Inspirational story of Swami Vivekananda, Swami vivekanand and ramkrishna paramhans story in hindi, | स्वामी विवेकानंद का प्रेरक प्रसंग: हमें भगवान से भौतिक सुख-सुविधाएं नहीं, आत्मविश्वास, प्रसन्नता और ज्ञान मांगना चाहिए


2 घंटे पहले

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स्वामी विवेकानंद से कई ऐसे प्रसंग हैं, जो हमें जीवन में सही रास्ता चुनने में मदद करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने प्रारंभिक जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, इसके बावजूद वे सच्ची भक्ति करते रहे और अपने अध्यात्म के लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।

स्वामी विवेकानंद के बचपन का नाम नरेंद्र था। नरेंद्र का बचपन कठिनाइयों से भरा था। पिता के निधन के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उनकी मां ने जैसे-तैसे घर चलाने का प्रयास किया, लेकिन कई बार खाने की व्यवस्था भी करना कठिन हो जाता था। बालक नरेंद्र को कई बार भूखे पेट रहना पड़ता था।

वे अपनी मां से ये कहकर घर से बाहर निकल जाते थे कि उन्हें कहीं और भोजन के लिए जाना है, लेकिन असल में वे खाली पेट ही गलियों में घूमते रहते थे।

जब विवेकानंद को मिला परमहंस जी का सान्निध्य

  • कठिन परिस्थितियों में भी विवेकानंद का मन आध्यात्मिकता की ओर लगा हुआ था। वे श्रीरामकृष्ण परमहंस के सान्निध्य में आ चुके थे। किसी ने परमहंसजी को बताया कि विवेकानंद कई दिनों से भूखे हैं। तब परमहंसजी ने उन्हें माता काली की मूर्ति के समक्ष जाकर भोजन मांगने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नरेंद्र, तुम्हारे ऊपर काली मां की कृपा है। जाओ और उनसे भोजन मांगो। वे मां हैं, तुम्हारे भोजन की व्यवस्था जरूर करेंगी।
  • परमहंस जी की बात मानकर जब विवेकानंद काली माता की मूर्ति के समक्ष पहुंचे तो उन्हें भोजन मांगने का विचार आया, लेकिन जैसे ही वे मूर्ति के सामने खड़े हुए, उनके भीतर एक गहरी अनुभूति जागृत हुई।
  • उन्हें एहसास हुआ कि जब मां स्वयं उनके सामने हैं और शांति-आनंद प्रदान कर रही हैं तो फिर भोजन जैसी तुच्छ चीज क्यों मांगनी चाहिए।
  • विवेकानंद ने सोचा कि जीवन में मांगने योग्य केवल आनंद और आत्मज्ञान है, न कि भौतिक सुख-सुविधाए। वे बिना किसी भौतिक वस्तु की कामना किए पूर्ण आनंद में डूब गए और अपनी भूख तक भूल गए।
  • बाद में जब ये बातें स्वामी विवेकानंद ने परमहंस जी को बताई तो वे बहुत भावुक हो गए और बोले कि नरेंद्र, तुम समझ गए कि जीवन में किससे क्या मांगना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद की सीख

भगवान से भौतिक सुख-सुविधाएं मांगने के बजाय आत्मविश्वास, प्रसन्नता और ज्ञान मांगना चाहिए। सुख-सुविधी की चीजें तो हम अपनी मेहनत से प्राप्त कर सकते हैं। सच्ची शांति और आनंद भगवान की कृपा से ही मिलता है।

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