‘Increasing competition has worsened the mental health of students’ | ‘बढ़ते कॉम्पिटिशन से बिगड़ी स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ’: सुसाइड प्रिवेंशन के लिए नेशनल टास्क फोर्स बनेगी, देश में किसानों से ज्यादा स्टूडेंट्स कर रहे सुसाइड


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37 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं और आत्महत्या की घटनाओं को रोकने के लिए ‘नेशनल टास्क फोर्स’ (NTF) बनाने का आदेश दिया है। यह आदेश IIT दिल्ली में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स की आत्महत्या से जुड़े मामले पर सुनवाई के दौरान आया।

पूर्व जस्टिस करेंगे NTF की अगुआई

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व जज जस्टिस एस. रविंद्र भट NTF के चेयरपर्सन होंगे।
  • इसके अलावा साइकेट्रिस्ट डॉ. आलोक सरीन और अन्य एक्सपर्ट को भी इसमें शामिल किया गया है।
  • कोर्ट ने सरकार को दो हफ्तों के भीतर NTF के शुरुआती संचालन के लिए ₹20 लाख जमा करने के निर्देश दिए हैं।

स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ कॉलेजों की जिम्मेदारी- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा…..

  • ‘यूनिवर्सिटीज न केवल लर्निंग सेंटर बनें, बल्कि छात्रों के कल्याण और विकास के लिए जिम्मेदार संस्थान की भूमिका भी निभाएं।’
  • ‘अगर वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो शिक्षा का असली उद्देश्य यानी जीवन को सशक्त, सक्षम और परिवर्तित करना ही अधूरा रह जाएगा।’
  • ‘कॉलेजों की जिम्मेदारी केवल छात्रों की शैक्षिक प्रगति सुनिश्चित करना नहीं बल्कि उनकी मेंटल हेल्थ का ध्यान रखना भी है।’
  • ‘कॉलेजों में जातिगत भेदभाव व्याप्त है, जिससे वंचित समुदायों के छात्रों में अलगाव की भावना बढ़ रही है। कॉलेज परिसरों में जाति आधारित भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 15 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो जाति के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है।’
  • ‘जब छात्र अपने घरों से दूर जाकर कॉलेजों में पढ़ते हैं, तो विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को लॉको पेरेंटिस (अभिभावक की भूमिका) निभाने की जरूरत है। कॉलेजों को सिर्फ नियम लागू नहीं करना है, बल्कि संकट की घड़ी में छात्रों को भावनात्मक सहारा भी देना है।’

हर दिन 35 स्टूडेंट्स सुसाइड कर रहे

देश में हर दिन 35 से भी ज्यादा स्टूडेंट्स खुद की जान ले रहे हैं। यानी हर 40 मिनट में देश का एक स्टूडेंट आत्महत्या कर रहा है। स्टूडेंट सुसाइड की ये गिनती देश में किसानों की आत्महत्या से भी ज्यादा है।

IC3 कॉन्फ्रेंस और एक्स्पो 2024 के दौरान जारी ‘स्टूडेंट सुसाइड- एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट’ में सामने आए थे। ये रिपोर्ट NCRB के 2021 के डाटा पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में देश में 13,089 स्टूडेंट ने सुसाइड किया। वहीं, बीते 10 साल में करीब 1 लाख स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं।

पॉपुलेशन ग्रोथ से ज्यादा स्टूडेंट सुसाइड रेट

रिपोर्ट में स्टूडेंट सुसाइड के आंकडे बेहद डरावने हैं। बीते दो दशक में देश की पॉपुलेशन ग्रोथ रेट से भी ज्यादा स्टूडेंट सुसाइड रेट है यानी जिस तेजी से यंगस्टर्स की पॉपुलेशन बढ़ रही है, उससे भी ज्यादा तेजी से स्टूडेंट्स सुसाइड कर रहे हैं।

भारत में स्टूडेंट सुसाइड की रोकथाम के लिए सरकार ने ये नियम बनाए

1. मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, 2017 इस एक्ट के अनुसार मानसिक विकारों से पीड़ित व्यक्ति को इसके लिए ट्रीटमेंट लेने और गरिमा के साथ जीवन जीने का पूरा हक है।

2. एंटी रैगिंग मेजर्स सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, रैगिंग की शिकायत आने पर सभी एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को पुलिस के पास FIR दर्ज करानी होगी। साल 2009 में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में रैगिंग की घटनाओं की रोकथाम के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन यानी UGC ने रेगुलेशन जारी की थी।

3. स्टूडेंट काउंसलिंग सिस्टम स्टूडेंट्स की एंग्जायटी, स्ट्रेस, होमसिकनेस, फेल होने के डर जैसी समस्याओं को सुलझाने के लिए UGC ने 2016 में यूनिवर्सिटीज को स्टूडेंट्स काउंसलिंग सिस्टम सेट-अप करने को कहा था।

4. गेटकीपर्स ट्रेनिंग फॉर सुसाइड प्रिवेंशन बॉय NIMHANS, SPIF NIMHANS यानी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस और SPIF यानी सुसाइड प्रिवेंशन इंडिया फाउंडेशन इस ट्रेनिंग को कराते हैं। इसके जरिए गेटकीपर्स का एक नेटवर्क तैयार किया जाता है जो सुसाइडल लोगों की पहचान कर सके।

5. NEP 2020 टीचर्स स्टूडेंट्स की सोशियो-इमोशनल लर्निंग और स्कूल सिस्टम में कम्यूनिटी इनवॉल्वमेंट पर ध्यान दें। साथ ही स्कूलों में सोशल वर्कर्स और काउंसलर्स भी होने चाहिए।

70% टीचर्स मेंटल हेल्थ को बीमारी नहीं कमजोरी मानते हैं

  • दुनिया में 83% यंगस्टर्स मानते हैं कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के लिए किसी दूसरे की मदद लेनी चाहिए। वहीं भारत में सिर्फ 41% यंगस्टर्स ऐसा मानते हैं।
  • साउथ इंडिया के 566 स्कूलों पर की गई एक स्टडी में सामने आया कि 70% टीचर्स डिप्रेशन को बीमारी के बजाए साइन ऑफ वीकनेस मानते हैं। साथ ही टीचर्स इसे खतरनाक नहीं बल्कि अनप्रेडिक्टेबल मानते हैं।

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