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बेंगलुरु13 मिनट पहले
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कन्नड़ भाषा की पढ़ाई अनिवार्य करने पर सरकार से जवाब मांगा है। इसके लिए तीन हफ्ते का समय दिया है। अदालत ने राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किए हैं। राज्य के CBSC और CISCE स्कूलों में कन्नड़ की पढ़ाई अनिवार्य करने के खिलाफ 2023 में एक जनहित याचिका (PIL) दायर हुई थी।
कार्यवाहक चीफ जस्टिस वी कामेश्वर राव और जस्टिस सीएम जोशी की बेंच ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। दो साल से ज्यादा समय बीतने के बाद भी सरकार ने मामले में कोई आपत्ति दाखिल दाखिल नहीं की है। इस पर बेंच ने कहा कि अपनी मशीनरी तैयार करें, वरना हम अंतरिम राहत देने पर विचार करेंगे।
याचिका में कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग एक्ट- 2015, कन्नड़ लैंग्वेज लर्निंग रूल- 2017 और कर्नाटक एजुकेशनल इंस्टीट्यूट रूल- 2022 को चुनौती दी गई है।
पसंद की भाषा चुनने से रोकते हैं कानून याचिका में कहा गया है कि तीनों कानून स्टूडेंट्स को अपनी पसंद की तीन भाषाएं चुनने के अधिकार का उल्लंघन करते हैं। इससे उनके रिजल्ट और भविष्य में रोजगार के अवसरों पर खराब असर पड़ सकता है। साथ ही अन्य भाषाएं पढ़ाने वाले टीचरों की आजीविका भी खतरा में पड़ सकती है।
याचिका में हाईकोर्ट के पिछले आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें डिग्री कोर्सेज में कन्नड़ अनिवार्य करने संबंधी आदेश पर रोक लगाई गई थी। यह भी साफ किया गया है कि याचिकाकर्ता कन्नड़ पढ़ाए जाने का विरोध नहीं करते, बल्कि अनिवार्य करने पर आपत्ति जताते हैं।
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