Indian Navy INS Nistar Update; War-Ship | Visakhapatnam | डाइविंग सपोर्ट जहाज INS निस्तार नौसेना में शामिल: भारत में बना, 10 हजार टन वजन का यह वेसल 300 मीटर गहराई में भी रेस्क्यू कर सकता है

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विशाखापत्तनम6 घंटे पहले

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विशाखापत्तनम ​​​​​​​में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया। - Dainik Bhaskar

विशाखापत्तनम ​​​​​​​में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया।

देश में बना पहला डाइविंग सपोर्ट जहाज INS निस्तार शुक्रवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इसे समुद्र के अंदर 300 मीटर तक रेस्क्यू अभियान के लिए बनाया गया है। इस जहाज का वजन 10,000 टन से ज्यादा है। साथ ही 118 मीटर लंबा है।

INS निस्तार को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने तैयार किया है। विशाखापट्नम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया। ऐसा जहाज दुनिया के चुनिंदा देशों के पास है।

नौसेना प्रमुख बोले- भारत इस क्षेत्र का सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर बना

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने कहा कि INS निस्तार सिर्फ एक तकनीकी प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल क्षमता को बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण कदम है। इसके कमीशन होने के बाद भारत क्षेत्र का ‘सबमरीन रेस्क्यू पार्टनर’ बन गया है।

मंत्री सेठ बोले- भारत इंटरनेशनल लेवल के वॉर-शिप भी बना सकता है

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा, ‘INS निस्तार ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक है। इस जहाज के निर्माण में 120 MSMEs (लघु उद्योग) और 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का योगदान है। भारत की शिपयार्ड इंडस्ट्री अब इतनी सक्षम हो चुकी है कि वह इंटरनेशनल लेवल के वॉर-शिप भी बना सकती है।’

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया।

रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी की मौजूदगी में INS निस्तार नौसेना को सौंपा गया।

डाइविंग सपोर्ट जहाज क्या होते हैं?

डाइविंग सपोर्ट जहाज गहरे समुद्र में डाइविंग और रेस्क्यू ऑपरेशनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह जहाज गोताखोरों को समुद्र की गहराई तक सुरक्षित ले जाने, वहां काम करने और वापस लाने में मदद करता है।

इसमें ऑक्सीजन सप्लाई, दबाव नियंत्रण वाले चेंबर, रोबोटिक उपकरण (ROVs) और रेस्क्यू करने वाली नावें होती हैं। यह पनडुब्बियों में फंसे लोगों को बचाने में भी काम आता है। ऐसे जहाज बहुत कम देशों के पास होते हैं और यह नौसेना की गहरी समुद्री क्षमता को मजबूत बनाते हैं।

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जंगी जहाज तमाल भारतीय नौसेना में शामिल

तमाल को रूस के यांतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है।

तमाल को रूस के यांतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है।

1 जुलाई को भारतीय नौसेना को सबसे आधुनिक स्टील्थ फ्रिगेट ‘INS तमाल’ मिला। INS तमाल को रूस के कैलिनिनग्राद में कमीशन किया गया। कमीशनिंग सेरेमनी वाइस एडमिरल संजय जे. सिंह की अध्यक्षता में हुआ।

तमाल रूस से मिला आठवां और तुशिल क्लास की दूसरी वॉरशिप है। यह 2016 में हुए भारत-रूस रक्षा समझौते का हिस्सा है, जिसके तहत चार तलवार-क्लास स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इनमें से दो रूस के यंतर शिपयार्ड में और दो भारत के गोवा शिपयार्ड में बन रहे हैं।

तमाल को रूस के यंतर शिपयार्ड में भारतीय विशेषज्ञों की निगरानी में तैयार किया गया है। इसमें 26% स्वदेशी तकनीक शामिल है। यह जहाज 30 नॉट्स (55kmph) से ज्यादा की रफ्तार से चल सकता है और समुद्र के भीतर से लेकर हवा तक हमला करने की क्षमता रखता है।

INS तमाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस है और रडार की पकड़ में भी नहीं आएगा। इसे नौसेना के पश्चिमी बेड़े में शामिल किया जाएगा। जहां ये अरब-हिंद सागर में तैनात होगा और पाकिस्तानी सीमा की निगरानी करेगा। पूरी खबर पढ़ें…

INS तुशिल दिसंबर में भारत पहुंचा

INS तुशिल दिसंबर में रूस से 12,500 नॉटिकल मील का सफर तय कर भारत पहुंचा था। यह आठ देशों से होकर गुजरा। 9 दिसंबर को इसे कमीशन किया गया था। अब ‘तमाल’ उसकी जगह लेगा, जो और ज्यादा उन्नत तकनीकों से लैस है।

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