If you remain humble, you will be successful, if you remain curious, you will be able to find solutions to problems – Anand Mahindra | इंस्पायरिंग: विनम्र रहेंगे तो सफल होंगे, जिज्ञासु बनेंगे तो समस्याओं का हल ढूंढ पाएंगे – आनंद महिंद्रा


5 घंटे पहले

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  • महिंद्रा एंड महिंद्रा को नई ऊंचाई देने वाले आनंद महिंद्रा बता रहे हैं असली खुशी के बारे में। जानिए उनके वो गुर जो आपको भी बनाएंगे और बेहतर…

मैं पहली बार दादा बना था। न्यूयॉर्क में अपने पोते को गोद में लिए, उसे सीने से लगाए मैं एक गलियारे में धीरे-धीरे टहल रहा था, उससे बातें कर रहा था… वह लम्हा असीम शांति देने वाला था। मैंने अपनी पत्नी से कहा, ‘तुम्हें पता है, मुझे अभी समझ आया कि असली खुशी क्या होती है।’ पहली बार था तब मुझे यह महसूस हुआ था। ‘वर्क-लाइफ बैलेंस’ यानी काम और जीवन में संतुलन… जरा इस वाक्य को देखें, यह कितना अनुचित है। इसके भीतर यह मान्यता छिपी है कि ये दोनों चीजें एक-दूसरे के विरोध में हैं। इसलिए इन्हें संतुलित करने की जरूरत है। अगर दोनों एक ही तराजू के दो पलड़े हैं, तो ही संतुलन चाहिए। यह वाक्य उस द्वंद्व को और मजबूत करता है। यह द्वंद्व होना ही नहीं चाहिए। यही द्वंद्व आपकी बेचैनी, तनाव और चिंता का सोर्स है। जब दोनों अलग होते हैं, तो आप हमेशा उन्हें संतुलित करने की कोशिश में रहते हैं। सोचिए कि किसी का जीवन कितना शक्तिशाली हो सकता है अगर उसका काम उसके जीवन के उद्देश्य से जुड़ा हो, अगर वह काम ही उस सवाल का उत्तर देने में मदद करे। वरना तो हमेशा ये होता है, ‘मेरा काम यह करता है और मेरी निजी जिंदगी मुझे आध्यात्मिक बनने देती है या दुनिया घूमने और लोगों की सेवा करने देती है।’ लोग मुझसे पूछते हैं, ‘जब आप कंपनी छोड़ेंगे तो आप क्या विरासत छोड़ना चाहेंगे?’ मैंने हमेशा एक ही बात कही है कि अगर लोग यह कहें कि महिंद्रा में उन्होंने अपना सबसे अच्छा वक्त बिताया है, वे यहां अपने सबसे अच्छे रूप में थे, उन्होंने अपनी पूरी क्षमताओं का उपयोग किया, तो मैं मानूंगा कि मैं सफल रहा। यही मेरी हमेशा की चिंता है, क्योंकि मुझे लगता है कि बाकी सब कुछ उसी से निकलता है। अगर आपके पास एक ऐसी टीम है जो अपना सर्वश्रेष्ठ दे रही है, तो आप किसी न किसी रूप में जरूर सफल होंगे। मैं अब भी सीखने के दौर में हूं। खासकर युवाओं से सीख रहा हूं। एक ही सलाह दूंगा कि विनम्र रहें। विनम्रता अच्छी है। यह जिज्ञासा लाती है। आपके भीतर दुनिया के बारे में, लोगों के बारे में जानने की जिज्ञासा नहीं है तो आप आज के दौर में टिक नहीं पाएंगे।

जो भी आप करें उसमें पॉजिटिव चेंज लाएं जब दुविधा में होता हूं तो खुद से कहता हूं, थम जाओ। मैं यहां लोगों को आगे बढ़ने में मदद करने के लिए हूं। खुद को चुनौती देने के लिए और सीमाओं को न मानने के लिए हूं। मैं अलग सोचने के लिए हूं और अंततः यह सुनिश्चित करने के लिए हूं कि जो मैं करूं, वह सकारात्मक बदलाव लाए।

काम की मात्रा नहीं गुणवत्ता जरूरी है हमें अपने काम की मात्रा पर नहीं, बल्कि काम की गुणवत्ता (काम कितना अच्छा है) पर ध्यान देना चाहिए। इसलिए बात 40 घंटे, 70 घंटे या 90 घंटे की नहीं है। सवाल यह है कि आप काम को क्या नतीजा दे रहे हैं? आप सिर्फ 10 घंटे काम करें, तो भी आप दुनिया को बदल सकते हैं। (विभिन्न मंचों पर आनंद महिंद्रा)



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