It is also important to teach your mind to forget, this keeps your thoughts fresh – Deepinder Goyal | इंस्पायरिंग: अपने दिमाग को भूलना सिखाते रहना भी जरूरी है, इससे विचारों में ताजगी रहती है – दीपिंदर गोयल

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6 घंटे पहले

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  • जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर अपनी नेटवर्थ में आई तेज छलांग की वजह से चर्चा में हैं। उनके सफल सफर की खास बातें, उन्हीं की जुबानी…

मैं खुद भी जोमैटो के नोटिफिकेशन्स बनाता हूं। जिसमें मजा आता है वो काम कर लेता हूं। हम सोचते हैं कि हमारे नोटिफिकेशन जब लोगों को मिलें, तो उनके चेहरे पर मुस्कान आए। इसी कोशिश में सब लगे रहते हैं… मैं भी। मैंने स्टार्टअप इसलिए बनाया क्योंकि मैं एक रेस का हिस्सा नहीं बनना चाहता था। मेरे लिए यह अपनी राह खुद तय करने के बारे में है, जहां मेरी किसी से तुलना न की जाए। मैं सोचता हूं कि तुलना एक नकारात्मक चीज है। मैंने खुद का काम इस वजह से भी शुरू किया था। मैं किसी की गुलामी नहीं चाहता था। वैसे पूर्ण आजादी तो इस दुनिया में कभी किसी को शायद ही मिली हो। लेकिन खुद के काम में फिर भी आप काफी तरह की आजादी हासिल कर ही लेते हैं। मैंने जो सीखा है, वो यह है कि सही इंसान को कंपनी में सही जगह फिट कर दो, सब ठीक होता जाएगा। अगर टीम अच्छी है और लोग समस्या को हल करना जानते हैं, तो हो गया आपका काम। किसी भी कंपनी या संस्था में कल्चर होना बेहद जरूरी है। अगर कल्चर होगा तो ही वो काम करेगी। कल्चर से मेरा मतलब है कि लोग आपकी संस्था में व्यवहार कैसा करते हैं। वे सफलता पर कैसे रिएक्ट करते हैं या प्रेशर में उनका बर्ताव कैसा होता है? वे अपनी ग्रोथ के बारे में किस तरह सोचते हैं? वे किस क्वालिटी का काम करते हैं… ये सब वर्क कल्चर में आता है। माइंडसेट ही सबकुछ है। यह मायने नहीं रखता कि आपके पास 15 साल का अनुभव है। समस्या जो आपके सामने आ रही है, उससे आप कैसे लड़ते हैं, यह मायने रखता है। अनुभवी और फ्रेशर… दोनों ही उस समस्या से बराबर जूझ सकते हैं। हो सकता है कोई नया उस समस्या को बेहतर समझे क्योंकि बैगेज नहीं है उसके पास। आपको अपने दिमाग को भूलना (अनलर्निंग) भी सिखाना होता है। इसी से विचारों में ताजगी बनी रहेगी। मैं कभी भी समस्या की तरफ तब तक ध्यान नहीं देता जब तक वो मुझे परेशान करने लायक बड़ी नहीं होती। जब वो विकराल रूप धरेगी, तब हफ्ते भर अपनी टीम के साथ दिमाग लगाऊंगा और हल करूंगा… ये मेरा तरीका है डील करने का। मैं जो एकमात्र कोशिश करता हूं, वह है सर्वाइव करना। यही एक चीज है जिसके लिए मैं लड़ता हूं। अगर आप जिंदा हैं, तो आप जीत भी जाते हैं। अपने करियर के सफर में मैं गिन भी नहीं सकता, इतनी बार लो फील हुआ है। सब बंद करने का मन तो दो-तीन हफ्ते में एक बार कर ही जाता है। हमने तय किया है कि हमारे पास चार महीने के पैसे बचना चाहिए। हर महीना खत्म होने से पहले हम कोशिश करते हैं कि ये चार महीने के पैसे हमारे अकाउंट में बने रहें… ऐसा करते-करते अभी तक चला ही लिया है। मुझे कभी अपने सफल होने की उम्मीद नहीं थी मैं कभी भी अपने सफर को मुश्किल नहीं मानता… मैं तो इसे फन जर्नी का नाम देता हूं। खुद का काम करना बिल्कुल जिम जाने जैसा ही है, दर्द ही का तो मजा है। मेरे लिए हर चीज बोनस की तरह है। मुझे कभी भी अपने सफल होने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन मैं यह कर पाया। तो अब जो भी समस्याएं आती हैं, वह पहले की तुलना में तो बहुत बेहतर ही होती हैं। (तमाम इंटरव्यूज में)

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