस पौधे की देखभाल करने का भी संकल्प लेना चाहिए।

जानिए आषाढ़ अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • दिन की शुरुआत सूर्य पूजा से करना चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं।
  • घर के मंदिर में भगवान गणेश, महादेव, श्रीहरि, देवी पार्वती, श्रीकृष्ण आदि देवी-देवताओं का अभिषेक करें। जो लोग अमावस्या पर व्रत करना चाहते हैं, वे पूजा में व्रत करने का संकल्प लें।
  • दोपहर में पितरों की शांति और तृप्ति के लिए धूप-ध्यान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करें। गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं और पितरों का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़-घी अर्पित करें। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।
  • किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो राम नाम का जप भी कर सकते हैं। समय हो तो सुंदरकांड कांड का पाठ भी किया जा सकता है।
  • जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल, अनाज, धन, या भोजन दान करें। अमावस्या की शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और तुलसी की परिक्रमा करें।
  • शिवलिंग का विधिवत अभिषेक करें। तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, दूर्वा, शमी के पत्ते चढ़ाएं। चंदन का लेप लगाएं। जनेऊ, अबीर, गुलाल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

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