Jyeshtha Purnima significance in hindi, Jyeshtha Purnima traditions in hindi, Satyvan and savitri story | ज्येष्ठ पूर्णिमा रहेगी दो दिन: सत्यवान-सावित्र से जुड़ी है ज्येष्ठ पूर्णिमा की व्रत कथा, जानिए इस पर्व पर कौन-कौन से शुभ काम करें?


1 घंटे पहले

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ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा दो दिन यानी 10 और 11 जून को रहेगी। इस तिथि पर वट पूर्णिमा, सत्यवान-सावित्री व्रत, गंगा और अन्य नदियों में स्नान, पितरों के लिए धूप-ध्यान किया जाता है। पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। पूर्णिमा पर पितरों की तृप्ति के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए। दोपहर में कंडे जलाएं और पितरों का ध्यान करते हुए कंडे के अंगारों पर गुड़-घी चढ़ाएं। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर पितरों को अर्पित करें।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौराणिक मान्यता है कि ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर गंगा नदी का अवतरण धरती पर हुआ था। इसके बाद आने वाली पूर्णिमा पर गंगा नदी में स्नान करने का महत्व काफी अधिक है। जो लोग गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन नदी या किसी अन्य जलाशय में भी स्नान कर सकते हैं। श्रद्धालु प्रयागराज, हरिद्वार, वाराणसी, ऊँकारेश्वर, उज्जैन, नासिक जैसे तीर्थों में स्नान के लिए जाते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें वटवृक्ष की पूजा

वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए महाव्रत की तरह है। सुहागिन महिलाएं अपने जीवन साथी की लंबी उम्र, सौभाग्य, स्वस्थ जीवन की कामना से वटवृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। पूजा में महिलाएं वटवृक्ष पर कच्चा सूत लपेटती हैं, परिक्रमा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत से भक्तों का वैवाहिक जीवन सुखी और समृद्धिशाली रहता है। घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

दान-पुण्य जरूर करें

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, अन्न, कपड़े, जूते-चप्पल, छाता दान करना चाहिए। अभी गर्मी का समय है तो किसी सार्वजनिक स्थान पर प्याऊ लगा सकते हैं, किसी प्याऊ में मटके का दान कर सकते हैं।

सत्यवान-सावित्री की कथा सुनें – महिलाएं इस दिन सत्यवान-सावित्री की कथा सुनती और सुनाती हैं। जो भक्त ये व्रत करते हैं, उन्हें सत्यवान-सावित्री की कथा जरूर सुननी चाहिए। इस कथा में बताया गया है कि कैसे सावित्री ने अपने मृत पति के प्राण वापस लाने के लिए यमलोक तक की यात्रा की और यमराज से वरदान में अपने पति का जीवन वापस मांग लिया। इस व्रत कथा को पढ़ने-सुनने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है और जीवन साथी की असमय मृत्यु का भय दूर होता है, ऐसी मान्यता है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा से जुड़ी अन्य मान्यताएं

इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वटवृक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त स्वरूप माना गया है। ये व्रत जीवन साथी की दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक है।

इस दिन शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य देना चाहिए।

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