Indian Astronaut Shubhanshu Shares Life After Space: Phone Felt Heavy, Laptop Fell | भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु बोले- फोन भारी लगता है: लैपटॉप बिस्तर से गिरा दिया, सोचा हवा में तैरता रहेगा; इसी महीने भारत लौट सकते हैं


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नई दिल्ली26 मिनट पहले

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शुभांशु शुक्ला के अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक भारत लौटने की उम्मीद है। - Dainik Bhaskar

शुभांशु शुक्ला के अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक भारत लौटने की उम्मीद है।

भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने शुक्रवार को एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपने 20 दिनों के अंतरिक्ष मिशन और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 18 दिनों तक रहने के अनुभव साझा किए।

शुक्ला ने पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण के साथ फिर से तालमेल बिठाने का अपना अनुभव बताया। उन्होंने कहा- धरती पर लौटने के बाद मैंने फोटो लेने के लिए मोबाइल मांगा। जिस समय मैंने मोबाइल पकड़ा, मुझे लगा वह बहुत भारी है।

एक और घटना के बारे में उन्होंने बताया- मैं अपने बिस्तर पर बैठा था। मैंने अपना लैपटॉप बंद किया और बिस्तर से किनारे खिसका दिया। मैंने सोचा वह हवा में तैरता रहेगा। शुक्र है, फर्श पर कालीन बिछी थी इसलिए कोई नुकसान नहीं हुआ।

शुभांशु शुक्ला का एक्सियम-4 मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था और 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटा था। शुक्ला के अगस्त के दूसरे या तीसरे हफ्ते तक भारत लौटने की उम्मीद है।

शुभांशु माइक्रोग्रैविटी से आने के बाद पैदल चलने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। अभी बॉडी पर फुल कंट्रोल नहीं आया है।

शुभांशु माइक्रोग्रैविटी से आने के बाद पैदल चलने की प्रैक्टिस कर रहे हैं। अभी बॉडी पर फुल कंट्रोल नहीं आया है।

शुभांशु बोले- भारत की दूसरी उड़ान का आगाज प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुक्ला ने कहा- 41 साल बाद एक भारतीय अंतरिक्ष से लौटा। इस बार यह सिर्फ एक छलांग नहीं थी, यह भारत की दूसरी उड़ान की शुरुआत थी। इस बार हम तैयार हैं। सिर्फ उड़ने के लिए नहीं बल्कि नेतृत्व करने के लिए।

उन्होंने कहा कि पूरी अंतरिक्ष यात्रा में सबसे यादगार पल वह था जब 28 जून को पीएम मोदी से बात की और उनके पीछे तिरंगा लहरा रहा था। मैंने पीएम मोदी के स्पेस स्टेशन में करने के लिए कहे गए सभी होमवर्क पूरे किए। मुझे हर उस चीज को रिकॉर्ड करने के लिए कहा गया था जो हम वहां कर रहे थे।

एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे शुभांशु शुक्ला शुभांशु शुक्ला एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे। इसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए थे। यह एक प्राइवेट स्पेस फ्लाइट मिशन था। इसे अमेरिकी स्पेस कंपनी एक्सियम, NASA और स्पेसएक्स की साझेदारी से लॉन्च किया गया था। यह कंपनी अपने स्पेसक्राफ्ट में निजी अंतरिक्ष यात्रियों को ISS भेजती है।

शुभांशु को ISS में इंडियन एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स​​ के 7 प्रयोग करने थे। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज के थे। उन्हें NASA के साथ 5 अन्य प्रयोग भी करने थे। इसमें लंबे अंतरिक्ष मिशन के लिए डेटा जुटाया जाना था। इस मिशन में किए गए प्रयोगों ने भारत के गगनयान मिशन को मजबूत किया है।

मिशन स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग का हिस्सा था मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना था। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी था। मिशन स्पेस प्लानिंग का हिस्सा था। इसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाने की योजना है।

4 दिन की देरी से धरती पर लौटे थे शुभांशु

शुभांशु को डॉक्टर्स फिजियोथेरेपी दे रहे हैं। उनके पिता ने बताया था कि धीमी रिकवरी हो रही है।

शुभांशु को डॉक्टर्स फिजियोथेरेपी दे रहे हैं। उनके पिता ने बताया था कि धीमी रिकवरी हो रही है।

शुभांशु शुक्ला 14 जुलाई को धरती पर लौटे थे। एक्सियम-4 मिशन के तहत शुभांशु सहित चार क्रू सदस्य ISS पहुंचे थे। मिशन 25 जून को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था। ड्रैगन अंतरिक्ष यान 28 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून को ISS पर डॉक किया गया था। यह मिशन 14 दिनों का था लेकिन एस्ट्रोनॉट की वापसी में चार दिन की देरी हुई थी।

41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। 41 साल पहले भारत के राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है? इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) धरती के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर, 1998 में लॉन्च किया गया था।

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धरती से 28 घंटे का सफर कर कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन यानी ISS पहुंचे। वे एक्सियम-4 मिशन का हिस्सा थे। इसकी एक सीट के लिए भारत ने 548 करोड़ रुपए चुकाए थे। भारत ने शुभांशु पर इतनी बड़ी रकम क्यों खर्च की, उन्होंने अंतरिक्ष में 18 दिन क्या किया और ये भारत के गगनयान मिशन के लिए कितना जरूरी पूरी खबर पढ़ें…



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