Holashtak from March 7 to Holika Dahan, kharmas starts from 14th March, holi 2025, holi kab hai, holika dahan date | होलाष्टक 7 मार्च से होलिका दहन तक: 14 मार्च से शुरू होगा खरमास, 13 अप्रैल तक मुंडन, गृह प्रवेश और विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए नहीं रहेंगे मुहूर्त


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3 घंटे पहले

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शुक्रवार, 7 मार्च को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी है, इस तिथि से होलाष्टक शुरू होगा जो कि 13 मार्च को होलिका दहन के साथ खत्म होगा। इस दौरान मुंडन, गृह प्रवेश, विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। होलाष्टक के दिनों में मंत्र जप, पूजा-पाठ, दान-पुण्य, तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है।

होलाष्टक का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, होलाष्टक की आठ रात्रियों का काफी अधिक महत्व है। इन आठ रात्रियों में की गई साधनाएं जल्दी सफल होती हैं। इन रातों में तंत्र-मंत्र से जुड़े लोग विशेष साधनाएं करते हैं। ज्योतिष की मान्यता है कि होलाष्टक के आठ दिनों की अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं। अष्टमी को चंद्र, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल, पूर्णिमा को राहु उग्र स्थिति में रहता है। नौ ग्रहों की उग्र स्थिति की वजह से इन दिनों में मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं।

होलिका दहन वाले दिन रहेगा भद्रा का साया

13 मार्च की शाम को होलिका दहन किया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि रहेगी। 13 मार्च की सुबह करीब 10:20 बजे से रात 11:30 बजे तक भद्रा रहेगी। भद्रा के समय में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इस कारण 13 मार्च की रात 11.30 बजे के बाद होलिका दहन करना ज्यादा शुभ रहेगा।

14 मार्च से शुरू हो जाएगा खरमास

14 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेगा, जिससे खरमास की शुरुआत होगी। खरमास के दिनों में भी विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कामों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। सूर्य 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रवेश करेगा और खरमास समाप्त होगा। होलाष्टक और खरमास की वजह से 7 मार्च से 14 अप्रैल तक शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त नहीं रहेंगे।

ज्योतिष की मान्यता है कि मांगलिक कार्यों के लिए सूर्य और गुरु का अच्छी स्थिति में होना जरूरी है, अगर ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं तो मांगलिक कार्य के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं। खरमास के समय में सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहता है और गुरु सूर्य की वजह से कमजोर हो जाता है। इस कारण विवाह जैसे मांगलिक कार्य इस समय में नहीं किए जाते हैं।

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